![]() सुबह-शाम कर लीजिए, सच्चे मन से योग। तन-मन को निर्मल करे, योग भगाए रोग।१। -- दुनियाभर में बन गया, योग-दिवस इतिहास। योगासन सब कीजिए, अवसर है यह खास।। मानुष जन्म मिला हमें, करने को शुभकाम। पापकर्म करके इसे, मत करना बदनाम।। थोड़े से ही योग से, काया रहे निरोग।। तन-मन को निर्मल करे, योग भगाए रोग।२। -- सारे जग को दे दिया, हमने अब सन्देश। हो जाता है योग से, निर्मल सब परिवेश।। सरदी-गरमी हो भले, चाहे हो बरसात। करना योग प्रचार को, देश-नगर देहात।। भोगवाद के समय में, बहुत जरूरी योग। तन-मन को निर्मल करे, योग भगाए रोग।३। -- योग हमारा कर्म है, योग हमारा धर्म। प्राणिमात्र कल्याण का, छिपा योग में मर्म। गूँजा पूरे विश्व में, ऋषियों का पैगाम। मन की मुक्त उड़ान पर, देता योग लगाम।। सहययोग करना सदा, मत करना हठयोग। तन-मन को निर्मल करे, योग भगाए रोग।४। -- चहक जायेगा सुमन जब, महकेगा उद्यान। वेदों ने हमको दिया, मन्त्रों में विज्ञान।। जगतनियन्ता ईश ने, हमको दिया विधान। जीवन जीने के लिए, राह चुनों आसान।। दुनियादारी का करो, संयम से उपभोग। तन-मन को निर्मल करे, योग भगाए रोग।५। -- |
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मंगलवार, 21 जून 2022
गीत "योग दिवस-बहुत जरूरी योग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसामयिक और सारगर्भित सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर,योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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