मिलन नहीं है वासना, आलिंगन उपहार।।
पश्चिम के परिवेश की, ले करके हम आड़।
आलिंगन के नाम पर, करते हैं खिलवाड़।।
एकदिवस के लिए क्यों, करते हो व्यापार।
जीवनभर करते रहो, मीठा-मीठा प्यार।।
मानवता अपनाइए, यही हमारा मन्त्र।
वासनाओं के लिए क्यों, ढोंग और षड़यन्त्र।।
अपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
आलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग।।
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मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019
दोहे "छोड़ विदेशी ढंग (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
जवाब देंहटाएंएकदिवस के लिए क्यों, करते हो व्यापार।
जीवनभर करते रहो, मीठा-मीठा प्यार।।
बहुत सुंदर संदेश शास्त्री सर आपका।
सभी को सुबह का प्रणाम।