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थक गईं नजरें तुम्हारे दर्शनों की आस में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
चमकते लाखों सितारें किन्तु तुम जैसे कहाँ,
साँवरे के बिन कहाँ अटखेलियाँ और मस्तियाँ,
गोपियाँ तो लुट गईं है कृष्ण के विश्वास में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
आ गया मौसम गुलाबी, महकता सारा चमन,
छेड़ती हैं साज लहरें, चहकता है मन-सुमन,
पुष्प, कलिकाएँ, लताएँ मग्न हैं परिहास में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
आज करवाचौथ पर मन में हजारों चाह हैं,
सब सुहागिन तक रही केवल तुम्हारी राह हैं,
चाहती हैं सजनियाँ साजन बसे हों पास में।
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
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मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016
गीत "आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर गीत ।
जवाब देंहटाएंआ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में।।
जवाब देंहटाएं..सुन्दर सामयिक गीत प्रस्तुति
बहुत सुंदर गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत ,बधाई आपको .
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