-- समता और समानता, था जिनका अभियान। जननायक थे देश के, बाबा भीम महान।। -- धन्य-धन्य अम्बेडकर, धन्य आपके काज। दलितों वर्ग से आपने, जोड़ा सर्वसमाज।। -- दिया हमें कानून का, खिला हुआ बागान। भीमराव अम्बेदकर, थे भारत की शान।। -- समावेश करके सभी, देशों का मजमून। हितकारी सबके लिए, लिखा सही कानून।। -- एक वर्ग करने लगा, बाबा का उपभोग। राजनीति करने लगे, बाबा जी पर लोग।। -- था जिनके मन में बसा, सारा हिन्दुस्तान। उस भारत के भीम के, धूमिल हैं अरमान।। -- बाबा जी का जन्मदिन, देता है सन्देश। समता का इस देश में, बना रहे परिवेश।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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लेबल
-अच्छा लगता है
-एक गीत"
-नाच रहा इंसान
-नेह के दीपक
-बादल
-सन्देश-
:(नवीन जोशीःनवीन समाचार से साभार)
:ताजमहल का सच
:स्वर-अर्चना चावजी का
!!रावण या रक्तबीज!!
‘‘चम्पू छन्द’’
''धान खेत में लहराते"
‘‘बाल-गीत’’
‘‘वन्दना’’
‘‘हाइकू’’
'आप' का अन्दाज़ बिल्कुल 'आप' सा
‘कुँवर कान्त’
‘क्षणिका’
‘ग़ज़लियात-ए-रूप’
'गबन' और 'गोदान'
‘चन्दा और सूरज’
‘भूख
‘रूप’ का इस्तेमाल मत करना
‘रूप’ की महताब
‘रूप’ के पास एक विपुल जीवनानुभव है
'रूप' बदलता जाता है
'सिफत' के लिए शुभाशीष
‘सुख का सूरज’ को पढ़ने का अनुभव
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"सुन्दर सूक्तियाँ"
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"हमारे प्रधानमन्त्री मोदी जी का जन्मदिन"
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“हरेला”
“हिन्दी व्यञ्जनावली-पवर्ग”
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17-04-2015 (शुक्रवार) को प्रातः 10 बजे से यज्ञ (हवन) तत्पश्चात श्रद्धांंजलि
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2009 को ताऊ डॉट इन पर मेरा साक्षात्कार
2016
2017
2017 में मेरा गीत प्रकाशित
2017 में मेरी बालकविता
2019
2019 में मेरी बालकविता
2021
2022
243वीं पुण्य तिथि पर
25 दिसम्बर
26 जनवरी का इतिहास
30 सितम्बर
38वी
4 अक्टूबर
40वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
42वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
5 दिसम्बर
5 मार्च मेरे पौत्र प्रांजल का जन्मदिन
50वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
8 जून 2013
9 नवम्बर
9 नवम्बर 2000
9 फरवरी
ंहकी हवाएँ
अंकगणित के अंक
अंकुर हिन्दी पाठमाला में बिना मेरी अनुमति के मेरी बाल कविता
अंग ठिठुरता जाय
अँगरेजी का जोर
अँगरेजी का रंग
अंगिया के सँग आज
अंग्रेजी का मित्रवर छोड़ो अब व्यामोह
अंजाना ये गाँव है
अंजाने से इस आँगन में
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन
अँधियारा हरते जाएँगे
अकड़ा हुआ है आदमी
अकविता
अक्टूबर 2019 में मेरा गीत
अक्टूबर-2017
अक्टूबर-2018)
अक्षर बड़े अनूप
अखबारों में नाम
अगजल
अग़ज़ल
अगर न होंगी नारियाँ
अगर न होती बेटियाँ थम जाता संसार
अगर न होती रोटियाँ मिट जाता संसार
अगस्त 2017
अचरज में है हिन्दुस्तान
अच्छा लगता घाम
अच्छा लगता है
अच्छा व्यक्ति बनना बहुत जरूरी है
अच्छा साहित्यकार
अच्छी नहीं लगतीं
अच्छी लगती घास
अच्छी सेहत का राज
अच्छे नहीं आसार हैं
अच्छे हों उपमान
अजब-ग़ज़ब थे रंग
अज़ल
अज्ञान के तम को भगाओ
अज्ञानी को ज्ञान नहीं
अटल आपका नाम
अटल बिहारी का जन्मदिन
अटल बिहारी के बिना
अटल बिहारी बाजपेई
अटल बिहारी वाजपेई
अडिगता-सजगता का प्रण चाहता हूँ
अड्डा पाकिस्तान
अढ़सठ आज बसन्त
अणलतास के पीले झूमर
अतिवृष्टि
अतुकान्त
अदाओं की अपनी रवायत रही है
अदायें निशानी
अद्भुत अपना देश
अधिकार नहीं माँगूगा
अध्यापक की बात
अध्यापक दिवस
अनज़ान रास्तों पे निकलना न परिन्दों
अनीता सैनी
अनुत्तरित प्रश्न
अनुबन्धों का प्यार
अनुबन्धों की मत बात करो
अनुभावों की छिपी धरोहर
अनुभावों की धरोहर
अनुवाद
अनुवादक : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”
अनोखा संस्मरण (परलोक)
अनोखी गन्ध
अन्त किया अत्याचारी का
अन्तरजाल
अन्तरजाल हुआ है तन
अन्तरराष्ट्रीय नारि-दिवस पर दो व्यंग्य रचनाएँ
अन्तरराष्ट्रीय मित्रता-दिवस
अन्तर्जाल
अन्तर्राष्टीय मूर्ख दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन की चित्रावली
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अन्तस आशाएँ मुस्काती हैं
अन्तस् मैले हैं
अन्धविश्वास या इत्तफाक
अन्धा कानून
अन्न उगाओ
अन्नकूट
अन्नकूट (गोवर्धनपूजा)
अन्नकूट त्यौहार
अन्नकूट पूजा
अन्नकूट पूजा करो
अन्नकूट/गोवर्धन पूजा
अन्ना
अन्ना हजारे
अन्ना-रामदेव
अन्र्तरजाल
अपना गणतन्त्र
अपना चौकीदार
अपना दामन सिलना होगा
अपना देश महान
अपना धर्म निभाओगे कब
अपना नीड़ बनाया है
अपना नैनीताल
अपना बना गया कोई
अपना भगवा रंग
अपना भारत देश
अपना भारत देश महान
अपना शीश नवाता हूँ
अपना हिन्दुस्तान
अपना है गणतंत्र महान
अपनायेंगे योग
अपनावतन
अपनी आजादी
अपनी बेरी गदरायी है
अपनी भाषा मौन
अपनी भाषा हिन्दी
अपनी माटी गीत सुनाती
अपनी मुरलिया बना तो
अपनी मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए
अपनी रक्षा का बहन
अपनी वाणी मधुर बनाओ
अपनी हिन्दी
अपनी हिन्दी नागरी
अपनीआजादी
अपनीबात
अपने छोटे से जीवन में
अपने ज़माने याद आते हैं
अपने पैर पसार चुका है
अपने भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन
अपने मन को बहलाते हैं
अपने वीर जवान
अपने शब्दों में धार भरो
अपने सढ़सठ साल
अपने स्वर में गाते हैं
अपने हिन्दुस्तान की
अपराधी-कुख्यात बन गया
अफजलगुरू
अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया
अब आँगन में वृक्ष
अब इस ओमीक्रोन से
अब कागा की काँव में
अब कैसे सुधरें हाल सुनो
अब गर्मी पर चढ़ी जवानी
अब जगत के बन्धनों से मुक्त होना चाहता हूँ
अब जम्मू-कश्मीर की ध्वस्त करो सरकार
अब जलधार कहाँ से लाऊँ
अब जला लो मशालें
अब जूते के सामने
अब झूठे सम्मान
अब तक का लोखा जोखा
अब तो करो प्रहार
अब तो जम करके बरसो
अब तो दुआ-सलाम
अब तो मस्त बयार
अब तो युद्ध जरूरी है
अब न कुठाराघात करो
अब नीड़ बनाना है
अब पढ़ना मजबूरी है
अब पैंतालिस वर्ष
अब बगीचे में ग़ुलों पर आब है
अब बसन्त आने वाला है
अब बसन्त आयेगा
अब भी वीर सुभाष के
अब मिट गया वजूद
अब मेरी तबियत ठीक है
अब मेरे सिर पर नहीं
अब रिश्वत का चलन मिटायें
अब हिन्दी की धूम
अबकी बार दिवाली में
अभिनय करते लोग
अभी शीत का योग
अमन
अमन का सन्देश
अमन चाँदपुरी
अमन हो गया गोल
अमर बारती
अमर भारती
अमर भारती जिन्दाबाद
अमर रहे साहित्य
अमर रहेगा जगत में
अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई की 159वीं पुण्यतिथि
अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई के 185वें जन्मदिवस पर
अमर वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई
अमर वीरांगना लक्ष्मीबाई और श्रीमती इन्दिरा गांधी का जन्मदिवस
अमरउजाला
अमरभारती
अमरभारती पहेली 100 के परिणाम
अमरूद
अमरूद गदराने लगे
अमल-धवल होता नहीं
अमलतास
अमलतास का रूप
अमलतास का हो गया
अमलतास के गजरे
अमलतास के झूमर
अमलतास के पीले गजरे
अमलतास के पीले झूमर
अमलतास के पीले झूमर बहुत लुभाते हैं
अमलतास के फूल
अमलतास खिलता-मुस्काता
अमलतास तुम धन्य
अमलतास राहत पहुँचाता
अमिया
अमृता पांडे
अम्बेदकर जी का जन्मदिन
अयोध्या पर फैसला
अरमानों की डोली
अर्चना चावजी
अर्चना चावजी और रचनाबजाज
अर्चना-रचना
अर्चाना चावजी
अर्द्धकुम्भ की धूम
अलग सा लिखो अब गजल-गीत में
अलग-अलग हैं राग
अलबेला खत्री जी को श्रद्धाजलि
अलाव
अशोक कुमार मिश्र
अष्टमी-नवमी और विजयादशमी
असली 'रूप' दिखाता दर्पण
असार-संसार
अस्तित्व
अस्मत बचाना चाहिए
अहंकार की हार
अहसास
अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी-पर्व अहोई खास
अहोई-अष्टमी
अहोईअष्टमी
आ गई गुलशन में फिर बहार
आ गया नव वर्ष फिर से
आ गया बसन्त. बसन्तपंचमी
आ गया है दादुरों को गीत गाना
आ गयी दीपावली
आ गये नेता नंगे
आ गये फकीर हैं
आ गये बादल
आ जाओ अब कृष्ण-कन्हैया
आ जाओ गोपाल
आ जाओ घनश्याम
आ जायेगी खुद्दारी
आ भी आओ चन्द्रमा
आ भी आओ चन्द्रमा आकाश में
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में
आ भी जाओ!
आ हमारे साथ श्रम को ओढ़ ना
आँखें
आँखें कर देतीं इज़हार
आँखें कुदरत का उपहार
आँखें नश्वर देह का
आँखों का उपहार
आँखों का दर्पण
आँखों के बिन जग सूना है
आँखों को स्वाद चखाते हैं
आँखों में होती है भाषा
आँगन बदल रहा है
आँचल में है दूध और
आँसू
आँसू औ’ मुस्कान
आँसू का अस्तित्व
आँसू की कथा-व्यथा
आँसू यही बताते हैं
आइना
आई चौदस रूप की
आई फिर से लोहिड़ी
आई फिर से लोहिड़ी आई फिर से लोहिड़ी लेकर नवल उमंग।
आई फिर से लोहिड़ी लेकर नवल उमंग।
आई फिर से होली
आई बसन्त-बहार
आई होली
आई होली रे
आई होली रे!
आओ अपना धर्म निभाएँ
आओ गौतम बुद्ध
आओ तिरंगा फहरायें
आओ दीप जलायें हम
आओ दूर करें अँधियारा
आओ पेड़ लगायें हम
आओ प्यार की बातें करें
आओ मोहन प्यारे आओ
आओ हिन्दी-दिवस मनायें
आका का यहाँ रुतबा सलामत है
आकाश अब तक रो रहा है
आग के बिन धुँआ नहीं होता
आग बरसती धरा पर
आगत का स्वागत करने में
आगरा
आगे बढ़ना आसान नहीं
आगे बढ़िए-आगे बढ़िए....
आचमन के बिना
आचरण
आचरण होता नहीं
आचरण-व्यवहार अब कैसे फलेगा
आचार की बातें करें
आचार्य देवेन्द्र देव
आज अहोई पर्व
आज आदमी बौना है
आज और कल का भेद
आज करवाचौथ पर मन में हजारों चाह हैं
आज का नेता
आज कुछ उपहार दूँगा
आज के परिवेश में
आज खिले कल है मुरझाना
आज तो मूर्ख भी दिवस है ना
आज दिवस प्रस्ताव
आज नदारद प्याज
आज नीम की छाँव
आज पुरवा-बयार आयी है
आज फिर बारिश डराने आ गयी
आज बरखा-बहार आयी है
आज बहनों की हैं ये ही आराधना
आज बहुत है शोक
आज मेरे देश को सुभाष चाहिए
आज रफायल बन गया
आज विश्व हिन्दी दिवस
आज शाखाएँ बहकी
आज शिक्षक दिवस है
आज सुखद संयोग
आज सुखद-संयोग
आज हम खेलें ऐसी होली
आज हमारी खिलती बगिया
आज हा-हा कार सा है
आज हारी है अमावस
आज हिन्दी ब्लॉग दिवस है
आज हुई बरसात
आज-कल
आजाद भारत
आजाद हिन्दुस्तान के नारे बदल गये
आजादी
आजादी अक्षुण्ण हमारी
आजादी करती है आज सवाल
आजादी का तन्त्र
आजादी का तोहफा
आजादी का पर्व
आजादी का मन्त्र
आजादी की वर्षगाँठ
आजादी मुझको खलती है
आठ दोहे
आठ मार्च-आठ दोहे
आड़ू
आतंक को पाल रहा नापाक
आतंकवाद
आतंकी
आता खूब बहाव
आती इन्दिरा याद
आती नहीं तमीज
आते हैं नवरात्र
आते हैं बदलाव
आदत में अब चाय समायी
आदत है हैवानों की
आदमी उदास है
आदमी का चमत्कार
आदमी को छल रही है जिन्दगी
आदमी तो आज फिर से ताज पा गया
आदमी मजबूर है
आदमी से अच्छे जानवर
आदमी ही बन गये हैं
आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार
आधा "र्" का प्रयोग
आधी आजादी
आधुनिक भारत के निर्माता चाचा नेहरू
आन-बान
आने के ही साथ बँधी है
आने लगा है मज़ा मात में
आने वाला नया साल
आने वाला है नया साल
आने वाला है बसन्त
आप सबको मुबारक नया वर्ष हो
आपका एहतराम करते हैं
आपके बिन मेरी होली सूनी है।
आपदा आफत मचाने आ गयी
आपस के सम्बन्ध
आपस में तकरार
आपस में मतभेद
आपस में सुर मिलाना
आपाधापी
आफत की बरसात
आफत के परकाले
आभार
आभारदर्शन
आभासी दुनिया
आभासी संसार
आभासी संसार में
आम
आम और लीची
आम और लीची का उदगम
आम के वास्ते अब कहाँ तन्त्र है
आम गया है हार
आम दिलों में खास
आम पिलपिले हो भले
आम पेड़ पर लटक रहे हैं
आम फलों का राजा होता
आम में ज़ायका नहीं आता
आम में भरा हुआ है माल
आम हो गया खास का
आम-नीम बौराये फिर से
आमआदमी
आमन्त्रण
आमों की बहार आई है
आया देवउठान
आया नया निखार
आया नहीं सुराज
आया पास किनारा
आया फागुन मास
आया फिर भूचाल
आया बसन्त
आया बसन्त-आया बसन्त
आया भादौ मास
आया मधुमास
आया राखी का त्यौहार
आया स्वर्णिम दौर
आया है ऋतुराज
आया है तरबूज सुहाना
आया है त्यौहार ईद का
आया है त्यौहार तीज का
आया हैं मधुमास
आयी रेल
आयी रेल-आयी रेल
आयी सावन तीज
आयी है बरसात
आयी है शिवरात
आयी होली
आयी होली-आयी होली
आये सन्त कबीर
आये हैं शैतान
आयेगा इस बार भी नया-नवेला साल
आरती
आरती उतार लो
आरती उतार लो आ गया बसन्त है
आराधना
आर्य समाज: बाबा नागार्जुन की दृष्टि में
आलिंगन उपहार
आलिंगन-दिवस (HUG_DAY)
आलिंगन/चुम्बन दिवस
आलिंगनदिवस
आलू
आलूबुखारा
आलेख
आलोकित परिवेश
आल्हा
आवश्यक सामान
आवश्यक सूचना
आवागमन
आवारा बादल हुए
आशा
आशा का चमत्कार
आशा का दीप जलाया क्यों
आशा के दीप
आशा के दीप जलाओ तो
आशा पर उपकार टिका है
आशा पर परिवार टिका है
आशा शैली
आशा है
आशाएँ मुस्काती हैं
आशाएँ विश्वास जगाती
आशाओं पर प्यार टिका है
आशियाना चाहिए
आशीष का
आशीष का छूट गया है साथ
आशीष तुम्हें मैं देता
आशु-कविता
आसमान
आसमान का छोर
आसमान की झोली से...
आसमान के दीप
आसमान में
आसमान में कुहरा छाया
आसमान में छाये बादल
आसमान में बादल छाया
आस्था-विश्वास
आह्वान
इंसान बदलते देखे हैं
इंसानियत का रूप
इंसानी पौध उगाओ
इंसानी भगवानों में
इक मौन-निमन्त्रण तो दे दो
इक शामियाना चाहिए
इक्कीस दोहे
इगास-देव उत्थान
इज़्ज़त के ह़कदार
इतनी मत मनमानी कर
इतने न तुम ऐंठा करो
इदारे बदल गये
इनकी किस्मत कौन सँवारे
इन्तज़ार
इन्तजार की ओस
इन्दिरा गांधी
इन्दिरा! भूलेंगे कैसे तेरो नाम
इन्द्र बहादुर सेन
इन्द्रधनुष का चौमासे में “रूप” हमें दिखलाते हैं
इन्द्रधनुष का रूप हमें दिखलाते हैं
इन्द्रधनुष के रंग निराले
इन्द्रधनुष भी मन को नहीं सुहाए रे
इन्सानी भगवानों में
इन्साफ की डगर पर
इबादत
इमदाद आयेगी
इलज़ाम के पत्थर
इल्म रहता पायदानों में
इशारे समझना
इस जीवन की शाम ढली
इस धरा को रौशनी से जगमगायें
इस नये साल में
ईद
ईद और तीज आ गई है हरियाली
ईद का चाँद आया है
ईद तीज आ गई है हरियाली
ईद मनाई जाती है
ईद मुबारक़
ईद-दिवाली में
ईद-दिवाली-होली मिलकर
ईमान बदलते देखे हैं
ईवीएम में बन्द
ईश्वर के आधीन
उग रहा शृंगार है
उगता दिल में प्यार
उगता है आदित्य
उगते-ढलते सूर्य की
उगने लगे बबूल
उग्रवाद-आतंक का
उच्चारण की सबसे लोकप्रिय प्रविष्टि
उच्चारण खामोश
उजड़ गया है तम का डेरा
उजड़ गया है नीड़
उजड़ा हुआ है आदमी
उज्जवल-धवल मयंक
उठाकर बजा तो
उड़ जायें जाने कब तोते
उड़ता गर्द-गुबार
उड़ता बग़ैर पंख के नादान आज तो
उड़ती हुई पतंग
उड़तीं हुई पतंग
उड़नखटोला द्वार टिका है
उड़नखटोला-यान
उड़ान
उड़ान में प्रकाशित
उतना पानी दीजिए जितनी जग को प्यास
उतना ही साहस पाया है
उत्कर्षों के उच्च शिखर पर चढ़ते जाओ
उत्तर अब माकूल
उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड का पर्व हरेला
उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस
उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस और संक्षिप्त इतिहास
उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर
उत्तराखण्ड के कर्मठ मुख्यमन्त्री
उत्तराखण्ड के पर्व हरेला पर विशेष
उत्तराखण्ड के मा. मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी का जन्मदिन
उत्तराखण्ड के मा. मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी जी का जन्मदिन
उत्तराखण्ड राज्य स्थापनादिवस
उत्तराखण्ड राज्य का स्थापना दिवस
उत्तरायणी
उत्तरायणी पर्व
उत्तरायणी-मकर संक्रान्ति
उत्तरायणी-लोहड़ी
उत्सव ललित-ललाम
उत्सव हैं उल्लास जगाते
उद्धव की सरकार
उद्धव गुट की हार
उन्नत अपना देश बनायें
उन्मीलन पत्रिका में मेरा एक गीत
उन्हें हम प्यार करते हैं
उपन्यास सम्राट को
उपमा में उपमान
उपवन के फूल
उपवन मुस्कायेगा
उपवन में अब रंग
उपवन में गुंजार
उपवन में हरियाली छाई
उपवन” का विमोचन
उपसर्ग और प्रत्यय
उपहार
उपहार में मिले मामा-मामी
उपासना का पर्व
उपासना में वासना
उफन रहे हैं ताल
उमड़-घुमड़ कर आये बादल
उमड़-घुमड़ कर बादल छाये
उमड़ा झूठा प्यार
उमड़ी पर्वत से जल धारा
उम्मीद मत करना
उम्र छियासठ साल हो गयी
उम्र जाती है ग़ुज़र
उलझ गया है ताना-बाना
उलझ गये हैं तार
उलझ रहे हैं तार
उलझन-झमेले रहेंगे
उलझा है ताना-बाना
उलझे हुए सवाल
उलझे हुए सवालों में
उलूक का भूत
उल्फत की होती
उल्फत के ठिकाने खो गये हैं
उल्लास का उत्तरायणी पर्व
उल्लू और गदहे
उल्लू का आतंक
उल्लू की परवाज
उल्लू की है जात
उल्लू जी का भूत
उल्लू बन जाना नहीं
उसका होता राम सा
उसूल नापता रहा
उसूल बाँटता रहा
ऋतुएँ तो हैं आनी जानी
ऋतुराज
ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता
ऋषियों का पैगाम
ऋषियों की सन्तान
ऋषियों की हम सन्ताने हैं
ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को श्रद्धाञ्जलि
एक अशआर
एक कविता और एक संस्मरण
एक गीत
एक गीत-एक कविता
एक दिन तो मचल जायेंगे
एक दोहा एक ग़ज़ल. झाड़ू की तगड़ी मार
एक दोहा और गीत
एक नज़्म
एक निवेदन
एक पाँच दो का टका
एक पुराना गीत
एक बालकविता
एक मरता है
एक मुक्तक
एक मुक्तक पाँच दोहे
एक मुक्तक-एक कुण्डलिया
एक रचना
एक रहो और नेक रहो
एक समय का कीजिए दिन में अब उपवास
एक समान विधान से
एक हजार
एक-विचार
एककविता एकगीत
एकगीत
एकता की धुन बजायें
एकल कवितापाठ
एकाकीपन
एतबार अपने पे कम हैं
एतिहासिक विवरण
एप्रिलफूल
एमिली डिकिंसन
एमीलोवेल
एला और लवंग
एला व्हीलर विलकॉक्स
एसी-कूलर फेल
ऐ दुलारे वतन
ऐतिहासिकआलेख
ऐसा करो उपाय
ऐसा फूल गुलाब
ऐसा हमें विधान चाहिए
ऐसे घर-आँगन देखे हैं
ऐसे पुत्र भगवान किसी को न दें
ऐसे होगा देश महान
ओ जालिम-गुस्ताख
ओ बन्दर मामा
ओ मेरे मनमीत
ओटन लगे कपास
ओम् जय शिक्षा दाता
ओले
ओलों की बरसात
ओसामा
और अब कितना चलूँगा...?
और न अब हिमपात करो
कंकड़ और कबाड़
कंकड़ देते कष्ट
कंकरीट का जाल
कंकरीट की ठाँव में
कंकरीटों ने मिटा डाला चमन
कंचन का गलियारा है
कंचन सा रूप
कंजूस मधुमक्खी
कंस आज घनश्याम हो गये
ककड़ी
ककड़ी खाने को करता मन
ककड़ी बिकतीं फड़-ठेलों पर
ककड़ी मौसम का फल अनुपम
ककड़ी लम्बी हरी मुलायम
ककड़ी-खीरा
ककड़ी-खीरा खरबूजा है
कचरे के अम्बार में
कच्चे घर अच्छे रहते हैं
कच्चेघर-खपरैल
कट्टरपन्थी जिन्न
कठमुल्लाओं की कटी
कठिन झेलना शीत
कठिन बुढ़ापा बीमारी है
कठिन बुढ़ापा होता है
कठिन हो गया आज गुज़ारा
कड़ाके की सरदी में ठिठुरा बदन है
कड़ी धूप को सहते हैं
कड़ुए दोहे
कण-कण में श्री राम
कथा
कथानक
क़दम क़दम पर घास
कदम बड़ायेंगे
कदम मिला कर चल रहा जीवनसाथी साथ
कदम-कदम पर घास
कनकइया की डोर तुम्हारे हाथो में
कनिष्ठ पुत्र विनीत का जन्मदिन
कनेर मुस्काया है
कपड़े का पंडाल
कब चमकेंगें नभ में तारे
कब तक तुम सन्ताप भरोगे?
कब तक मौन रहोगे
कब दिवस सुहाने आयेंगे
कब बरसेंगे बादल काले
कबूतर का घोंसला
कब्जा है "रूप" लुटेरों का
कभी आकाश में बादल घने हैं
कभी उम्मीद मत करना
कभी कुहरा
कभी न उल्लू तुम कहलाना
कभी न करना भंग
कभी न करना माफ
कभी न टूटे मित्रता
कभी नहीं रुकेगी यह परम्परा
कभी भी लाचार हमको मत समझना
कभी सूरज
कमल
कमल के बिन सरोवर पर
कमल पसरे है
कमल पसरे हैं
कमा रहे हैं माल
कम्प्यूटर
कम्प्यूटर और इंटरनेट
कम्प्यूटर और इण्टरनेट
कम्प्यूटर और जालजगत
कम्प्यूटर बन गई जिन्दगी
कम्बल-लोई और कोट से
कर दिया क्या आपने
कर दो काम तमाम
कर दो दूर गुरूर
कर लेना कुछ गौर
कर लो सच्चा प्यार
करके विष का पान
करगिल विजय दिवस
करगिल विजय दिवस-हमें दिलाता याद
करता नहीं कमाल
करता हूँ मैं ध्यान
करती मार्ग प्रशस्त
करते दिल पर वार
करते श्रम की बात
करना ऐसा प्यार
करना पूरी मात
करना भूल सुधार
करना मत कुहराम
करना मत दुष्कर्म
करना मत हठयोग
करना मतदान जरूरी है
करना राह तलाश
करना सब मतदान
करनी-भरनी. काठी का दर्द
करने को कल्याण
करने बवाल निकले
करने मलाल निकले
करलो अच्छे काम
करवा पूजन की कथा
करवाचौछ
करवाचौथ
करवाचौथ पर
करवाचौथ विशेष
करवाचौथ-निष्ठा का त्यौहार
करवे का त्यौहार
करें सितम्बर मास में
करो आज शृंगार
करो तनिक अभ्यास
करो पाक को ढेर
करो भोज स्वीकार
करो मदद हे नाथ
करो मेल की बात
करो रक्त का दान
करो शहादत याद
करो सतत् अभ्यास
करो साक्षर देश
कर्तव्य और अधिकार
कर्ता-धर्ता ईश्वर है
कर्म हुए बाधित्य
कर्मनाशा
कर्मों का ताबीज
कल की बातें छोड़ो
कल हो जाता आज पुराना
कल-कल
कल-कल शब्द निनाद
कलम मचल जाया करती है
क़लम मचल जाया करती है
कल़मकार लिए बैठा हूँ
कलयुग तुम्हें पुकारता
कलयुग में इंसान
कलियाँ नवल खिलने लगी हैं
कलियों ने भी अपना रूप निखारा है
कलेण्डर ही तो बदला
कल्पनाएँ निर्मूल हो गईं
कल्पित कविराज
कवर्ग
कवायद कौन करता है
कवि
कवि और कविता
कवि लिखने से डरता हूँ
कविगोष्ठी
कविता
कविता का आकार
कविता का आथार
कविता का आधार
कविता का संयोग
कविता को अब तुम्हीं बाँधना
कविता क्या है?
कविता दिवस
कविताओँ का मर्म
कविता्
कवित्त
कविधर्म
कवियों के लिए कुछ जानकारियाँ
कव्वाली
कष्ट उठाना पड़ता है
कसाब
कसाब को फाँसी
कह राम और रहीम
कहते लोग रसाल
कहनेभर को रह गया अपना देश महान
कहलाना प्रणवीर
कहा कीजिए
कहाँ खो गई मीठी-मीठी इन्सानों की बोली
कहाँ गयी केशर क्यारी?
कहाँ जायें बताओ पाप धोने के लिए
कहाँ रहा जनतन्त्र
कहाँ है आचरण
कहानी
कहीं आकाश में बादल घने हैं
कहीं है हरा
कहें मुबारक ईद
कहें सुखी परिवार
कहो मुबारक ईद
काँटे और गुलाब
काँटे और सुमन
काँटे बुहार लेना
काँटों का परिवेश
काँटों की चौपाल
काँटों की पहरेदारी
काँटों ने उलझाया मुझको
काँधे पर हल धरे किसान
काँप रही है थर-थर काया
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
काँव-काँवकर चिल्लाया है कौआ
काँवड़
काँवड़ का व्यतिरेक
काक-चेष्टा को अपनाओ
कागज की नाव
काग़ज़ की नाव
काग़ज़ की नौका आँगन में तैराई
कागज की है नाव
कागा जैसा मत बन जाना
काठ की हाँडी चढ़ेगी कब तलक
काठी का दर्द
काने करते राज
काम अपना तमाम करते हैं
काम कलम का बोलता
काम न करना बन्द
काम-आराम
कामी आते पास
कामी और कुसन्त
कामुक परिवेश
कामुकता का दौर
कायदे से जरा चलना सीखो
कायदे से धूप अब खिलने लगी है।
कार यात्रा
कार हमारी हमको भाती
कारवाँ
कारा उम्र तमाम
कारा में सच्चाई बन्द है
कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा
कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा-गंगा स्नान
काल की रफ्तार को छलता रहा हूँ
काला अक्षर भैंस बराबर
कालातीत बसन्त
काले अक्षर
काले अक्षर भैंस बराबर
काले बादल
काव्य (छन्दों) को जानिए
काव्य का मर्म
काव्यचोर
काव्यानुवाद
काव्यानुवाद-पिता की आकांक्षाएँ..
काश्..कोई मसीहा आये
कितना आज सुकून
कितनी अच्छी लगती हैं
कितनी मैली हो गयी गंगा जी की धार
कितनी सुन्दर मेरी काया
कितने बदल गये हैं बन्दे
कितने सपने देखे मन में
कितनों की कमजोर
किन्तु शेष आस हैं
किया बहुत उपकार
किये श्राद्ध निष्पन्न
किसको गीत सुनाती हो?
किसको लुभायेंगे अब
किसमें कितना खोट भरा
किसलय कहलाते हैं
किसान
किसान-जवान
किसे अच्छी नहीं लगती
किसे सुनायें गीत
किस्मत में लिक्खे सितम हैं
कीटनिकम्मे
कीर्तिमान सब ध्वस्त
कुंठित हुआ समाज
कुगीत
कुछ अभिनव उपहार
कुछ उड़ी हुई पोस्ट
कुछ उद्गार
कुछ और ही है पेट में
कुछ काँटे-कुछ फूल
कुछ क्षणिकाएँ
कुछ चित्र ‘‘हाइकू’’ में
कुछ तो करो यकीन
कुछ तो बात जरूरी होगी
कुछ दोहे
कुछ भी नहीं असली है
कुछ भी नहीं सफेद
कुछ मजदूरी होगी
कुछ शब्दचित्र
कुटिल न चलना चाल
कुटिल नहीं होते कभी
कुटिल-काँटे लड़ाई ठानते हैं
कुटिलकाँटे
कुटी बनायी नीम पर
कुण्ठा
कुण्ठा भरे विचार
कुण्ठाओं ने डाला डेरा
कुण्डलिया
कुण्डलियाँ
कुण्डलियाँ-चीयर्स बालाएँ
कुदरत का उपहार अधूरा होता है
कुदरत का कानून
कुदरत का प्रारूप
कुदरत का हर काज सुहाना लगता है
कुदरत की करतूत
कुदरत की खिलवाड़
कुदरत के क्या कहने हैं
कुदरत ने फल उपजाये हैं
कुदरत ने सिंगार सजाया
कुदरत से खिलवाड़
कुन्दन जैसा रूप
कुन्दन सा है रूप
कुमाऊं के ब्लॉग
कुमाऊं के ब्लॉग : (नवीन जोशीःनवीन समाचार से साभार)
कुमुद
कुमुद का फोटोे फीचर
कुम्भ
कुम्भ की महिमा अपरम्पार
कुर्ता होली खेलता
कुर्बानी
कुहका
कुहरा
कुहरा करता है मनमानी
कुहरा चारों ओर
कुहरा छँटने ही वाला है
कुहरा छाया है
कुहरा पसरा आज चमन में
कुहरा पसरा है आँगन में
कुहरे का है क्लेश
कुहरे की फुहार
कुहरे की मार
कुहरे की सौगात
कुहरे ने रंग जमाया है
कुहासे का आवरण
कुहासे की चादर
कु्ण्डलिया
कूटनीति की बात
कूड़ा-कचरा
कूर्मा़ञ्चली कविता
कूलर
कूलर गर्मी हर लेता है
कृपा करो अब मात
कृषक
कृषक-मजदूर मुस्काए
कृष्ण बन गये कंस
कृष्ण सँवारो काज
कृष्ण-कन्हैया के माखन नवनीत बदल जाते हैं
कृष्णचन्द्र अधिराज
कृष्णचन्द्र गोपाल
के बिना
केवल कुनबावाद
केवल दुर्नीति चलती है
केवल यहाँ धनार्थ
केवल यादें बची
केवल हिन्दू वर्ष क्यों
केशव भार्गव "निर्दोष" की 8वीं पुण्यतिथि
केशव भार्गव "निर्दोष" की 8वीं पुण्यतिथि के अवसर पर
केसर के फूल
केसरिया का रंग
कैद कैमरे में करो
कैसी है ये आवाजाही
कैसे अपना भजन करूँ मैं
कैसे आज बचाऊँ
कैसे आये स्वप्न सलोना?
कैसे उजियार करेगा
कैसे उतरें पार?
कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं
कैसे उलझन को सुलझाऊँ
कैसे गुमसुम हो जाऊँ मैं
कैसे जान बचाऊँ मैं
कैसे तलें पकौड़ी अब
कैसे देश-समाज का होगा बेड़ा पार
कैसे नवअंकुर उपजाऊँ?
कैसे नियमित यजन करूँ मैं
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं?
कैसे पायें पार
कैसे पौध उगाऊँ मैं
कैसे प्यार करेगा?
कैसे फूल खिलें उपवन में
कैसे बचे यहाँ गौरय्या
कैसे मन को सुमन करूँ मैं
कैसे मन को सुमन करूँ मैं?
कैसे मिलें रसाल
कैसे मुलाकात होती
कैसे लू से बदन बचाएँ?
कैसे शब्द बचेंगे अपने
कैसे सरल स्वभाव करूँ
कैसे साथ चलोगे मेरे?
कैसे सेवा-भाव भरूँ
कैसे होंगे पार
कैसै आये बहार भला
कॉफी
कॉफी की चुस्की
कॉफी की चुस्की ले लेना
कॉफी की तासीर निराली
कोई अन्य विकल्प
कोई बात बने
कोई भूला हुए मंजर
कोई वाद-विवाद
कोई वादा-क़रार मत करना
कोई साथ न दे पाता है
कोई सोपान नहीं
कोटि-कोटि वन्दन तुम्हें
कोमल बदन छिपाया है
कोयल आयी मेरे घर में
कोयल आयी है घर में
कोयल का सुर
कोयल गाये गान
कोयल चहकी
कोयल रोती है कानन में
कोयलिया खामोश हो गई
कोरोना
कोरोना का दैत्य
कोरोना की बाढ़
कोरोना की मार
कोरोना के रोग से
कोरोना के साथ
कोरोना को हराना है
कोरोना वायरस
कोरोना से डर रहा सारा ही संसार
कोरोना से सारे हारे
कोशिश
कौआ
कौआ काँव-काँव चिल्लाया
कौआ होता अच्छा मेहतर
कौड़ी में नीलाम मुहब्बत
कौन सुखी परिवार
कौन सुने फरियाद
कौन सुनेगा सरगम के सुर
क्या है प्यार
क्या है प्यार-रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन
क्या हो गया है
क्या होता है प्यार
क्यों इतना चिल्लाती हो
क्यों देश ऐसा
क्यों राम और रहमान मरा?
क्यों होता है हुस्न छली
क्यों?
क्रिकेट विश्वकप झलकियाँ
क्रिसमस का त्यौहार
क्रिसमस का शुभकामनाएँ
क्रिसमस की बधाई
क्रिसमस-डे
क्रिस्टिना रोसेट्टी की कविता
क्रोध
क्षणभंगुर हैं प्राण
क्षणिका
क्षणिका को भी जानिए
क्षणिका क्या होती है?
क्षणिकाएँ
खंजर उठा लिया
खटमल-मच्छर का भेद
खटीमा
खटीमा (उत्तराखण्ड) का पावर हाउस बह गया
खटीमा का परिचय
खटीमा में अतिवृष्टि
खटीमा में आयोजितपुस्तक विमोचन के कार्यक्रम की रपट
खटीमा में आलइण्डिया मुशायरा एवं कविसम्मेलन सम्पन्न
खट्टे-मीठे और रसीले
खतरे में आज सारे तटबन्ध हो गये हैं
खतरे में तटबन्ध हो गये हैं
खद्योत
खद्योतों का निर्वाचन
खबर छपी अखबारों मे
ख़बरें अब साहित्य की
ख़बरों की भरमार
खर-पतवार उगी उपवन में
खरगोश
खरपतवार अनन्त
खरबूजा
खरबूजा-तरबूज
खरबूजे
खरबूजे का मौसम आया
ख़ाक सड़कों की अभी तो छान लो
खाता-बही है
खादी
खादी का परिधान
खादी-खाकी
खादी-खाकी की केंचुलियाँ
खान-पान में शुद्धता
खान-पान में शुद्धता सिखलाते नवरात्र
खान-पान-परिधान विदेशी फिर भी हिन्दी वाले हैं
खानदानों में
खाने में सबको मिले रोटी-चावल-दाल
ख़ार आखिर ख़ार है
खार पर निखार है
ख़ार से दामन बचाना चाहिए
खारा पानी
खारा-खारा पानी
खारिज तीन तलाक
खाली पन्नों को भरता हूँ
खाली हुआ खजाना
खास आज भी खास
खास को होने लगी चिन्ता
खास हो रहे मस्त
खिचड़ी का आहार
खिल उठा है इन्हीं से हमारा चमन
खिल उठे फिर से बगीचे में सुमन
खिल जायेंगे नव सुमन
खिल रहे फूल अब विषैले हैं
खिलता फागुन आया
खिलता सुमन गुलाब
खिलता हुआ बसन्त
खिलती बगिया है प्रतिपल
खिलते प्रसून काव्य संग्रह
खिलते हुए कमल पसरे हैं
खिलने लगते फूल
खिलने लगा सूखा चमन
खिला कमल का फूल
खिला कमल है आज
खिली रूप की धूप
खिली रूप की धूप-दोहा संग्रह
खिली सुहानी धूप
खिली हुई है डाली-डाली
खिले कमल का फूल
खिसक रहा आधार
खीरा
खीरा- खरबूजे
खीरे को भी करना याद
खुद को आभासी दुनिया में झोका
खुद को करो पवित्र
ख़ुदगर्ज़ी का हुआ ज़माना
खुदा की मेहरबानी है
खुद्दारों की खुद्दारी
खुमानी
खुलकर आज मयंक
खुलकर खिला पलाश
खुलकर हँसा मयंक
खुली आँखों का सपना
खुली ढोल की पोल
खुली बहस-
खुलूस से
खुश हो करके बाँटिए
खुश हो करके लोहड़ी
खुश हो रहा बसन्त
खुश हो रहे किसान
खुशनुमा उपवन
खुशहाली लेकर आया है चौमास
खुशियों का परिवेश
खुशियों की डोरी से नभ में अपनी पतंग उड़ाओ
खुशियों की सौगात लिए होली आई है
खुशियों की हों तरल-तरंगें
खुशियों से महके चौबारा
खूब थिरकती है रंगोली
खूबसूरत लग रहे नन्हें दिये
खेत
खेत उगलते गन्ध
खेत घटते जा रहे हैं
खेती का कानून
खेतीहर-मजदूर
खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है
खेतों में झुकी हैं डालियाँ
खेतों में शहतूत लगाओ
खेतों में सोना बिखरा है
खेतों में हरियाली छाई
खेल-खिलौने याद बहुत आते
खेलते होली मोहनलाल
खेलो रंग
खो गई इन्सानियत
खो गया कहाँ संगीत-गीत
खो चुके सब कुछ
खोज रहे हम सुख को धन में
खोज रहे हैं शीतल छाया
खोल दो मन की खिड़की
खोलो तो मुख का वातायन
ख्वाब आँखों रोज पलते हैं
ख़्वाब का ये रूप भी नायाब है
ख़्वाब में वो सदा याद आते रहे
ख़्वाब में वो हमें याद आते रहे
गंगा
गंगा का अस्तित्व बचाओ
गंगा जी की धार
गंगा पुरखों की है थाती
गंगा बचाओ
गंगा बहुत मनोहर है
गंगा मइया
गंगा मस्त चाल से बहती है।
गंगा में स्नान करो
गंगा स्नान
गंगास्नान
गंगास्नान मेला
गंजे
गगन में छा गये बादल
गगन में मेघ हैं छाये
गजल
गज़ल
ग़जल
ग़ज़ल
ग़जल "शरीफों के घरानों की"
ग़ज़ल "ख़ानदानों ने दाँव खेलें हैं"
ग़ज़ल "उल्लओं की पंचायतें लगीं थी"
ग़ज़ल "बातें ही बातें"
ग़ज़ल की परिभाषा
ग़ज़ल के उद्गगार
ग़ज़ल में फिर से रवानी आ गयी है
ग़जल या गीत
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़ल हो गयी क्या
गजल हो गयी पास
ग़ज़ल-गुरूसहाय भटनागर बदनाम
ग़ज़ल?
ग़ज़ल. ईमान आज तो
ग़ज़ल. खून पीना जानते हैं
ग़ज़ल. जीवन में खुशियाँ लाते हैं
ग़ज़ल. टूटी पतवार लिए बैठा हूँ
ग़ज़ल. दो जून की रोटी
ग़ज़ल. पत्थरों को गीत गाना आ गया है
ग़ज़ल. पाषाणों को गढ़ने में
ग़ज़ल. यूँ अपनी इबादत का दिखावा न कीजिए
ग़ज़लग़ो ग़ज़ल लिखने के
ग़ज़लगो स्वयम् को बताने लगे
ग़ज़लनुमा कुछ अशआर
गज़लिका
ग़ज़लिया-ए-रूप से एक नज़्म
ग़ज़लियात-ए-रूप
ग़ज़लियात-ए-रूप से एक ग़ज़ल
ग़ज़लियात-ए-रूप से मेरी एक ग़ज़ल
ग़ज़लियात-ए-रूप’
ग़ज़लियात-ए-रूप” की भूमिका
गठबन्धन की नाव
गढ़ता रोज कुम्हार
गणतंत्र महान
गणतन्त्र
गणतन्त्र दिवस
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ
गणतन्त्र दिवस पर राग यही दुहराया है
गणतन्त्र पर्व पर
गणतन्त्र महान
गणतन्त्रदिवस
गणनायक भगवान
गणनायक भगवान की महिमा
गणपति आओ बारम्बार
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी पर विशेष
गणेश चतुर्दशी
गणेश वन्दना
गणेशवन्दना
गणेशोत्सव पर विशेष
गणों का छन्दों में प्रयोग
गणों की जानकारी
गत
गति-यति का क्या काम
गदहे
गद्दार
गद्दारी-मक्कारी
गद्दारों को जूता
गद्य लिखो
गद्य-गीत
गद्य-पद्य
गद्यगीत
गधा हो गया है बे-चारा
गधे इस देश के
गधे को बाप भी अपना समय पर वो बताते हैं।
गधे बन गये अरबी घोड़े
गधे हो गये आज
गन्दे हैं हम लोग
गमों के बोझ का साया बहुत घनेरा है
गया अँधेरा-हुआ सवेरा
गया दिवाकर हार
गया पुरातन भूल
गयी चाँदनी रात
गयी बुराई हार?
गयी मनुजता हार
गये आचरण भूल
गरम-गरम ही चाय
गरमी का अब मौसम आया
गरमी की धूप
गरमी में घनश्याम
गरमी में जीना हुआ मुहाल
गरमी में ठण्डक पहुँचाता मौसम नैनीताल का
गरमी में तरबूज सुहाना
गरमी है विकराल
गरिमा जीवन सार
गरिमा दीपक पन्त
गरिमा ही शृंगार
गर्दन पर हथियार
गर्मी
गर्मी आई खाओ बेल
गर्मी के फल
गर्मी को अब दूर भगाओ
गर्मी को कर देती फेल
गर्मी में खीरा वरदान
गर्मी में स्वेदकण
गर्मी से तन-मन अकुलाता
गली-गली में बिकते बेर
गले न मिलना ईद
गले पड़े हैं लोग
गा रही दीपावली
गाँधी का निर्वाण
गांधी जी कहते हे राम!
गाँधी जी का चित्र
गांधी जी का जन्म दिवस
गाँधी जी का देश
गांधी हम शरमिन्दा हैं
गांधीजयन्ती
गाँव याद बहुत आते हैं
गाँवों का निश्छल जीवन
गाओ फिर से नया तराना
गाओ मंगल-गीत
गाता है ऋतुराज तराने
गाना तो मजबूरी है
गान्धी-लालबहुदुर जयन्ती
गाय
गाय-भैंस को पालना
गायब अब हल-बैल
गिजाई
गिनते नहीं हो खामियाँ अपने कसूर पे
गिरगिट जैसे रंग
गिरवीं बुद्धि-विवेक
गिरवीं रखा जमाल
गिरी जनक पर गाज
गिरे शिवधाम के पत्थर
गिलहरी
गिलहरी दाना-दुनका खाती हो
गीत
गीत "गाओ फिर से नया तराना"
गीत "मेरे ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन"
गीत और प्रीत का राग है ज़िन्द़गी
गीत का व्याकरण
गीत की परिभाषा के साथ मेरा एक गीत
गीत को भी जानिए
गीत गाते हैं जब
गीत गाना जानता है
गीत गाने का ज़माना आ गया है
गीत ढोंग-आडम्बर
गीत न जबरन गाऊँगा
गीत बन जाऊँगा
गीत मेरा
गीत सुनाती माटी
गीत सुनाती माटी अपने
गीत सुनाते हैं मधुबन में
गीत सुर में गुनगुनाओ तो सही
गीत-ग़ज़लों का तराना
गीत-छन्द लिखने का फैशन हुआ पुराना
गीत?
गीत. नाविक फँसा समन्दर में
गीत. पुनः हरा नही हो सकता
गीत. मतवाला गिरगिट रूप बदलता जाता है
गीत. मुट्ठी में सिमटी है दुनिया
गीत. मेरे तीन पुराने गीत
गीत. वीरों के बलिदान से
गीतकार नीरज तुम्हें
गीतिक
गीतिका
गीतिका छन्द
गीतिका. आजादी की वर्षगाँठ
गीदड़ और विडाल
गीला हुआ रुमाल
गीूत
गुंचा खिला नहीं
गुझिया-बरफी
गुटबन्दी के मन्त्र
गुनगुनाओ तो सही
गुब्बारे
गुम हो गया उजाला क्यों
गुरु नानक का जन्मदिन
गुरु नानक जयन्ती
गुरु नानक जी का जन्मदिन
गुरु पारस पाषाण है
गुरु पूर्णिमा
गुरु वन्दना
गुरुओं का ज्ञान
गुरुओं का दिन
गुरुओं का सोपान
गुरुकुल में हम साथ पढ़े
गुरुदेव का वन्दन
गुरुवर का सम्मान
गुरू ज्योति का पुंज
गुरू पूर्णिमा
गुरू पूर्णिमा-गंगा स्नान
गुरू वन्दना
गुरू सहाय भटनागर
गुरू सहाय भटनागर नहीं रहे
गुरू-शिष्य
गुरूकुल
गुरूदक्षिणा
गुरूदेव का ध्यान
गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब
गुरूनानक का दरबार
गुरूपूर्णिमा
गुरूवन्दना
गुरूसहाय भटनागर बदनाम
गुरूसहाय भटनागार
गुर्गे देते बाँग
गुलमोहर
गुलमोहर का रूप
गुलमोहर का रूप सबको भा रहा
गुलमोहर खिलने लगा
गुलमोहर लुभाता है
गुलशन का खिलता गलियारा
गुलशन बदल रहा है
गुलाब दिवस
गुलामी बेहतर थी
गुलाल-अबीर
गूँगी गुड़िया आज
गूँगे और बहरे हैं
गूँज रहा उद्घोष
गूँज रहे सन्देश
गूगल-फेसबुक
गेहूँ
गेहूँ करते नृत्य
गैरों से सहारों की
गैस सिलेण्डर
गैस सिलेण्डर है वरदान
गोबर की ही खाद
गोबर लिपे हुए घर-आँगन नहीं रहे
गोमुख से सागर तक जाती
गोरा-चिट्टा कितना अच्छा
गोरी का शृंगार
गोल-गोल है दुनिया सारी
गोवर्धन
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा करो
गोवर्धनपूजा और भइयादूज की शुभकामना
गोवर्धनपूजा और भइयादूज की शुभकामनाएँ
गोविन्दसिंह कुंजवाल
गौमाता भूखी मरे
गौमाता से प्रीत
गौरय्या
गौरय्या का गाँव
गौरय्या का नीड़ चील-कौओं ने हथियाया है
गौरय्या के गाँव में
गौरव और गुमान की
गौरव का आभास
गौरी और गणेश
गौरैया का गाँव में
गौरैया का गाँव में पड़ने लगा अकाल
गौरैया दिवस
गौरैया ने घर बनाया
ग्यारह दोहे
ग्राम्यजीवन
ग्रीष्म
ग्वाले हैं भयभीत
घट गया इक साल मेरी उम्र का
घटते जंगल-खेत
घटते जाते वृक्ष
घटते वन-बढ़ता प्रदूषण
घना तुषारापात
घनाक्षरी
घनाक्षरी गीत
घर का वैद्य तुलसी का पौधा
घर की रौनक
घर बनाना चाहिए
घर भर का अभिमान बेटियाँ
घर भर की तुम राजदुलारी
घर में कभी न लायें हम
घर में पढ़ो नमाज
घर में पानी
घर में बहुत अभाव
घर सब बनाना जानते हैं
घातक मलय समीर
घास
घिर-घिर बादल आये
घिर-घिर बादल आये रे
घुटता गला सुवास का
घूम रहा है चक्र
घोंसला हुआ सुनसान आज तो
घोटालों पर घोटाले
घोड़ों से भी कीमती
घोर संक्रमित काल में मुँह पर ढको नकाब
चंचल “रूप” सँवारा
चंचल अठसई (दोहा संग्रह)
चंचल चितवन नैन
चंचल सुमन
चकरपुर
चक्र है आवागमन का
चक्र है आवागमन का।
चढ़ा केजरी रंग
चढ़ा हुआ बुखार है
चतुर्दशी का पर्व
चदरिया अब तो पुरानी हो गयी
चना-परमल
चन्दा कितना चमक रहा है
चन्दा देता है विश्राम
चन्दा मामा-सबका मामा
चन्दा से मुझको मोह नहीं
चन्दा-सूरज
चन्द्र मिशन
चन्द्रमा सा रूप मेरा
चमकती न बिजली न बरसात होती
चमकेंगें कब सुख के तारे!
चमकेगा फिर से गगन-भाल
चमचों की महिमा
चमत्कार
चमन का सिंगार करना चाहिए
चमन की तलाश में
चमन हुआ गुलजार
चम्पावत जिले की सुरम्य वादियाँ
चम्पू काव्य
चरित्र
चरित्र पर बाइस दोहे
चरैवेति का मन्त्र
चरैवेति की सीख
चरैवेति-मेरा एक गीत
चलके आती नही
चलता खूब प्रपञ्च
चलता जाता चक्र निरन्तर
चलते बने फकीर
चलना कछुआ चाल
चलना कभी न वक्र
चलना सीधी चाल।
चलने का है काम
चलने से कम दूरी होगी
चला किरण का वार
चला दिया है तीर
चला है दौर ये कैसा
चली झूठ की नाव
चली बजट की नाव
चली बसन्त बयार
चले आये भँवरे
चले थामने लहरों को
चलो दीपक जलाएँ हम
चलो भीगें फुहारों में
चलो होली खेलेंगे
चवन्नी
चहक रहा मधुमास
चहक रहे घर द्वार
चहक रहे हैं उपवन में
चहक रहे हैं रंग
चहक रहे हैं वन-उपवन में
चहकता-महकता चमन
चहका है मधुमास
चहके गंगा-घाट
चहके चारों धाम
चहके प्यारी सोन चिरैया
चाँद बने बैठे चेले हैं
चाँद-करवा का पूजन तुम्हारे लिए
चाँद-तारों की बात करते हैं
चाँद-सूरज
चाँदनी का हमें “रूप” छलता रहा
चाँदनी रात
चाँदनी रात बहुत दूर गई
चाँदी की संगत
चाचा नेहरू को शत्-शत् नमन
चाचा नेहरू तुम्हें नमन
चाटुकार सरदार हो गये
चापलूस बैंगन
चाय
चाय हमारे मन को भाई
चार कुण्डलियाँ
चार चरण-दो पंक्तियाँ
चार दोहे
चार फुटकर छन्द
चार मुक्तक
चारों ओर बसन्त हुआ
चारों ओर भरा है पानी
चालबाजी
चासनी में ज़हर मत घोला करो
चाहत कभी न पूरी होगी
चिंकू तो है शाकाहारी
चिंकू ने आनन्द मनाया
चिकनी-चुपड़ी बात
चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे
चिट्ठी-पत्री का युग बीता
चिड़िया
चिड़ियारानी
चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज
चित्रकारिता दिवस
चित्रग़ज़ल
चित्रपट
चित्रावली
चित्रोक्ति
चिन्तन
चिन्तन-मन्थन
चिमटा आज हमीद
चिल्लाया है कौआ
चीत्कार पसरा है सुर में
चीनी लड़ियाँ-झालर अपने
चुगलखोर
चुनना केवल एक
चुनना नहीं आता
चुनाव
चुनाव लड़ना बस की बात नहीं
चुनावी कानून में बदलाव की जरूरत
चुम्बन का व्यापार
चुम्बन दिवस
चुम्बन दिवस की शुभकामनाएँ
चुम्बन-दिवस (KISS-DAY)
चुम्बनदिवस
चुरा रहे जो भाव
चूनरी तो तार-तार हो गई
चूस मकरन्द भँवरे किनारे हुए
चूहों की सरकार में बिल्ले चौकीदार
चेतावनी
चेहरा चमक उठा
चेहरे हुए झुर्रियों वाले
चेहल्लुम का जुलूस
चैतन्य की हिन्दी की टेक्सटबुक
(अंकुर हिन्दी पाठमाला)
चॉकलेट देकर नहीं
चॉकलेट देकर नहीं उगता दिल में प्यार
चॉकलेट से मत करो
चॉकलेट-डे
चोदहदोहे
चोर पुराण
चोरपुराण
चोरों के नहीं महल बनेंगे
चोरों से कैसे करें अपना यहाँ बचाव
चोरों से भरपूर है आभासी संसार
चौकस चौकीदार
चौदह जनवरी-चौदह दोहे
चौदह दिन के ही लिए हिन्दी से है प्यार
चौदह दोहे
चौदह फरवरी
चौदह मार्च-मेरी पौत्री का जन्मदिन
चौदह सितम्बर को समर्पित चौदह दोहे
चौदह सितम्बर-चौदह दोहे
चौपाइयों को भी जानिए
चौपाई
चौपाई के बारे में भी जानिए
चौपाई लिखना सीखिए
चौपाई लिखिए
चौबीस दोहे
चौमासा बारिश से होता
चौमासे का मौसम आया
चौमासे का रूप
चौमासे ने अलख जगाई
चौराहों पर खड़े लुटेरे
छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन
छंदहीनता
छटा अनोखी अपने नैनीताल की
छठ का है त्यौहार
छठ पूजा
छठ माँ का उद्घोष
छठ माँ का त्यौहार
छठ माँ हरो विकार
छठ-माँ का त्यौहार
छठपूजा
छठपूजा त्यौहार
छन्द और मुक्तक
छन्द क्या होता है?
छन्द हो गये क्ल्ष्टि
छन्दशास्त्र
छन्दों का विज्ञान
छन्दों का शृंगार
छन्दों के विषय में जानकारी
छब्बीस जनवरी खुशियाँ लेकर आता है
छल-छल करती गंगा
छल-छल करती धारा
छल-फरेब के गीत
छल-बल की पतवार
छाई हुई उमंग
छाई है बसन्त की लाली
छाता
छाते
छाप रहे अखबार
छाया का उपहार
छाया चारों ओर उजाला
छाया देने वाले छाते
छाया बहुत अन्धेरा है
छाया भारी शोक
छाया है उल्लास
छाये हुए हैं ख़यालात में
छिन जाते हैं ताज
छिपा रहे पहचान
छीनी है हिन्दी की बिन्दी
छुक-छुक करती आती रेल
छुट्टी दे दो अब श्रीमान
छुहारे-किशमिश
छूट गया है साथ
छोटी पुत्रवधु का जन्मदिवस
छोटी-छोटी बात पर
छोटे पुत्र विनीत का
छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिन
छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिवस
छोटों को सम्बल दिया लिया बड़ों से ज्ञान
छोड़ विदेशी ढंग
छोड़ा पूजा-जाप
छोड़ा मधुर तराना
जंग ज़िन्दगी की जारी है
जंगल का कानून
जंगल की चूनर धानी है
जंगल के शृंगाल सुनो
जंगल में पलाश मुस्काया
जंगलों के जानवर
जंगी यान रफेल
जकड़ा हुआ है आदमी
जग उसको पहचान न पाता
जग का आचार्य बनाना है
जग के झंझावातों में
जग के देव महेश
जग के नियम-विधान
जग को लुभा गये हैं
जग में अन्तरजाल
जग में ऊँचा नाम
जग में केवल योग
जग में माँ का नाम
जग में सबसे न्यारा मामा
जग है एक मुसाफिरखाना
जगत है जीवन-मरण का
जगदम्बा माँ आपकी
जगमग सजी दिवाली
जगह-जगह मतदान
जड़े न बदलें पेड़
जन-गण का विश्वास
जन-गण का सन्देश
जन-गण रहे पछाड़
जन-जन के राम।
जन-जागरण
जन-जीवन बेहाल
जन-मानस बदहाल
जन.2017 में मेरा गीत
जनता का जनतन्त्र
जनता का तन्त्र कहाँ है
जनता का धीरज डोल रहा
जनता के अरमान
जनता जपती मन्त्र
जनता है कंगाल
जनता है मजबूर
जनमानस के अन्तस में आशाएँ मुस्काती हैं
जनमानस लाचार
जनवरी-2017
जनसेवक खाते हैं काजू
जनसेवक लाचार
जनहित के कानून को
जन्म दिन
जन्म दिन मेरी श्रीमती
जन्म दिवस
जन्मदिन
जन्मदिन की दे रहे हैं सब बधायी
जन्मदिन पर रूप मुझको भा गया है
जन्मदिन फिर आज आया
जन्मदिन योगिराज श्रीकृष्णचन्द्र महाराज
जन्मदिन है आज मेरा
जन्मदिन-प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी का जन्म दिन
जन्मदिन-मा. पुष्कर सिंह धामी
जन्मदिन. मेरे ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन
जन्मदिवस
जन्मदिवस का गीत
जन्मदिवस की बेला पर
जन्मदिवस चाचा नेहरू का
जन्मदिवस चाचा नेहरू का भूल न जाना
जन्मदिवस पर विशेष
जन्मदिवस विशेष
जन्मदिवस विशेष)
जन्मदिवस है आज
जन्मभूमि में राम
जन्माष्टमी
जन्मे थे धनवन्तरी
जब किस्मत नायाब हो
जब खारे आँसू आते हैं
जब पहुँचे मझधार में टूट गयी पतवार
जब मन में हो चाह
जब-जब मक्कारी फलती है
जमा न ज्यादा दाम करें
जमाना बहुत बदल गया
जमीं की सब दरारों को
जय बोलो नन्दलाल की
जय माता की कहने वालो
जय विजय
जय विजय 2019 में मेरी बालकविता
जय विजय अगस्त-2019
जय विजय के फरवरी
जय विजय जुलाई-2018
जय विजय जून
जय विजय पत्रिका में मेरा गीत
जय विजय पत्रिका में मेरी बालकविता
जय विजय मई
जय विजय मासिक पत्रिका के नवम्बर-2016 अंक में मेरी ग़ज़ल
जय विजय में मेरी बाल कविता
जय विजय-अप्रैलः2020
जय विजय-नवम्बर
जय शिक्षा दाता
जय श्री गणेश
जय सिंह आशावत
जय हिन्दी-जय नागरी
जय हो देव महेश
जय हो देव सुरेश
जय-जय गणपतिदेव
जय-जय जगन्नाथ भगवान
जय-जय जय वरदानी माता
जय-जय-जय गणपति महाराजा
जय-जवान और जय-किसान
जय-विजय
जय-विजय अगस्त
जय-विजय पत्रिका
जय-विजय पत्रिका में मेरा गीत
जय-विजय पत्रिका अक्टूबर-2016 में मेरी ग़ज़ल प्रकाशित
जयविजय
जयविजय नवम्बर 2018
जयविजय मई-15
जयविजय में मेरी ग़ज़ल
जयविजय-जून
जरी-सूत या जूट के धागे हैं अनमोल
जरूरी है
जल का स्रोत अपार कहाँ है
जल जीवन आधार
जल जीवन की आस
जल दिवस
जल ने भरी दरार
जल बिना बदरंग कितने
जल बिना बेरंग कितने
जल रहा च़िराग है
ज़लज़ले नाख़ुदा नहीं होते
जलद जल धाम ले आये
जलधारा
जलमग्न खटीमा
जहरीला पेड़:A Poison Tree
जहरीली बह रही गन्ध है
जाँच-परख कर मीत
जागरण
जागा दयानन्द का ज्ञान
जागेगा इंसान
जाड़े ने शीश उठाया
जाति-धर्म के मन्त्र
जातिवाद में बँट गये
जादू-टोने
जान बिस्मिल हुई
जानिए मेरे खटीमा को भी
जाने कितने भेद
जाने की तैयारी
जाने वाला साल
जाम
जाम ढलने लगे
ज़ारत
जालजगत
जालजगत की शाला है
जालजगत पर मापनी
जालिम जमाने में
ज़ालिमों से पुकार मत करना
जिजीविषा
जितना चाहूँ भूलना उतनी आती याद
जितने ज्यादा आघात मिले
जिनके पास जमीर
ज़िन्दगी
ज़िन्दग़ी अब नरक बन गयी है
ज़िन्दगी इक खूबसूरत ख़्वाब है
जिन्दगी का सफर निराला है
ज़िन्दग़ी का सहारा
ज़िन्दगी की जेल में मैं पल रहा हूँ
ज़िन्दग़ी की सलीबों पे चढ़ता रहा
ज़िन्दग़ी के तीन मुक्तक
ज़िन्दग़ी के लिए
जिन्दगी जिन्दगी पे भारी है
ज़िन्दग़ी भर उन्हें आज़माते रहे
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना
ज़िन्दगी भर सलामत रहो साजना
ज़िन्दग़ी में न ज़लज़ले होते
जिन्दगी में प्यार-Life in a Love
जिन्दगी में बसन्त छाया है
ज़िन्दग़ी सस्ती हुई
जिन्दगी है बस अधूरी ज़िन्दग़ी
जिन्दा उसूल हैं
ज़िन्दादिली
जिन्दादिली का प्रमाण दो
जियो ज़िन्दगी को
जिसमें पुत्रों के लिए होते हैं उपवास
जी उठेगी जिन्दगी
जी रहा अब भी हमारे गाँव में
जीत का आचरण
जीत रही है मौत
जीते-जी की माया
जीना पड़ेगा कोरोना के साथ
जीना-मरना सदा से
जीने का अंदाज
जीने का अन्दाज़
जीने का अन्दाज़ निराला
जीने का आधार हो गया
जीने का ढंग
जीव सभी अल्पज्ञ
जीवन
जीवन आशातीत हो गया
जीवन आसान बना देना
जीवन का गीत
जीवन का चक्र
जीवन का चल रहा सफर है
जीवन का ताना-बाना
जीवन का भावार्थ
जीवन का विज्ञान
जीवन का संकट गहराया
जीवन का है मर्म
जीवन किताबी हो गया
जीवन की अब शाम हो गई
जीवन की आपाधापी
जीवन की आपाधापी में
जीवन की ये नाव
जीवन की राह
जीवन की है भोर तुम्हारे हाथों में
जीवन के आधार
जीवन के संग्राम में
जीवन के हैं खेल
जीवन के हैं ढंग निराले
जीवन के हैं मर्म
जीवन को हँसी-खेल समझना न परिन्दों
जीवन जटिल जलेबी जैसा
जीवन जीना है दूभर
जीवन तो बहुत जरा सा है
जीवन दर्शन समझाया
जीवन देती धूप
जीवन पतँग समान
जीवन बगिया चहके-महके
जीवन में अभिसार
जीवन में सन्तुष्ट
जीवन में है मित्रता
जीवन ललित-ललाम
जीवन श्रम के लिए बना है
जीवन है बदहाल
जीवन है बेहाल
जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो
जीवनचक्र
जीवनयात्रा
जीवित देवी-देवता दुनिया में माँ-बाप
जीवित रहती घास
जीवित हुआ पराग
जीवित हुआ बसन्त
जीूवनचक्र
जुलाईः18
जुल्म के आगे न झुकेंगे
जुल्म झोंपड़ी पर ढाया
जूझ रहा है देश
जूती-टोपी बनी सहेली
जूतों की बौछार
जून-2109
जेठ लग रहा है चौमासा
जैविकपिता
जैसे खर-पतवार
जो नंगापन ढके बदन का हमको वो परिधान चाहिए
जो लिखोगे वही गीत बन जायेगा
जो सबकी प्यास बुझाते हैं
जोकर
जोकर खूब हँसाये
जोकर-बौने
जोड़-तोड़ व्यापार
ज्ञान का तुम ही भण्डार हो
ज्ञान का प्रसाद लो
ज्ञान की अमावस
ज्ञान न कोई दान
ज्ञान हुआ विकलांग
ज्ञान-चक्षु दो खोल
ज्ञानी भी मूरख बनें
ज्यादा दाद मिला करती है
ज्यादा दोहाखोर
ज्यादातर तो कट गयी
ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन
ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन
ज्येष्ठ पूर्णिमा
झंझावात बहुत गहरे हैं
झंझावातों में
झटका और हलाल
झड़े सलोने पात
झण्डे रहे सँभाल
झनकइया मेला गंगास्नान
झनकइया-खटीमा
झरता हुआ प्रपात
झरने करते शोर
झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई की 160वीं पुण्यतिथि पर विशेष
झाँसी की रानी
झाड़ुएँ सवाँर लो
झालर-बन्दनवार
झिलमिल करते दीप
झील सरोवर ताल
झुक गयी है कमर
झुकेगी कमर धीरे-धीरे
झूठ की तकरीर बच गयी
झूठ जायेगा हार
झूठे शोध-प्रबन्ध
झूम रहा बनकर मतवाला
झूमर से लहराते हैं
झूमर से सोने के गहने
झूल रही हैं ममता-माया
झूला
झूले कैसे पड़ें बाग में?
झेल रहा है देश
झेलना जरूरी है
झोंके मस्त बयार के
टाबर टोली
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टिप्पणी पोस्ट
टुकड़ा-एमी लोवेल
टूटा कुनबेवाद से
टूटी-फूटी रोमन-हिन्दी
टैडी का उपहार
टॉम-फिरंगी
टॉम-फिरंगी प्यारे-प्यारे
टोपी
टोपी हिन्दुस्तान की
टोपी है बलिदान की
ठलवे-जलवे
ठहर गया जन-जीवन
ठिठुर रहा है गात
ठिठुर रही है सबकी काया
ठिठुरा बदन है
ठिठुरा सकल समाज
ठेंगा न सूरज को दिखाना चाहिए
ठेले पर बिकते हैं बेर
ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए
डमरू का अब नाद सुनाओ
डमरू का तुम नाद सुनाओ
डरता हूँ
डरा और धमका रहा कोतवाल को चोर
डरा रहा देश को है करोना
डाली को कैसे बौराऊँ
डालो अपना वोट
डूबे गोताखोर
डॉ. गंगाधर राय
डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय 'नन्द'
डॉ. राजविन्दर कौर
डॉ. राजविन्दर कौर द्वारा ग़ज़लियात-ए-रूप” की भूमिका
डॉ. सारिका मुकेश
डॉ. सुभाष वर्मा
डॉ. हरि 'फैजाबादी'
डॉ.धर्मवीर
डॉ.राज किशोर सक्सेना "राज""
डॉ.राष्ट्रबन्धु
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
डॉक्टर गोपेश मोहन जैसवाल
डोर तुम्हारे हाथो में
डोल रहा ईमान
डोलियाँ सजने लगीं
ढंग निराला होली के त्यौहार का
ढंग निराले होते जग में मिले जुले परिवार के
ढंग हमारे बदल गये
ढकी ढोल की पोल
ढल गयी है उमर
ढलती उमर में जवानी नहीं
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए
ढाईआखर
ढुल-मुल नहीं उसूल
ढोंग और षड़यन्त्र
ढोंग-आडम्बर
ढोंगी और कुसन्त
ढोंगी साधू
ढोलक और मृदंग
ढोलकी का सुर नगाड़ा हो गया
तंज करने से बिगड़ती बात हैं
तजना नहीं उमंग
तजो पश्चिमी रीत
तन-मन करो पवित्र
तन-मन मेरा पीत हो गया
तन्त्र अब खटक रहा है
तन्त्र ये खटक रहा है
तपते रेगिस्तानों में
तपने लगे मकान
तब गीत-ग़ज़ल बन जाते हैं
तब मैने माँ तुम्हें पुकारा
तब-तब मैं पागल होता हूँ
तबाही के कुछ ताजा चित्र
तमन्नाओं की लहरे हैं
तम्बाकू दो त्याग
तम्बाकू का रोग
तम्बाकू को त्याग दो
तम्बाकू दो छोड़
तम्बाकू निषेध दिवस
तम्बाकू निषेध दिवस पर सन्देश
तरबूज
तरस रहा माँ-बाप की
तवर्ग
ताकत देती धूप
ताजमहल का सच
ताजमहल की हकीकत
तान वीणा की माता सुना दीजिए
ताना-बाना
ताल-लय उदास हैं
तालाबों की पंक
तालाबों में नीर
तिगड़ी की खिचड़ी
तिज़ारत
तिज़ारत में सियासत है
तिजारत ही तिजारत है
तितली
तितली आई! तितली आई!!
तितली करती नृत्य
तितली है फूलों से मिलती
तिनका-तिनका दोहा संग्रह
तिनके चुन-चुन लाती हैं
तिरंगा बना देंगे हम चाँद-तारा
तिलक दूज का कर रहीं
तीखी-मिर्च कभी मत खाओ
तीज आ गई हरियाली
तीज आ गई है हरियाली
तीजो का आया त्यौहार चलो झूला झूलेंगे
तीजो का त्यौहार
तीन
तीन अध्याय
तीन तलाक
तीन दिनों से भार बारिश
तीन पत्थरों का चूल्हा
तीन मिसरी शायरी (तिरोहे)
तीन मुक्तक
तीन साल का लेखा जोखा
तीन-लाइना
तीर खुद पर किसलिए हम तानते हैं
तीस सितम्बर
तुकबन्दी
तुकबन्दी को ही अपनाओ
तुकबन्दी मादक-उन्मादी
तुकबन्दी से खिलता उपवन
तुकबन्दी से होता गायन
तुकबन्दी से होता वन्दन
तुम पंखुरिया फैलाओ तो
तुम साथ क्या निभाओगे?
तुम हो दुर्गा रूप
तुमने सबका काज सँवारा
तुमसे ही मेरा घर-घर है
तुमसे ही है दुनियादारी
तुम्हारे चरण-रज का कण चाहता हूँ
तुम्हारे हाथों में
तुम्ही मेरी आराधना
तुम्हीं ज्ञान का पुंज
तुम्हीं साधना-तुम ही साधन
तुलसी का पौधा गुणकारी
तुलसी का बिरुआ गुणकारी
तुलसी सूर-कबीर
तुलसी-पीपल-नीम
तुलसीदास
तुहिन-हिम नभ से अचानक धरा पर झड़ने लगा
तू माँ का वरदान ना पाये
तू से आप और सर
तूफानों से लड़ते जाओ
तूफानों से लड़ने में
तेइस दोहे
तेजपाल का तेज
तेरह दोहे
तेरह सितम्बर
तेल कान में डाला क्यों?
तेल-लकड़ी
तेवर नहीं अब वो रहे
तो कोई बात बने
तोंद झूठ की बढ़ी हुई है
तोता
तोल-तोलकर बोल
त्योहारों की रीत
त्यौहार
त्यौहार तीज का
त्यौहारों की गठरी
त्यौहारों की शृंखला
त्यौहारों पर किसी का खाली रहे न हाथ
थक जायेगी नयी रीत फिर
थम जाये घुसपैंठ
थमे हुए जल में सदा बन जाते शैवाल
थर-थर काँपे देह
थान मखमल बुन रहा अब भी हमारे गाँव में
थाली के बैंगन
थीम चुराई मेरी
थोड़ी है अवशेष
थोड़े दिन का प्यार
थोड़े दोहाकार है
दंगों का है जोर
दबा सुरीला कोकिल का सुर
दबी हुई कस्तूरी होगी
दम घुटता है आज चमन में
दम घुटता है आज वतन में
दमक उठा है रूप भी’
दया करो हे दुर्गा माता
दयानन्द पाण्डेय
दरक रहे हैं शैल
दरबान बदलते देखे हैं
दरवाजे की दस्तक
दर्द का मरहम
दर्द का मरहम लगा लिया
दर्द का सिलसिला दिया तुमने
दर्द की छाँव में मुस्कराते रहे
दर्द दिल में जगा दिया उसने
दर्पण असली 'रूप' दिखाता
दर्पण काला-काला क्यों
दर्पण में तसबीर
दलबदलू
दशकन्धर था दुष्ट
दशहरा
दशहरा पर दस दोहे
दशहरा-दस दोहे"
दस दोहे
दहे
दहेज
दाँव-फन्दे आ गये
दाग़ तो दाग़ है ज़िन्दग़ी के लिए
दाढ़ी में है चोर
दादी अम्मा
दादी जी! प्रसाद दे दो ना
दाम नहीं है पास
दामिनी काण्ड की बरसी
दामिनी को भावभीनी श्रद्धांजलि
दामोदर नरेन्द्र भाई मोदी
दाल-भात अच्छे लगें
दिखने लगा उजाड़
दिखलानी होगी अपनी खुद्दारी
दिखायी तो नहीं जाती
दिखावा हटाओ
दिन आ गये हैं प्यार के
दिन में छाया अँधियारा
दिन में सितारों को बुलाते हो
दिन है कितना खास
दिन है देवोत्थान का व्रत-पूजन का खास
दिन हैं अब नजदीक
दिनकर है भयभीत
दिनांक 27-04-2016
दिया तिरंगा गाड़
दिल
दिल की आग
दिल की आवाज
दिल की बात
दिल की बेकरारी
दिल की लगी क्या चीज़ है
दिल के करीब और दिल से दूर
दिल को बेईमान न कर
दिल तो है मतवाला गिरगिट
दिल मिला नहीं होता
दिल में इक दीप जलाकर देखो
दिल-ए-ज़ज़्बात
दिलों में उल्फतें कम हैं
दिल्लगी समझते हैं
दिल्ली
दिवस आज का खास
दिवस गये अनुराग के
दिवस बढ़े हैं शीत घटा है
दिवस बहुत है खास
दिवस सुहाने आयेंगे
दिवाली
दिवाली को मनाएँ हम
दिवाली मेला
दिवाली मेला-नानकमत्ता साहिब
दिव्य स्वरूप विराट
दिशाहीन को दिशा दिखाते
दिसम्बर
दीन-ईमान के चोंचले मत करो
दीन-ईमान पल-पल फिसलने लगे
दीप अब कैसे जलेगा...?
