कुछ ऐसा रच दीजिए, दुनिया रक्खे याद।१।
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अपने दोहों में भरो, उपयोगी सन्देश।
दोहों में ही दिया था, सन्तों ने उपदेश।२।
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उतना सौदा लीजिए, जितना लाओ दाम।
छल-फरेब करना नहीं, इंसानों का काम।३।
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नहीं झूठ के पाँव हैं, सच होता बलवान।
सदा हिमायत झूठ की, करते हैं शैतान।४।
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घिर आये आकाश में, सुबह-सुबह घन श्याम।
धान रोपने खेत में, अब चल पड़े किसान।५।
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छम-छम पानी बरसता, बादल करते शोर।
हरियाली बिखरी हुई, धरती पर चहुँ ओर।६।
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जाड़े-पाले में हमें, अच्छा लगता घाम।
बारिश से बरसात में, मिलता है आराम।७।
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गरमी का मौसम गया, शुरू हुआ चौमास।
नभ के निर्मल नीर से, बुझी धरा की प्यास।८।
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बुधवार, 1 जुलाई 2015
आठ दोहे "सच होता बलवान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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