-- रावण का वध हो गया, गयी बुराई हार। विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार।१। जो दुष्टों के दलन का, करता काम तमाम। उसका ही होता सदा, जग में ऊँचा नाम।२। मर्यादाओं का रखा, दुनिया में आधार। इसीलिए तो राम की, होती जय-जयकार।३। त्यौहारों का कीजिए, नहीं कभी उपहास। सब पर्वों के मूल में, घटनाएँ हैं खास।४। विजय पर्व पर बाँचिए, स्वर्णिम निज इतिहास। हो जायेगा आपको, गौरव का आभास।५। सत्यनिष्ठ होकर यहाँ, जो करता काम। कहलाता है जगत में, वो ही राजा राम।६। सुख-सुधिधाएँ त्यागना, नहीं यहाँ आसान। निष्कामी इंसान का, होता है गुण-गान।७। अन्न उगाकर खेत में, कृषक नहीं सम्पन्न। फिर भी सुमन समान वो, रहता सदा प्रसन्न।८। नहीं आज भी सत्य का, कोई कहीं विकल्प। सत्य बोलने का करो, धारण अब संकल्प।९। मंजिल पाने के लिए, बदलो अपना ढंग। अच्छे लोगों का करो, जीवन में तुम संग।१०। |
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गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022
दोहे "दशहरा-दस दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
प्रेरक और सामयिक दोहे ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक दोहे
जवाब देंहटाएंवाह वाह! सुंदर और सामयिक।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएं