-- आमन्त्रण में बल हो तो , तस्वीर बदल जाती है। पत्थर भी भगवान बनें, तकदीर बदल जाती है।। -- अधरों को सीं करके, जब इक मौन निमन्त्रण मिलता, नयनों की भाषा से ही, पता-बूटा खिलता, बिन गुंजन ही भँवरे की- तदवीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो , तस्वीर बदल जाती है।। -- सरसों फूली, टेसू फूले, फूल रहा है, सरस सुमन, भीगेंगे अनुराग-प्यार में, आशाओं के तन और मन, आलिंगन के सागर में- ताबीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो, तस्वीर बदल जाती है।। पगचिह्नों का ले अवलम्बन, आगे बढ़ते जाओ, मन के दर्पण में खुद अपनी, धड़कन पढ़ते जाओ, पल-पल में परछाँई की, तासीर बदल जाती है। आमन्त्रण में बल हो तो, तस्वीर बदल जाती है।। -- |
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सोमवार, 3 अप्रैल 2023
गीत "धड़कन पढ़ते जाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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