आखिर क्या बात है इस रचना में? 17 जून,2009 को यह रचना लिखी थी। मगर आज तक यह मेरी लोकप्रिय पोस्ट में नम्बर-1 पर चल रही है। आपके अवलोकनार्थ इसे पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ। श्वेत-श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। आसमान में उमड़-घुमड़कर, छाये बादल।। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन रंग-रूप बदलता जाता पल-पल। आसमान में उमड़-घुमड़कर छाये बादल।। मम्मी भीगी , मुन्नी भीगी, दीदी जी की चुन्नी भीगी, मोटी बून्दें बरसाती, निर्मल-पावन जल। आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।। हरी-हरी उग गई घास है, धरती की बुझ गई प्यास है, नदियाँ-नाले नाद सुनाते जाते कल-कल। बिजली नभ में चमक रही है, अपनी धुन में दमक रही है, आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।। (चित्र गूगल छवियों से साभार) |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

मूर्त रूप है यह रचना भावों का .भावों के आलोडन के अनुरूप चित्र हैं जो एक चल चित्र से रचना का फिल्मांकन करते चलतें हैं .हम भी विमुग्ध हैं आपकी इस मल्टी -टास्किंग पर .
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी सी रचना.....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
बहुत ही सुन्दर कविता है..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्यारी प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST...: दोहे,,,,
सुन्दर कविता ||
जवाब देंहटाएंसादर ||
कविता के साथ चित्र भी बहुत खूबसूरत हैं .
जवाब देंहटाएंaaj to humne aapke ghar aa kar dekh bhee liye ye kaale baadal....mil kar bahut acha lagaa.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर मनमोहक चित्रों के साथ सुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंजैसे चित्र वैसी कविता !!
जवाब देंहटाएंवाह !!
बहुत ही सुंदर कविता है। समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंwah, kitni sundar kavita hai!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मनभावन रचना...
जवाब देंहटाएं:-)