चल पड़े हैं हम सफर में, कैमरा ले हाथ में। कैद करने को नजारे, हमसफर है साथ में।। राह में हमको दिखाई दे गये, फलदार ठेले। रोक करके कार को क्रय कर लिए अंगूर-केले।। लाडली प्राची इन्हें खाती बड़े ही चाव से। आ गये बाबा हमारे शहर, अपने गाँव से।। पुत्र ने स्वागत किया, आशीष हमने भी दिया। संगिनी के साथ में, जलपान भी जमकर किया।। साथ सब बैठे हुए हैं, प्यार ही परिवार है। चार दिन की ज़िन्दगी में, प्यार ही आधार है।। अब चले हम अपने घर को, राह में थे सुन्दर नज़ारे श्रीमती जी ने इन्हें कैमरे में कैद करती चली गयीं। अरे! यह तो ज़ॉलीग्रांट एयरपोर्ट है! बस अब ऋषिकेश आने ही वाला है। यहाँ जंगल भी कितना सुन्दर है! सूखे पत्ते गिर गये हैं और पेड़ों ने नये पल्लव पा लिये हैं। सुबह-सुबह सड़क पर इक्का-दुग्गा वाहन भी दिखाई दे रहे हैं। अरे यह तो चन्द्रभागा नदी है। जो 10 महीने सूखी रहती है। अब हम ऋषिकेश आ गये हैं। हमारे साथ में रहे आयोग के पूर्व सदस्य मदनलाल जाटव के घर भी तो जाना है। सामने फल की दूकान है, कुछ फल भी तो खरीदने हैं! त्रिवेणीघाट ऋषिकेश में फूलों की दुकानें सजी हुई हैं। चलो हम भी गंगाजल से आचमन कर लेते हैं। माँ भागीरथी का तटबन्ध कितना सुन्दर है। श्रीमती जी ने तो गंगाजल से आचमन कर लिया है। चलो अब हम भी जलाभिषेक कर लेते हैं। अरे यहाँ तो काले रंग का नन्दी भी आराम कर रहा है। आओ अब वापिस चलते हैं। यहाँ से घर के लिए प्रसाद भी तो लेना है! बाजार में चहल-पहल बढ़ने लगी है। मदन लाल जाटव की दुकान आ गई है। हमने अपनी कार रोक दी और उनकी दुकान पर जा धमके। दो मित्रों का मिलन बड़ा सुखद रहा। श्रीमती जी यह दृश्य देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रही हैं। कितनी सजी-धजी है इनकी दुकान। अरे जाटव जी को अपनी किताबें भी तो भेंट करनी हैं। पिता-पुत्र हमको भावभीनी विदाई देते हुए। अब हम चले हरिद्वार की ओर- हर की पौड़ी का विहंगम दृश्य। यहाँ से तो माता मनसा देवी का मन्दिर भी दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर माँ चण्डी देवी का भी मन्दिर है- और यह है गंगा नदी पर बना लम्बा और विशाल पुल! यहाँ से तो चण्डी देवी का मन्दिर साफ नजर आ रहा है। अब हम माँ चण्डी देवी के उड़नखटोले के पास ही पहुँचनेवाले हैं। और यहाँ से उड़खटोले पर सवार हुआ जाता है। माँ चण्डी देवी के दरबार में जाने के लिए! यह है श्यामपुर-काँगड़ी में बने मनोरम मन्दिरों की झलक। अरे! अब तो कैमरे की बैटरी लो हो गई है। शेष अगली यात्रा में ... |
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रविवार, 11 अप्रैल 2021
कार यात्रा ♥ फोटोफीचर ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सादर अभिनन्दन
जवाब देंहटाएंदेवनगर का दर्शन हो गया सजीव चित्रों के माध्यम से
सुन्दर सभी चित्र
बहुत ही सुंदर।👌🌻
जवाब देंहटाएंसुन्दर दृश्यावलोकन ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंसजीव चित्रों से सजे यादगार पल सदैव जीवंत
रहेंगें
कमाल का संयोजन और सृजन
अद्भुत
सादर
आदरणीय शास्त्री जी,आज तो आप का फोटोग्राफर,लेखक,कवि तथा एक संयुक्त परिवार के मुखिया,कई रूप में दिखाई दे रहे हैं,आपको असंख्य बधाईयां ,आप हमेशा ऐसे ही मनोरम झांकी हमें दिखाते रहें,यही कामना है ।आपको मेरा सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और यादगार पल,आपकी इस यात्रा ने हमें भी मनोरम दृश्यों की झलक दिखला दी। सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर छाया चित्र, हृषिकेश, हरिद्वार, मनसा देवी, देव नगरी का दर्शन , सब बीते लम्हें याद आए जब पिछले वर्ष हम आप के इन स्थानों का दर्शन किए थे अर्जुन का रथ मोहक, उससे और आगे बांए स्नान आचमन बेंच तरुवर पर आसीन थे,रोचक बाल कविता, सब से परिचय , सुन्दर,प्रणाम शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंसुंदर यात्रा वर्णन चित्र जीवंत जैसे स्वयं ही सब देख रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंरोचकता से भरपूर पोस्ट।
बहुत बहुत बधाई।
अतिसुंदर चित्रण देख कर यादें ताजा हो गई
जवाब देंहटाएंवाह चित्रों को देखकर ताजगी आ गई।
जवाब देंहटाएं