-- जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान। छन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान।1। -- भरा पिटारा ज्ञान का, देखो आँखें खोल। शब्दकोश में हैं भरे, शब्द बहुत अनमोल।2। -- जिनकी अपनी है नहीं, चेतन प्रज्ञा मित्र। कदम-कदम पर वो करें, हरकत यहाँ विचित्र।3। -- सीधे-सीधे ही कहो, अपने मन की बात। कविता में करना नहीं, घात और प्रतिघात।4। -- दोहों में तो गणों का, होता बहुत महत्व। गण भी तो इस छन्द के, हैं आवश्यक तत्व।5। -- गति-यति, सुर-लय-ताल सब, हैं दोहे के अंग। दोहा रचने के लिए, नियम न करना भंग।6। -- पतझड़ से जिनके हुए, गात-पात बदरंग। उन बिरुओं का आज तो, खिला हुआ है अंग।7। -- फागुन में मधुमास का ऐसा चढ़ा खुमार। जीवन में बहने लगी, रंगों की रसधार।8। -- आवारा मौसम हुआ, बरस रहा है प्यार। होली की हुड़दंग में, रंगों की बौछार।9। -- बैर-भाव को भूलकर, करिए सबसे प्रीत। उपवन में खिलते सुमन, सुना रहे हैं गीत।10। -- स्वस्थ रहें सब जगत में, दाता दो वरदान। शीत ग्रीष्म-बरसात में, दुखी न हो इन्सान।11। -- हरे-भरे सब पेड़ हों, छाया दें घनघोर। उपवन में हँसते सुमन, मन को करें विभोर।12। -- ज्ञान बाँटने से कभी, होंगे नहीं विपन्न। विद्या धन का दानकर, बन जाओ सम्पन्न।13। -- रत्तीभर चक्खा नहीं, लिया नहीं आनन्द। छत्ते पर डाका पड़ा, लुटा सभी मकरन्द।14। -- भूसी-चावल सँग रहें, तभी बढ़े परिवार। हुए धान से जब अलग, बाँट खाय संसार।15। -- कठिन नहीं साहित्य में, दोहों का विन्यास। इनको रचने के लिए, करो सतत् अभ्यास।16। -- |
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शनिवार, 11 मार्च 2023
सोलह दोहे "शब्द बहुत अनमोल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ खरी खरी बात कह दी आपने दोहों के बहाने
जवाब देंहटाएंरंगपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
जिनको कविता की नहीं, कोई भी पहचान।
जवाब देंहटाएंछन्दों के वो बन गये, आज कथित भगवान....
इनको रचने के लिए, करो सतत् अभ्यास...
सत्य वचन
स्पष्टवादिता
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