-- प्रेम और सौहार्द्र है, होली का आधार। गले मिलो सब प्यार से, कहता ये त्यौहार।1। -- बैर-भाव को भूलकर, कर लो सबसे प्यार।। खुश हो करके बाँटिए,
रंगों का उपहार।2। हँसी-ठिठोली को करो,
मर्यादा के संग। जो लगवाये प्यार से,
उसे लगाओ रंग।3। -- सम्बन्धों में चाहिए,
रहना सदा उदार। सतरंगी सपने करो, जीवन में साकार।4। -- दुनिया में कायम रहे, भाईचारा-प्यार। रंगभेद को मेटता, होली का त्यौहार।5। -- जो खुश होकर खेलता, उससे खेलो रंग। मन भरके मनमीत को, आज लगाओ अंग।6। -- रंगों की बौछार हो, या पानी की धार। मीठा है नमकीन भी, होली का त्यौहार।7। -- होली के त्यौहार पर, मन में भरो उमंग। होता भाँग-शराब से, सदा रंग में भंग।8। -- जैसे गंगा जी नीर में, उठती लहर-तरंग। वैसे ही अपनाइए, सरल-तरल कुछ ढंग।9। -- शीतलता कम हो गयी, आया फागुन मास। जीवन में छाया हुआ, हर्ष
और उल्लास।10। -- चलता है पछुआ पवन, खिली
हुई है धूप। गेहूँ ने धारण किया, कंचन
जैसा रूप।11। -- |
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शुक्रवार, 3 मार्च 2023
दोहे "रंगों का उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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