झिलमिल-झिलमिल जल
रहे, ये माटी के दीप।
देवताओं के चित्र
के, रखना इन्हें समीप।।
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दीपों की दीपावली,
देती है सन्देश।
घर-आँगन के साथ
में, रौशन हो परिवेश।।
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पाकर बाती-नेह को,
लुटा रहा है नूर।
नन्हा दीपक कर
रहा, अन्धकार को दूर।।
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लछमी और गणेश के, रहें
शारदा साथ।
चरणों में इनके
सदा, रोज झुकाओ माथ।।
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कभी विदेशी माल
का, करना मत उपयोग।
सदा स्वदेशी का
करो, जीवन में उपभोग।।
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मेरे भारतवासियों,
ऐसा करो चरित्र।
दौलत अपने देश की,
रखो देश में मित्र।।
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बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर दीपपर्व के दोहे ।
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार