मित्रों!
स्व. गोपालदास नीरज से
जुड़ी एक स्मृति प्रस्तुत कर रहा हूँ। जब मैं अन्तिम बार “नीरज” जी से मिला था।
दिनांक 27 मई, 2013 को खटीमा में एक
आलइण्डिया मुशायरा एवं कविसम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन
उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल श्री अजीज कुरैशी ने किया था। इस आयोजन में
हिन्दोस्तां के नामचीह्न शायर और वयोवृद्ध गीतकार गोपालदास नीरज भी उपस्थित थे।
इस
अवसर पर मैं (डॉ,रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ने श्री राज्यपाल एवं नीरज जी को अपनी चार पुस्तकें "सुख का
सूरज", "धरा के
रंग", हँसता-गाता
बचपन" और "नन्हे सुमन" भी भेंट करते हुए अपना काव्यपाठ भी किया
था।
इस आयोजन में पद्मभूषण
गोपाल दास नीरज, प्रो.वसीम बरेलवी, शशांक प्रभाकर अलीगढ़, सिकन्दर हयात गड़बड़, नदीम फारूख, कशिश वारसी, अफॉजॉल मंगलौरी, रुस्तम रामपुरी, एहसान वारसी, रुस्तम वारसी, आद शायरों और डॉ.सरिता
शर्मा, तरन्नुम अनवर, नुजहत निगार, ममता सिंह देहरादून, खुशबू शर्मा मुजफ्फरनगर, शबीना अदीब कानपुरी आदि
शायरात ने अपने-अपने कलाम से नवाजा।
इस आलइण्डिया मुशायरा एवं
कविसम्मेलन के आयोजक हाजी वसीमं कुरैशी और एम.फहीम ताज थे।
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शुक्रवार, 20 जुलाई 2018
संस्मरण "नीरज जी से अन्तिम भेंट" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत बढियां, ढेरों नमन
जवाब देंहटाएंइंसान चला जाता है लेकिन उसकी यादें यही रहती हैं....
जवाब देंहटाएंनीरज जी को हार्दिक श्रद्धांजलि!
नीरजजी को श्रधांजलि
जवाब देंहटाएं