दीप खुशियों के जलाओ
दीप खुशियों के जलें
दीप जगमगाइए
दीप जलते रहे
दीप बनकर जल रहा हूँ
दीप मन्दिर में जलाओ
दीपक एक कतार
दीपक जलाएँ बार-बार
दीपक-बाती
दीपशिखा सी शान्त
दीपावली
दीपावली की शुभकामनाएँ
दीपावली के दोहे
दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की शुभकामनाएँ
दीपावली. अँधियारा हरते जाएँगे
दीपों की दीपावली
दीमक ने पाँव जमाया है
दीमकों से चमन को कैसे बचायें?
दीवाली पर देवता
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं
दुखद समाचार
दुनिया का भूगोल
दुनिया का सबसे कुशल वास्तुविद
दुनिया की नियति
दुनिया की है रीत
दुनिया को दें ज्ञान
दुनिया को हैरान न कर
दुनिया भर में सबसे न्यारा
दुनिया में इंसान
दुनिया में नाचीज
दुनिया में परिवार
दुनिया वक्र है
दुनिया से वह चला गया
दुनियादारी
दुनियादारी जाम हो गई
दुर्गा जी की वन्दना
दुर्गा जी के नवम् रूप हैं
दुर्गा माता
दुर्दशा
दुल्हिन बिना सुहाग के लगा रही सिंदूर
दुश्मन से लोहा लेना होगा
दुष्ट हो रहे पुष्ट
दुहरा रहे दास्तां
दूध-दही अपनाना है
दूर करो अज्ञान
दूर निकल जाते हैं बादल
दूरी की मजबूरी
दूषित हुआ वातावरण
दूषित है परिवेश
दे दो ज्ञान भवानी माता
दे रहा मधुमास दस्तक
देंगे नाम मिटाय
देंगे बदल लकीर
देंगे मिटा गुरूर
देख तमाशा होली का
देख बसन्ती रूप
देखना इस अंजुमन को
देखो कितना मुक्त है आभासी संसार
देता है आदित्य
देता है ऋतुराज निमन्त्रण
देता है सन्देश
देते हैं आनन्द
देते हैं आनन्द अनोखा रिश्ते-नाते प्यार के
देनी पड़ती घूस
देव उत्थान
देव दिवाली पर्व
देव दीपावली
देवउठनी
देवउठान
देवदत्त 'प्रसून'
देवदत्त 'प्रसून' जी हमारे बीच नहीं रहे।
देवदत्त सा शंख
देवपूजन के लिए सजने लगी हैं थालियाँ
देवभूमि अपना भारत
देवालय का सजग सन्तरी
देवालय में बूढ़ा बरगद जिन्दा है
देवों का उत्थान
देवों का गुणगान
देवोत्थान
देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी
देश कहाये विश्वगुरू तब
देश का दूषित हुआ वातावरण
देश की अंजुमन बेच देंगे
देश की कहानी
देश की हालत
देश को सुभाष चाहिए
देश भक्ति गीत
देश-प्रेम गीत
देश-भक्ति गीत
देश-समाज
देशप्रेम का दीप जलेगा
देशभक्त गुमनाम हो गये
देशभक्ति
देशभक्ति का जाप
देशभक्ति गीत
देशभक्तिगीत
देशभक्तों का नमन होना चाहिए
देहरा दून-सखनऊ के चित्र
देहरादून यात्रा
देहरादून यात्रा-दस दोहे
दो अक्टूबर
दो आँखें
दो आँखों की रीत
दो कुणडलियाँ
दो कुण्डलियाँ
दो गीत
दो जून
दो जून की रोटी
दो जून रोटी
दो पक्षों के बोल
दो बच्चे होते हैं अच्छे
दो मुक्तक
दो शब्द
दो हजार का नोट
दो हजार के नोट
दो हाथों का घोड़ा
दो-अक्टूबर
दोनों पलकें बोझिल हैं
दोनों पुस्तकों का विमोचन
दोपहरी में शाम हो गई
दोस्ती-दग़ाबाजी
दोह
दोहा
दोहा ग़ज़ल
दोहा गीत
दोहा छन्द
दोहा पच्चीसी
दोहा बत्तीसी
दोहा महिमा
दोहा सप्तक
दोहा-अष्टक
दोहा-गीत
दोहा-मुक्तक
दोहाग़ज़ल
दोहागीत
दोहागीत "गुरू पूर्णिमा"
दोहागीत. उपवन का परिवेश
दोहागुणगान
दोहाचित्र
दोहाचोर
दोहाछन्द
दोहाछन्द को भी जानिए
दोहावली
दोहाष्टक
दोहासंग्रह
दोहे
दोहे "हनुमान जयन्ती"
दोहे "पैंतीस दोहे"
दोहे "बाँटो कुछ आनन्द"
दोहे "मुखपोथी के सामने
दोहे "राजनीति में हंस"
दोहे और मुक्तक
दोहे का विन्यास
दोहे का संधान
दोहे पर दोहे
दोहे रखना सम अनुपात
दोहे-जलता हुआ अलाव
दोहे. उलटी गिनती पाक की
दोहे. कन्या-पूजन
दोहे. करवाचौथ सुहाग का
दोहे. धीरज से लो काम
दोहे. पर्व लोहिड़ी का हमें
दोहे. पावस का आगाज
दोहे. बहुत अनोखे ढंग
दोहे. बापू जी के देश में बढ़ने लगे दलाल
दोहे. भइयादूज
दोहे. भारत देश महान
दोहे. माता का अवतार
दोहे. योगिराज का जन्मदिन
दोहे" रचता जाय कुम्हार
दोहेे
दोहे्
दोहों का मर्म
दोहों पर दोहे
दोहों में कुछ ज्ञान
दोहों में फरियाद
दोेहे
दोौहे
धड़कन पढ़ते जाओ
धड़कन बिना शरीर
धधक रही है आग
धन का खुल्ला खेल
धन में से कुछ दान
धनतेरस
धनतेरस त्यौहार
धनतेरस-नरक चतुर्दशी की शुभकामनाएँ
धन्य अयोध्या धाम
धन्यवाद-ज्ञापन
धन्वन्तरि जयन्ती
धन्वन्तरि संसार को देते जीवनदान
धन्वन्तरी जयन्ती
धरती और पहाड़ पर है कुदरत की मार
धरती का त्यौहार
धरती का शृंगार
धरती का सन्ताप
धरती का सिंगार
धरती का सौन्दर्य
धरती गाती गान
धरती ने पहना नया घाघरा
धरती ने है प्यास बुझाई
धरती पर नजारों को बुलाते हो
धरती पर हरियाली छाई
धरती है बदहाल
धरा का प्रभावशाली चित्रण
धरा के रंग
धरा के रंग की भूमिका
धरा को रौशनी से जगमगायें
धरा दिवस
धरा हुई बेचैन
धरा-दिवस
धर्म रहा दम तोड़
धर्म हुआ मुहताज
धर्मान्तरण के कारण
धागे हैं अनमोल
धान
धान की बालियाँ
धान खेतों में लरजकर पक गया है
धान्य से भरपूर खेतों में झुकी हैं डालियाँ
धारण त्रिशूल कर दुर्गा बन
धारा यहाँ विधान की
धावकमन बाजी जीत गया
धीरज रखना आप
धीरे-धीरे
धीरे-धीरे घट रहा लोगों में अब प्यार
धुँधली सी परछाई में
धूप
धूप अब खिलने लगी है
धूप गुनगुनी पाने को
धूप बहुत विकराल
धूप में घर सब बनाना जानते हैं
धूप यौवन की ढलती जाती है
धूप हुई विकराल
धूप-छाँव का खेल
धूल चाटता रहा
धो दिया कलंक
ध्येय और संकल्प
न कोई धर्म-न ईमान
न जाने टूट जायें कब
न फिर मात होती
न शह कोई पड़ती
नंगा आदमी भूखा विकास
नंगा आदमी-भूखा विकास
नंगेपन के ढ़ंग
नई गंगा बहाना चाहता हूँ
नखरे भी उठाये जाते हैं
नगमगी 'रूप' ढल जायेगा
नगमे सुखद बहार के
नगर में नाग छलते हैं
नज़र में कुछ और
नजरबन्द हो गयी देश में अपनी प्यारी खादी है
नजारा देख मौसम का
नज़ारे बदल गये
नदी का काम है बहना
नदी के रेत पर
नदी-नाले उफन आये
नन्हे-मुन्ने
नन्हें दीप जलायें हम
नन्हेसुमन
नफरतों का सिला दिया तुमने
नभ पर घटा घिरी है काली
नभ पर बादल छाये हैं
नभ पर बादलों का है ठिकाना
नभ में अब घनश्याम
नभ में घना कुहासा छाया
नभ में बदली काली लेकर आया है चौमास
नभ में लाल-गुलाल उड़े हैं
नभ है मेघाछन्न
नमकीन पानी में बहुत से जीव ठहरे हैं
नमन
नमन आपको मात
नमन तुम्हें शत् बार
नमन शैतान करते हैं
नमन हजारों बार
नयनों की भाषा
नया आ गया साल
नया गीत आया है
नया जमाना आया है
नया राष्ट्र निर्माण करेंगे
नया साल
नया साल 2017
नया साल आया है
नया साल दे हर्ष
नया साल-2021
नया सृजन होता है
नयागाँव-सितारगंज
नयागीत
नयासाल
नयी रीत फिर
नयी-कविता
नये वर्ष का अभिनन्दन
नये वर्ष का अभिनन्दन!
नये वर्ष में आप हर्षित रहें
नये साल का अभिनन्दन
नये साल का सूरज
नये साल की दस्तक
नये साल के कदम पड़ने वाले हैं
नये साल के साथ में सुधरेंगे हालात
नर का निर्बल पक्ष
नरक चतुर्दशी
नरकचतुर्दशी
नरेन्द्र भाई मोदी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ
नरेन्द्र मोदी
नर्क चतुर्दशी
नव दुर्गा
नव वर्ष
नव वर्ष चलकर आ रहा
नव विहान छेड़ता
नव सम्वतसर
नव सम्वत्सर आया है
नव-गीत
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे
नव-वर्ष मनायें अब कैसे
नव-सम्वत्सर का अभिनन्दन
नवअंकुर उपजाओगे कब
नवगीत
नवगीत मचल जाते हैं
नवजात
नवदुर्गा
नवदुर्गा के नवम् रूप हैं
नवदुर्गा जी की आरती
नवपल्लव परिधान
नवमी तो श्रीराम की
नवरात्र
नववर्ष
नववर्ष मुबारक हो सबको
नववर्ष से आशाएँ
नववर्ष-2012
नवसम्वत से चमन का
नवसम्वतसर
नवसम्वतसर 2077
नवसम्वतसर मन में चाह जगाता है
नवसम्वत्सर
नवसम्वत्सर आ गया
नवोदित
नही ज़लज़लों से डरता है
नहीं आता
नहीं कभी मन को भटकाया
नहीं किसी का जोर
नहीं घटे क्यों दाम?
नहीं चलेगा वंश
नहीं जाती
नहीं जेब में दाम
नहीं पहचान पाये रूप
नहीं रहा लालित्य
नहीं रही वो बात
नहीं राम का राज
नहीं शीत का अन्त
नहीं समय अनुकूल
नहीं सरल है काम
नहीं सुहाता ठण्डा पानी
नहीं हमें अनुदान चाहिए
नहीं हमें मंजूर
नागपंचमी
नागपंचमी-तीज
नागपञ्चमी
नागपञ्चमी आज भी श्रद्धा का आधार
नागपञ्चमी श्रद्धा का आधार
नागपञ्चमी-हरेला रक्षाबन्धन-तीज
नागफनी का रूप
नागफनी के फूल
नागों के नेवलों से सम्बन्ध हो गये हैं
नाज़ुक कलाई मोड़ ना
नानकमत्ता साहिब का दिवाली मेला
नानकमत्तासाहिब
नानी का घर
नानी का घर सुख का धाम
नाम के इंसान हैं
नाम गिलहरी
नाम बड़े हैं दर्शन थोड़े
नाम है आचमन जाम ढलने लगे
नारायणदत्त तिवारी
नारि
नारि न हुआ
नारिशक्ति
नारी
नारी का सम्मान करो
नारी की आवाज
नारी की कथा-व्यथा
नारी की महिमा
नारी की व्यथा...
नारी दिवस
नारी दुर्गा रूप
नारी रूप अगर देते
निखरा हुआ चन्द्रमा
निखरा-निखरा गात
निखरा-निखरा है नील गगन
निखरी-निखरी धूप
निज पुरुखों को याद
निठल्ला-चिन्तन
नित नया पर्व
नितिन
नितिन का जन्मदिन
नितिन शास्त्री
नित्य नयी तान है
नित्य-नियम से योग
निन्दा प्रस्ताव
निमन्त्रण
निम्बौरी अब आयीं है नीम पर
निम्बौरी आयीं है अब नीम पर
नियति
नियम और कानून
नियमन में है खोट
नियमों को अपनाओगे कब
निर्झर
निर्झर हमें सिखाते हैं
निर्धन हुए विपन्न
निर्मल गंगा धार कहाँ है
निर्मल जल बरसाते हैं
निर्मल नीर पिलाते हैं
निर्मल हुए पहाड़
निर्मल हो परिवेश
निर्वाचन
निर्वाचनी बयार
निर्वेद
निश्छल पावन प्यार
निष्ठा का त्यौहार
निष्ठुर उपवन देखे हैं
निष्पक्ष चुनाव के लिए
नींद टूट जाया करती है...
