जो शिव-शंकर को भाती है
बेल वही तो कहलाती है
तापमान जब बढ़ता जाता
पारा ऊपर चढ़ता जाता
अनल भास्कर जब बरसाता
लू से तन-मन जलता जाता
तब पेड़ों पर पकती बेल
गर्मी को कर देती फेल
इस फल की है महिमा न्यारी
गूदा इसका है गुणकारी
पानी में कुछ देर भिगाओ
घोटो-छानो और पी जाओ
ये शर्बत सन्ताप हरेगा
तन-मन में उल्लास भरेगा
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शुक्रवार, 24 मई 2019
बालकविता "शिव-शंकर को प्यारी बेल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25 -05-2019) को "वक्त" (चर्चा अंक- 3346) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी