बच्चों का संसार निराला।।
बचपन सबसे होता अच्छा।
बच्चों का मन होता सच्चा।
पल में रूठें, पल में मानें।
बैर-भाव को ये क्या जानें।।
प्यारे-प्यारे सहज-सलोने।
बच्चे तो हैं स्वयं खिलौने।।
बच्चों से नारी है माता।
ममता से है माँ का नाता।।
बच्चों से है दुनियादारी।
बच्चों की महिमा है न्यारी।।
कोई बचपन को लौटा दो।
फिर से बालक मुझे बना दो।।
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रविवार, 22 फ़रवरी 2015
"फिर से बालक मुझे बना दो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंAti uttam srijan aadarneey
जवाब देंहटाएंबालपन का अपना ही मजा है। सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबचपन का मज़ा दुबारा नहीं आता ... बस यादें रह जाती हैं ... काश की कोई ऐसी चाभी होती जो लौटा देती बचपन में ....
जवाब देंहटाएंआज बच्चो का बचपन भी कहीं खोया जा रहा है ...वे भी खुले दिल से नहीं खेल पा रहे हैं ..पारम्परिक खेल तो अब देखने को तरस जाते हैं हम शहरों में ..... फिर भी बचपन के दिन बड़ों से अच्छे ही होते हैं ...बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंआजकल बच्चों की परीक्षा के साथ अपनी परीक्षा की वजह से फुर्सत नहीं मिल पा रही है ब्लॉग पढ़ने के लिए ...
sahi kaha...kaash hum fir bachpan ko ji paate!!!
जवाब देंहटाएंबच्चों का बचपन, बचपन की तरह ही बीतना चाहिए। ये पल यदि गुजर जाते हैं, तो फिर बहुत याद आते हैं।
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