उत्तर देता रहेगा, दुश्मन को माकूल।।
खाम-खयाली में यहाँ, रहना नहीं हुजूर।
समझौता अन्याय से, नहीं हमें मंजूर।।
जितनी मिली चुनौतियाँ, सब करली स्वीकार।
कायर के घर में किया, सेनाओं ने वार।।
रणकौशल में निपुण हैं, सैनिक-सेनाधीश।
झुकने देंगे वो नहीं, भारत माँ का शीश।।
अब भी आओ होश में, कहता हिन्दुस्तान।
नहीं बचेगा युद्ध में, साबुत पाकिस्तान।।
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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019
दोहे "समझौता अन्याय से, नहीं हमें मंजूर"
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एक-एक बात सच। दुश्मन समझ जाए तो अच्छा ही है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-02-2020) को "प्रेम दिवस की बधाई हो" (चर्चा अंक-3611) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
आँचल पाण्डेय
बहुत सुंदर हौसला और आह्वान करते दोहे।
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