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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंखटीमा में जल ही जल है।
जवाब देंहटाएंअन्यत्र मेघ वृष्टि की आवश्यकता है।
बडी विषम सास्थिति है।
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 21 . 7 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंऐसी स्थिति में कुछ दिक्कतें भी आती हैं ... कहीं बारिश का ये हाल है तो कही जप किये जा रहे हैं कि बारिश हो .... सचित्र प्रस्तुति का आभार
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर ।
जवाब देंहटाएंअति -वर्षा की मार्फ़त प्रकृति की अपनी रुसवाई सामने आई है।
जवाब देंहटाएंअति हर चीज की बुरी होती है |भगवान भी बराबरी से बटवारा नहीं करता |वहां अति की वर्षा और यहाँ सूखा |कैसी विडम्बना है |गीत बहुत अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंबादल रानी ,खटीमा में इतना ना बरसो ,थम जाओ!
जवाब देंहटाएंझीलें पुणे के सब सूखे पड़े हैं ,इधर बरस जाओ |
कर्मफल |
सुंदर और जीवंत चित्रण...
जवाब देंहटाएंकबीर ने इसीलिए कहा है..अति का भला न बरसना अति की भली न धूप..
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