भारत माँ की कोख
से, जन्मा पूत कलाम।
करते श्रद्धा-भाव
से, उसको आज सलाम।।
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दुनिया में जाना
गया, वह मिसाइल-मैन।
उसके जाने से सभी, कितने हैं बेचैन।।
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जिसने जीवन भर
किया, मानवता का काम।
भारत का
सर्वोच्च-पद, हुआ उसी के नाम।।
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बचपन जिया अभाव
में, कभी न मानी हार।
दुनिया में
विज्ञान को, दिया सबल आधार।।
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कुदरत को मञ्जूर
जो, वो ही तो है होय।
क्रूर काल के
चक्र से, बचा नहीं है
कोय।।
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जीव आत्मा अमर है, मरता तुच्छ शरीर।
अपने उत्तम कर्म
से, अमर रहेंगे वीर।।
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युगों-युगों तक
रहेगा, दुनियाभर में
नाम।
गूँजेगा संसार
में, प्रेरक नाम
कलाम।।
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भावप्रवण श्रद्धा-सुमन, करूँ समर्पित आज।
शोकाकुल है शोक
से, देश-विदेश-समाज।।
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मंगलवार, 28 जुलाई 2015
दोहे "भारतरत्न ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को श्रद्धाञ्जलि" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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