गरमी में ठण्डक पहुँचाता, मौसम नैनीताल का! मस्त नज़ारा मन बहलाता, माल-रोड के माल का!! नौका का आनन्द निराला, क्षण में घन छा जाता काला, शीतल पवन ठिठुरता सा तन, याद दिलाता शॉल का! पलक झपकते बादल आते, गरमी में ठण्डक पहुँचाते, कुदरता का ये अजब नज़ारा, लगता बहुत कमाल का! लू के गरम थपेड़े खा कर, आम झूलते हैं डाली पर, इन्हें देख कर मुँह में आया, मीठा स्वाद रसाल का! चीड़ और काफल के छौने, पर्वत को करते हैं बौने, हरा-भरा सा मुकुट सजाते, ये गिरिवर के भाल का! सजा हुआ सुन्दर बाजार, ऊनी कपड़ों का अम्बार, मेले-ठेले, बाजारों में, काम नहीं कंगाल का! गरमी में ठण्डक पहुँचाता, मौसम नैनीताल का! मस्त नज़ारा मन बहलाता, माल-रोड के माल का!! |
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मंगलवार, 17 मई 2022
बालगीत "मौसम नैनीताल का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह वाह वाह वाह!ख़ूब अभिव्यक्ति है
जवाब देंहटाएंसुंदर छवियों के साथ सराहनीय गजल ।
जवाब देंहटाएंसुंदर छवियों के साथ एक खूबसूरत अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएं