सीमाओं पर देश की, सैनिक हैं तैनात।
बैरी से सीधे करो, गोली से अब बात।।
बैरी कायर की तरह, जब करता हो घात।
रुकना शह देकर नहीं, करना पूरी मात।।
मन में अब तो प्रीत के, नहीं रहे ज़ज़्बात।
अब लातों के भूत से, करो न कोई बात।।
दिखला दो अब दुष्ट को, उसकी असली जात।
हो पायेगी कारगर, तभी काम की बात।।
जो सेना की राह में, छिप कर करते घात।
अब होनी ही चाहिए, उनकी नष्ट जमात।।
बन्द कीजिए दुष्ट से, कूटनीति की बात।
बता दीजिए नीच को, अब उसकी औकात।।
कहता शासन से यही, नगर और देहात।
सुलह-सफाई की नहीं, बैरी से हो बात।।
नफरत का अब बढ़ गया, बहुत अधिक अनुपात।
बन्द कीजिए मान्यवर, कूटनीति की बात।।
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रविवार, 17 फ़रवरी 2019
दोहे "करना पूरी मात" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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