-- गर्मी-सर्दी दोनों में, सुख देती अपनी खादी है खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- महँगाई के कारण खादी, जन-जन से अब दूर हो गई, खादी-भूषा, हिन्दी-भाषा, भारत में मजबूर हो गयी. नजरबन्द हो गयी देश में, भारत की शहजादी है खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- खादी को बदनाम किया है, चाटुकार-गद्दारों ने खादी का अपमान किया है, चालबाज-मक्कारों ने नेताओं ने सबसे ज्यादा, की इसकी बरबादी है खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- रँगे हुए स्यारों ने, बापू जी को बहुत भुनाया है उस थाली में छेद किया, जिसमें भोजन को खाया है सत्ता का सुख मिला उसी को, जो दुर्जन-अपराधी है खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- नर ही नारायण बनकर, कल्याण स्वयं का करते हैं भोले-भालों को भरमाकर, अपनी झोली भरते हैं मकड़ी के जालों में उलझी, जनता सीधी-सादी है खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- सूख गई सरिताएँ सारी, तालाबों में काई है हरियाली मिट गई धरा से, कंकरीट उग आई है शस्य-श्यामला धरती पर, बढ़ती जाती आबादी है, खादी के ही साथ जुड़ी, निज भारत की आजादी है -- |
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रविवार, 9 अप्रैल 2023
गीत "नजरबन्द हो गयी देश में अपनी प्यारी खादी है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खादी पर बहुत ही सार्थक और विचारणीय गीत।
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