-- जन्म हिमालय पर लिया, नमन आपको मात। शैलसुता के नाम से, आप हुईं विख्यात।। -- कठिन तपस्या से मिला, ब्रह्मचारिणी नाम। तप के बल से पा लिया, शिवशंकर का धाम।। -- चन्द्र और घंटा रहे, जिनके हरदम पास। घंटाध्वनि से हो रहा, दिव्यशक्ति आभास।। -- जगजननी माता बनी, जग की सिरजनहार। कूष्मांडा ने रचा, सारा ही संसार।। -- मूरख भी ज्ञानी बने, कृपा करें जब मात। स्कन्दमाता जी धरो, मेरे सिर पर हाथ।। -- योग-साधना से मिटे, क्षोभ-लोभ औ’ काम। माँ कात्यायिनी का, बैजनाथ है धाम।। -- कालरात्री का करो, सच्चे मन से जाप। दुर्गाजी निज भक्त का, हर लेती हैं ताप।। -- सद्यशक्ति का पुंज हैं, देती हैं परित्राण। महागौरि श्वेताम्बरा, करती हैं कल्याण।। -- देती सारी सिद्धियाँ, सिद्धिदात्रि मात। नवमरूप में रम रहीं, माता सबके साथ।। --न मर्यादा की जीत है, मक्कारी की हार। विजयादशमी विजय का, है पावन त्यौहार।। -- |
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मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022
दोहे "विजय का पावन त्यौहार-विजयादशमी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मर्यादा की जीत है, मक्कारी की हार।
जवाब देंहटाएंविजयादशमी विजय का, है पावन त्यौहार।।
..बहुत सुन्दर
आपको भी दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं