राधाकृष्णन आपको, नमन हजारों बार। अध्यापक-दिन का दिया, भारत को उपहार।1। धन्य हुए गुरुजन सभी, पाकर यह सौगात। आओ आज के दिन करें, अध्यापक की बात।2। जो कहलाता था कभी, प्रभु से अधिक महान। आज घटा क्यों देश में, उस शिक्षक मान।3। अब कक्षोन्नति के लिए, गुरू बना सोपान। फिर कैसे हो पायगा, गुरुओं का सम्मान।4। जब से शिक्षा-दान का, बदल गया अन्दाज। तब से शिक्षक दिन बना, केवल एक रिवाज।5। बिकता महँगे दाम पर, गुरुओं के घर ज्ञान। गणित और विज्ञान की, खुली हुई दूकान।6। कहाँ पढ़ाएँ पाल्य को, अभिभावक हैरान। गली-गली में खुल गयीं, शिक्षा की दूकान।7। -- अध्यापकदिन पर सभी, गुरुवर करें विचार। बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।8। |
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शनिवार, 4 सितंबर 2021
दोहे "अध्यापक की बात" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शिक्षक दिवस पर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को सादर नमन । बहुत सुंदर समसामयिक रचना ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(०५ -०९-२०२१) को
'अध्यापक की बात'(चर्चा अंक- ४१७८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वंदन
जवाब देंहटाएंमनन एवं नमन योग्य दोहे ।
जवाब देंहटाएंडॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को सादर नमन। बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं