हिन्दी-स्वरावलि
‘‘अ‘’
‘‘अ‘’
से अल्पज्ञ सब, ओम्
सर्वज्ञ है।
ओम्
का जाप, सबसे बड़ा यज्ञ है।।
--
‘‘आ’’
‘‘आ’’
से आदि न जिसका, कोई
अन्त है।
सारी
दुनिया का आराध्य, वह सन्त है।।
--
‘‘इ’’
‘‘इ’’
से इमली खटाई भरी, खान
है।
खट्टा
होना खतरनाक, पहचान है।।
--
‘‘ई’’
‘‘ई’’
से ईश्वर का जिसको, सदा
ध्यान है।
सबसे
अच्छा वही, नेक इन्सान है।।
--
‘‘उ’’
उल्लू
बन कर निशाचर, कहाना नही।
अपना
उपनाम भी यह धराना नही।।
--
‘‘ऊ’’
ऊँट
का ऊँट बन, पग बढ़ाना नही।
ऊँट
को पर्वतों पर, चढ़ाना नही।।
--
‘‘ऋ’’
‘‘ऋ’’
से हैं वह ऋषि, जो
सुधारे जगत।
अन्यथा
जान लो, उसको ढोंगी भगत।।
--
‘‘ए’’
‘‘ए’’
से है एकता में, भला
देश का।
एकता
मन्त्र है, शान्त परिवेश का।।
--
‘‘ऐ’’
‘‘ऐ’’
से तुम ऐंठना मत, किसी
से कभी।
हिन्द
के वासियों, मिल के रहना सभी।।
--
‘‘ओ’’
‘‘ओ’’
से बुझती नही, प्यास
है ओस से।
सारे
धन शून्य है, एक सन्तोष से।।
‘‘औ’’
‘‘औ’’
से औरों को पथ, उन्नति
का दिखा।
हो
सके तो मनुजता, जगत को सिखा।।
--
‘‘अं’’
‘‘अं’’ से अन्याय
सहना, महा पाप है।
राम
का नाम जपना, बड़ा जाप है।।
--
‘‘अः’’
‘‘अः’’ के आगे का
स्वर,अब बचा ही नही।
इसलिए आगे
कुछ भी रचा ही नही।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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गुरुवार, 17 जुलाई 2014
"स्वरावलि" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत सुंदर रचना.वर्णमाला का सुंदर संकेत.
जवाब देंहटाएंवाह गजब ।
जवाब देंहटाएंयह शिवोमय वर्णमाला सराहनीय !
जवाब देंहटाएंबढ़िया हिन्दी-स्वरावलि , आदरणीय धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का लिंक कल यानी शनिवार दिनांक - 19 . 7 . 2014 को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !