क्यों नैन हुए हैं मौन, कि आँसू फूट गये हैं। आया इनमें वो कौन? सितारे टूट गये हैं।। -- क्यों छूट गयीं वो गलियाँ, क्यों रूठ गई वो कलियाँ, है कहाँ भ्रमर का गुंजन , सहमा कलियों का चुम्बन, छीनी किसने है निंदिया, सपनों में आया कौन, कि अपने छूट गये हैं। सितारे टूट गये हैं।। -- जब भी बाँहे फैलाते, तब खुद को रोक न पाते, बढ़ जाती मन की धड़कन अंगों में होती फड़कन, खो गया हिया का चैन, वो है बेदर्दी कौन, कि छाले फूट गये हैं। सितारे टूट गये हैं।। -- रसभरी प्रेम की बतियाँ, जगते थे सारी रतियाँ, मदमस्त हवा के झोंखे, आने से किसने रोके, खोया सारा सुख-चैन, आशिक बनकर दिन-रैन, जवानी लूट गये हैं। सितारे टूट गये हैं।। -- |
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रविवार, 22 मई 2022
विरहगीत "सपनों में आया कौन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 23 मई 2022 को ' क्यों नैन हुए हैं मौन' (चर्चा अंक 4439) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना
जवाब देंहटाएं