मौमिन को सन्देश ये, देते हैं रमजान।।
पाँचों वक्त नमाज पढ़, कहता पाक कुरान।
बुरा किसी का सोच मत, सिखलाते रमजान।।
नाम इबादत के अलग, देश-काल अनुरूप।
लेकिन मक़सद एक है, अलग भले हों “रूप”।।
जर्रे-जर्रे में बसा, राम और रहमान।
सिखलाते इंसानियत, पूजा और अजान।।
मर्म बताते धर्म का, गीता और कुरान।
सारे प्राणी धरा के, ईश्वर की सन्तान।।
खुद जिसके आदेश पर, चलता सकल जहान।
बन्धन में रहता नहीं, खुदा और भगवान।।
सारी पोथी धर्म की, करती हैं ताक़ीद।
जिसके मन में प्यार है, उसके सभी मुरीद।।
मज़हब चाहे कोई हो, करना सबका मान।
भाईचारे से बने, अपना देश महान।।
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बुधवार, 16 मई 2018
दोहे "रमजान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर संदेश देते दोहे।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.05.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2973 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुंदर संदेश
जवाब देंहटाएं