दर्शन करने के लिए,
लम्बी लगी कतार।१।
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बेर-बेल के पत्र
ले, भक्त चले शिवधाम।
गूँज रहा है भुवन
में, शिव-शंकर का नाम।२।
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काँवड़ लेकर आ गये,
नर औ’ नार अनेक।
पावन गंगा नीर से,
करने को अभिषेक।३।
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जंगल में खिलने लगा,
सेमल और पलाश।
हर-हर, बम-बम नाद
से, गूँज रहा आकाश।४।
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गेँहू बौराया हुआ,
सरसों करे किलोल।
सुर में सारे बोलते,
हर-हर, बम-बम बोल।५।
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शिव जी की
त्रयोदशी, देती है सन्देश।
ग्राम-नगर का देश का,
साफ करो परिवेश।६।
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देवों ने अमृत
पिया, नहीं मिला वो मान।
महादेव शिव बन गये,
विष का करके पान।७।
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नर-वानर-सुर मानते,
जिनको सदा सुरेश।
विघ्नविनाशक के
पिता, जय हो देव महेश।८।
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सच्चे मन से जो
करे, शिव-शंकर का ध्यान।
उसको ही मिलता सदा,
भोले का वरदान।९।
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अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं। स्कन्दपुराण के अवंती खंड में, शिव पुराण (ज्ञान संहिता अध्याय 38), वराह पुराण, रुद्रयामल तंत्र, शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के तेइसवें अध्याय तथा रुद्रसंहिता के चौदहवें अध्याय में भगवान महाकाल की अर्चना, महिमा व विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।
जवाब देंहटाएंमृत्युंजय महाकाल की आराधना का मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को बचाने में विशेष महत्व है। खासकर तब जब व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार होने वाला हो। इस हेतु एक विशेष जाप से भगवान महाकाल का लक्षार्चन अभिषेक किया जाता है-
'ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः,
ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे
सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ'
इसी तरह सर्वव्याधि निवारण हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है।
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः
शिवरात्रि में शिवोत्सव समूचे उज्जैन में मनाया जाता है। इन दिनों भक्तवत्सल्य भगवान आशुतोष महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जाता है, उन्हें विविध प्रकार के फूलों से सजाया जाता है। यहाँ तक कि भक्तजन अपनी श्रद्धा का अर्पण इतने विविध रूपों में करते है कि देखकर आश्चर्य होता है।
NDकोई बिल्वपत्र की लंबी घनी माला चढ़ाता है। कोई बेर,संतरा, केले, और दूसरे फलों की माला लेकर आता है। कोई आँकड़ों के पत्तों पर चंदन से ॐ बना कर अर्पित करता है।
औढरदानी, प्रलयंकारी, दिगम्बर भगवान शिव का यह सुहाना सुसज्जित सुंदर स्वरूप देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इसे 'सेहरा' के दर्शन कहा जाता है। अंत में श्री महाकालेश्वर से परम पुनीत प्रार्थना है कि इस शिवरात्रि में इस अखिल सृष्टि पर वे प्रसन्न होकर प्राणी मात्र का कल्याण करें -
'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम,
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व,
जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥'
अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, ए
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना । 2400 की बधाई :)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को
जवाब देंहटाएंदर्शन करने के लिए-; चर्चा मंच 1893
पर भी है ।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को
जवाब देंहटाएंदर्शन करने के लिए-; चर्चा मंच 1893
पर भी है ।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं