बहता पानी ही करे, कल-कल शब्द निनाद। कर्मों से ही व्यक्ति को, रक्खा जाता याद।1। लेखन-पाठन का करो, सच्चे मन से काम। दुनियाभर में आपका, हो जायेगा नाम।2। उपवन में खिलने लगे, रंग-बिरंगे फूल। प्यार बाँटने के लिए, मौसम है अनुकूल।3। उग्रवाद-अलगाव की, सुलग रही है आग। लोग खून से खेलते, होली में अब फाग।4। धर्म-जाति के नाम पर, बढ़ने लगा जुनून। राजनीति के जाल में, सिसक रहा कानून।5। नगर-गाँव में बढ़ रहे, अब तो खूब दलाल। रोटीखोरों ने किया, वतन आज कंगाल।6। दुशमन की जय बोलकर, जला रहे जो देश। देश निकाले का उन्हें, जारी हो आदेश।7। जो भी पाकिस्तान के, बोल रहे हैं बोल। अब उन सबके नाम को, करो देश से गोल।8। अब पछुआ चलने लगी, सर्दी गयी सिधार। कुछ दिन में आ जायगा, होली का त्यौहार।9। महक रहा सारा चमन, चहक रहा मधुमास। होली का होने लगा, जन-जन को आभास।10। अंगारा बनकर खिला, वन में वृक्ष पलाश। रंग, गुलाल-अबीर की, आने लगी सुवास।11। गेहूँ पर हैं बालियाँ, कुन्दन सा है रूप। सरसों और मसूर को, सुखा रही है धूप।12। अम्मा मठरी बेलती, सजनी तलती जाय। सजना इनको प्यार से, चटकारे ले खाय।13। भाषण से मिटती नहीं, कभी किसी की भूख। फल देने वाले शजर, गये कभी के सूख।14। ब्लॉग-जगत का अब नहीं, रहा सुनहरा काल। मुखपोथी पर मिल रहा, सभी तरह का माल।15। *मुखपोथी अर्थात *फेसबुक |
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बुधवार, 1 मार्च 2023
पन्द्रह दोहे "होली में अब फाग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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