आपस में लड़ने लगी, यदुवंशी
तलवार।
अपने ही तटबन्ध की, लगी काटने
धार।।
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सुलह सफाई के हुए, कुण्ठित
सब हथियार।
भाई-भतीजावाद का, बिखर गया
परिवार।।
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सत्ता पाने के लिए, कुनबे
की है जंग।
देख रहा मुखिया यहाँ,
राजनीति के रंग।।
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होगा कुनबेवाद का, जिस दल
में अधिकार।
उस दल का बेड़ा भला, होगा कैसे
पार।।
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कैसे होगा फैसला, घर की है
ये रार।
नहीं पाटने से पटे, बढ़ती
हुई दरार।।
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उड़ती हुई पतंग की, डोर गयी
है टूट।
जाने किसके भाग में, आयेगी
अब लूट।।
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लेकर भगवा चल पड़ा, राम
नाम का साथ।
हाथी भी खुश हो रहा, आगे
बढ़ता हाथ।।
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राम नाम के सामने, डटा हुआ
रहमान।
जनमत पाने की नहीं, राह यहाँ
आसान।।
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सटीक दोहे ।
जवाब देंहटाएंराजनीति में सब जायज जो है
जवाब देंहटाएंसटीक सामयिक प्रस्तुति
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2508 में दिया जाएगा ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार