-- मंजुल सुमनों की सुगन्ध से, नित्य करें माँ का वन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- पावन वसुन्धरा पर सुख की, हरियाली छा जायें, समय-समय पर मेघ-घटा, जल और अन्न बरसायें, उपवव में सबके ही महके, चारों ओर सुगन्धित चन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- सत्य-एकता, की धारा, कलकल-छलछल भरपूर बहे, असत्य-हिंसा, वैर-भाव का, कीट हमेशा दूर रहे, सुख की गागर भरी रहे, जीवन में जागे स्पन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- आड़ धर्म की लेकर, भारत में नही कोई दंगा हो। जन,गण,मन हो वैभवशाली, कोई न भूखा-नंगा हो।। कोई कहीं न आहत हो, मिट जाय रक्तपात क्रन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- प्यार करें भारत-माता को, जो भी यहाँ निवासी हैं। याद रहे सबसे पहले, हम इसी देश के वासी हैं।। सामाजिक-समरसता का, हो जाय देश में गठबन्धन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- कभी ठेस मत पहुँचाना, महापुरुषों की अभिलाषा को। सब धर्मों का मान करें, हम प्यार करें निज भाषा को।। देवनागरी को अपनायें, वसुदेव-देवकी, पार्वती के, कहलायें प्यारे नन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- मंगलदायी सम्वत्सर रहे, जीवन में सुखद सवेरा हो। उर में हों उरबसी उमंगें, सुख का सघन बसेरा हो।। सच्चे अर्थों में तब होगा, नूतन का सच्चा अभिनन्दन। नव-सम्वत्सर आज तुम्हारा, जन-जन करता अभिनन्दन।। -- |
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बुधवार, 22 मार्च 2023
गीत "स्वागत भारतीय नववर्ष" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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