प्यार का मौसम है, आओ प्यार की बातें करें नेह की लेकर मथानी, हृदय का मन्थन करें, छोड़ कर छल-छद्म, कुछ उपकार की बातें करें आस के अंकुर उगाओ, दीप खुशियों के जलें, प्रीत का संसार है, संसार की बातें करें भावनाओं के नगर में, छेड़ दो वीणा के मधुर घर सजायें स्वर्ग सा, मनुहार की बातें करें निर्धनों को बाँटकर तालीम कहलाओ धनी क्यों सबल को भेंट दे,
उपहार की बातें करें कदम आगे को बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें 'रूप'
सूरज ने निखारा,
ताप धरती का बढ़ा पेड़ छाया के लगा, शृंगार की बातें करें। |
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सोमवार, 23 मई 2022
ग़ज़ल "आओ प्यार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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कदम आगे को बढ़ाओ, सामने मंजिल खड़ी
जवाब देंहटाएंजीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें
वाह!! सुंदर शिक्षा देती गजल...
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-5-22) को "ज्ञान व्यापी शिव" (चर्चा अंक 4440) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
निर्धनों को बाँटकर तालीम कहलाओ धनी
जवाब देंहटाएंक्यों सबल को भेंट दे, उपहार की बातें
वाह!!!
लाजवाब🙏🙏🙏
जी उम्दा रचना , आदरणीय ।
जवाब देंहटाएं