निष्ठा से पूजन करो, लेकर दीपक-धूप।। -- सच्चे मन से कीजिए, माता का गुण-गान। माता तो सन्तान का, रखती पल-पल ध्यान।। -- अभ्यागत को देखकर, होना नहीं उदास। करो प्रेम से आरती, रक्खो व्रत-उपवास।। -- शुद्ध बनाने के लिए, आते हैं नवरात्र। ज्ञानी बनने के लिए, पढ़ो नियम से शास्त्र।। सारे सपनों को करें, माता जी साकार। कर्मों से ही तो बने, जीवन का आधार।। -- ज्ञानदायिनी शारदे, भर दो खाली ताल। वीणा की झंकार से, कर दो मुझे निहाल।। |
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बुधवार, 14 अप्रैल 2021
दोहे "सबको देते प्रेरणा, माता के नवरूप" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दोहे।
जवाब देंहटाएंमां को समर्पित सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-04-2021 को चर्चा – 4037 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
बहुत सुंदर 👌🌻
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंजय माता दी
सारे सपनों को करें, माता जी साकार।
जवाब देंहटाएंकर्मों से ही तो बने, जीवन का आधार।।
बहुत सुंदर दोहे...🌹🙏🌹
शुद्ध बनाने के लिए, आते हैं नवरात्र।
जवाब देंहटाएंज्ञानी बनने के लिए, पढ़ो नियम से शास्त्र।।
बिल्कुल सही फरमाया आपने आदरणीय शास्त्री जी नवरात्रा पर बहुत ही सुंदर दोहे