करते रहते समर में, जो जीवन संघर्ष।
होता उनके देश का, दुनिया में उत्कर्ष।।
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आदिकाल से ही रही, भारत की यह रीत।
भेद-भाव के बिना हम, करते सबसे प्रीत।।
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कालचक्र को देखकर, होते नहीं उदास।
इसीलिए तो देश का, उन्नत है इतिहास।।
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धरती को माता कहें, हम भारत के वीर।
प्राणों से प्यारा हमें, है अपना कश्मीर।।
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आजादी के समय जो, भूल कर गये लोग।
उसका ही परिणाम हम, आज रहे हैं भोग।।
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जिन्ना-नेहरू ने किया, विघटित हिन्दुस्तान।
पग-पग पर अब घेरता, हमको पाकिस्तान।।
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उचित समय अब आ गया, कर दो काम तमाम।
सीना छप्पन इंच का, कब आयेगा काम।।
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माटी से आने लगी, अब तो ये आवाज।
लहरा दो लाहौर में, अपना झण्डा आज।।
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हमेशा के लिये झंझट ही खत्म हो जाये !
जवाब देंहटाएंमाटी से आने लगी, अब तो ये आवाज।
जवाब देंहटाएंलहरा दो लाहौर में, अपना झण्डा आज।।
....बहुत सुन्दर ...