नीड़ को नन्हें दियों से जगमगायें
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें
नीड़ बनाया है
नीति के दोहे
नीति-रीति के पथ को गुरु ही बतलाता
नीतिदशक
नीम
नीम की छाँव
नीम की छाँव नहीं रही
नीर पावन बनाओ करो आचमन
नीरज जी से अन्तिम भेंट
नीले-नीले अम्बर में
नूतन का अभिनन्दन
नूतन का करता अभिनन्दन
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष का अभिनन्दन
नूतन वर्षःअच्छे दिन?
नूतन वर्षाभिनन्दन
नूतन सम्वत्सर आया
नूतन सम्वत्सर आया है
नूतनवर्ष
नूतनसम्वत्सर आया है
नून
नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे
नेट के सम्बन्ध
नेट सबल आधार
नेता
नेता आया बिनबुलाया है
नेता का श्रृंगार
नेता के पास जवाब नही
नेता नही चलेंगे
नेता बाद में
नेता महान
नेता महान हैं
नेताओं की तफरी
नेताजी
नेत्र शिव का खुल गया
नेशनल दुनिया में मेरी बाल कविता
नेह
नेह का बिरुआ यहाँ कैसे पलेगा
नेह के दीपक
नैनीताल यात्रा
नैसर्गिक शृंगार
नैसर्गिक स्वाद मिठास का
नोक लेखनी की भाला बन जाया करती है
नोट पाँच सौ के हुए सभी पुराने बन्द
नौ दिन तक उपवास
नौ शेरी ग़ज़ल
नौकरशाही भ्रष्ट
नौका में है छेद कहीं
नौका लहरों में फँसी बेबस खेवनहार
नौशेरी ग़ज़ल
पं. गोविन्द बल्लभ पन्त
पं. नाराचण दत्त तिवारी
पं. लाल बहादुर शास्त्री
पं.नारायणदत्त तिवारी
पंक में खिला कमल
पंक से मैला हुआ है आवरण
पंखुड़ियों के रंग
पंच तत्व की देह
पंच पर्व नजदीक
पंच पर्वों की शुभकामनाएँ
पंछी
पंजी-दस्सी-चवन्नी
पकवानों का थाल लिए होली आई है
पक्के आम
पचास साल पहले इसे लिखा था
पच्चीस दोहे
पछुआ पश्चिम से है आई
पठनीय ही नहीं संग्रहणीय भी है
पड़ रहीं रिमझिम फुहारें
पड़ने लगा अकाल
पड़ने लगी फुहार
पड़ने वाले नये साल के हैं कदम
पड़ी कूप में भाँग
पढ़ गीता के श्लोक
पढ़ लेते हैं सारी भाषा
पढ़ना बच्चों का अधिकार
पढ़ना बहुत जरूरी है
पढ़ना-लिखना
पढ़ना-लिखना मजबूरी है
पढ़ने में भी ध्यान लगाओ
पढ़े-लिखे मुहताज़
पण्डित टीकाराम
पतंग
पतला सा शॉल
पत्थर
पत्थर दिल कब पिघलेंगे
पत्थरों को तोड़ ना
पत्थरों में से धारे निकल आयेंगे
पत्रकारिता दिवस
पत्रिका एवं पुस्तकों का विमोचन
पथ उनको क्या भटकायेगा
पथ का निर्माता हूँ
पथ नहीं सरल यहाँ
पथ नापते हैं चरण
पथ पर जाना भूल गया
पथ हमें प्रकाश का दिखला रही दीपावली
पथ होते अवरुद्ध
पथरीला पथ अपनाया है
पथिक को छाया मिले
पनप रहा व्यभिचार
पनप रहा है भोग
पनप रहे हैं शूल
पन्थ अनोखा बतलाया
पन्द्रह दोहे
पन्नियाँ बीन रहा है बचपन
परदेशियों ने डेरा डाला हुआ चमन में
परदेशी
परमपिता का दूत
परवाना फड़कता है
पराक्रम जीवन में अपनाओ
परिणय को अपने हुए
परिन्दे आ गये
परिन्दे किधर गये
परिभाषा
परिभाषाएँ
परिवर्तन
परिवेश
परिवेश में गजल
परिश्रमी धुनता काया
परीक्षा
परेशान हैं आम
पर्यावरण
पर्यावरण का नियन्ता
पर्यावरण दिवस
पर्यावरण बचाइए
पर्यावरण बचाइए धरती कहे पुकार
पर्यावरण बचाइए बचे रहेंगे आप
पर्व अहोई
पर्व अहोई खास
पर्व अहोई-अष्टमी
पर्व नया-नित आता है
पर्व लोहड़ी में करो
पर्व हरेला आज
पर्वत पर चढ़ना होता आसान नहीं
पर्वत पर हिम से जमे
पर्वत पर हिमपात
पर्वत बन कर डटे रहेंगे
पर्वत सभी को भा रहे हैं
पर्वत से बह निकले धारे
पर्वतीयमहिला
पर्वों का परिवेश
पर्वों का विन्यास
पल में तोला
पल में माशा
पल रहीं कैदियों की तरह
पलाश के फूल
पवन बसन्ती चलकर वन में आया
पवनपुत्र हनुमान
पश्चिम अनुकरण का अब तो कर दो त्याग
पश्चिम का प्रणय सप्ताह
पश्चिम की है सभ्यता
पश्चिम के किरदार
पश्चिम के दिन-वार
पश्चिमी गंगा बहाने
पसरी धवल उजास
पहनावा बदला
पहरे
पहली बारिश
पहली बारिश का आना
पहली बारिश जून की
पहली बारिश मानसून की
पहले छाया बौर निम्बौरी अब आयीं है
पहाड़
पहाड़ी की यही असली कहानी है
पहाड़ी मनीहार
पहाड़ी रूप
पहाड़ों की सतह में
पहाड़ों के ढलानों पर
पहाड़ों के मचानों पर
पहाड़ों में मचलता है
पा जाऊँ यदि प्यार तुम्हारा
पाँच क्षणिकाएँ
पाँच दिसम्बर
पाँच मार्च
पाँच मुक्तक
पाँच शब्द चित्र
पाँच शब्दचित्र
पाँचमुक्तक
पाक आज कुख्यात
पाक की...नीयत है नापाक
पाक से करना युद्ध जरूरी है
पाकर शुभसन्देश
पागल की पहचान
पागल बनते लोग
पागल मधुकर घूम रहे आवारा हैं
पात झर गये मस्त पवन में
पात्र बना परिहास का
पानी
पानी का भण्डार
पानी की चाहत
पानी को लाचार
पाप गंगा में बहाने चल दिये
पापड़ क्या भूनें सावन में
पापी राम-रहीम
पार्थना
पालतू जानवर सिर्फ पालतू ही नहीं होता
पालते हैं हम सुमन को
पावन और पवित्र
पावन करवाचौथ
पावन करवाचौथ है निष्ठा का त्यौहार
पावन है त्यौहार
पावन हो परिवेश
पावस का त्यौहार
पाषाण हैं अनमोल सोना
पाषाणों को गढ़ने में
पाषाणों से प्यार हो गया
पिकनिक
पिघलते रहेंगे चेहरे
पिचकारी
पिछड़ा हुआ है आदमी
पितरों का तर्पण करो
पिता जी
पिता जी और मैं
पिता जी और मैं-भाग एक
पिता विधातारूप
पिता सबल आधार
पिता सरीखा प्यार
पितादिवस पर विशेष
पितृ दिवस
पितृ विसर्जिनी अमावस्या
पितृ-दिवस
पितृदिवस
पितृदिवस पर विशेष
पितृपक्ष में कीजिए
पियो घोटकर नीम
पीड़ा के पाँच दोहे
पीताम्बर परिधान
पीपल
पीपल राजा देवों से बतियाता है
पीपल वृक्ष सुहाता है
पीपल ही उद्गाता है
पीर गरीबी भूख
पीला पत्ता
पीले गजरे झूमर से लहराते हैं
पीले झूमर
पीले फूलों के गजरे
पुकार
पुच्छल दोहे
पुतला
पुत्र-पुत्री
पुनः नया अध्याय
पुनर्जन्म की प्रक्रिया
पुरखों की जागीर
पुरखों तक भोजन पहुँचाता
पुराना गाँव
पुराना पेड़
पुराना लगता है
पुरानी कविता
पुरानी डायरी से
पुरानी रचना
पुरानी सीपिकाएँ
पुष्प
पुस्तक दिन
पुस्तक दिवस
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक से सम्वाद
पुस्तक-दिन
पुस्तक-दिन हो सार्थक
पूजन-वन्दन करने वालों
पूजा और वन्दना का अज्ञानी को ज्ञान नहीं
पूज्य पिता जी आपका
पूज्य पिता जी आपको शत्-शत् नमन...
पूज्य पिता जी आपको श्रद्धापूर्वक नमन
पूज्य पिता जी को श्रद्धञ्जलि दिनाक 01-08-2014 को
पूज्य पिताश्री को नमन
पूज्य पिताश्री! आपके बिना बहुत अधूरा हूँ मैं।
पूज्या माता जी आपको शत्-शत् नमन
पूरा विवरण
पूरी दुनिया में कोरोना
पूरे किये विनीत ने
पूर्ण करेंगी आस
पूर्ण छियालिस वर्ष
पूर्णिमा वर्मन
पृथ्वी दिवस
पृथ्वीदिवस
पेड़ कट गये बाग के
पेड़ को देते चुनौती आजकल बौने शज़र
पेड़ जंगल के सयाने हो गये हैं
पेड़ लगाओ-धरा बचाओ
पेड़ लगाना भूमि पर
पेड़-पौधे
पेड़ों पर पकती हैं बेल
पेपरवेट
पैंतालीस बसन्त
पैदा हुआ नरेन्द्र. मोदी का जन्मदिन
पैराडाइज पत्रिका में मेरे दोहे
पॉडकाट
पॉडकास्ट
प़ॉडकास्ट
पोस्ट को लगाने के बारे में उपयोगी सुझाव
पौत्र का जन्मदिन
पौत्र प्राँजल का 20वाँ जन्मदिन
पौत्र प्राँजल का 22वाँ जन्मदिन
पौत्र रत्न के रूप में
पौध लगाओ
पौधे नये लगाऊँगा
पौधे मुरझाये गुलशन में
पौधों पर छाया है यौवन
प्यार
प्यार आज़मायेंगे
प्यार और अनुराग
प्यार करता है संसार सारा
प्यार कहाँ से लाऊँ?
प्यार का अन्दाज़ कहना चाहते हैं
प्यार का इज़हार करना चाहिए
प्यार का ज़ज़्बा
प्यार का झरना
प्यार का पाठ पढ़ाता क्यों है
प्यार का मरहला नहीं होता
प्यार का मौसम आया
प्यार की गंगा बहाना सीखिए
प्यार की जड़ तलाश करते हो
प्यार की बातें
प्यार के चार पल
प्यार के दस दोहे
प्यार के परिवेश की सूखी धरा
प्यार के बिन अधूरे प्रणयगीत हैं
प्यार के सिलसिले नहीं होते
प्यार को बदनाम करने को चले हैं
प्यार नहीं व्यापार
प्यार भरे अशआर
प्यार से झेलना वक्त की मार को
प्यार से पुकार लो
प्यार से प्यार आज़मायेंगे
प्यार-प्रीत की राह
प्यार-मुहब्बत
प्यार-मौहब्बत
प्यार-वफा
प्यारा दिवस गुलाब
प्यारा नैनीताल
प्यारी गौरय्या"
प्यारी प्राची
प्यारे गौतम बुद्ध
प्रकाश का पुंज हमारा सूरज
प्रकाशन
प्रकाशित ग़ज़ल
प्रकृतिचित्रण
प्रगति के खुलते द्वार लिए
प्रजातन्त्र की बेल
प्रजातन्त्र हुआ बदनाम
प्रज्ञा जहाँ है प्रतिज्ञा वहाँ है
प्रण कर लेना आज
प्रणय दिवस (VALANTINE'S-DAY)
प्रणय दिवस के 14 दोहे
प्रणय सप्ताह
प्रणय सप्ताह का दूसरा दिवस
प्रणय-गीत
प्रणय-प्रीत सप्ताह
प्रतिज्ञा दिवस
प्रतिज्ञा-दिवस (PROMISE-DAY)
प्रतिज्ञादिवस
प्रतिज्ञादिवस में प्रतिज्ञा कहाँ है
प्रभा के साथ तम क्यों है
प्रभू पंख दे देना सुन्दर
प्रलय हुई केदारनाथ में
प्रवास-यात्रा
प्रश्न जाल
प्रश्नजाल
प्रस्ताव दिवस
प्रस्ताव-दिवस
प्रांजल
प्रांजल की 17वीं वर्षगाँठ
प्राची
प्राची का जन्मदिन
प्राण-प्रतिष्ठा हो रही
प्राणों से प्यारा है अपना वतन
प्रातराश
प्रारब्ध है सोया हुआ
प्रार्थना
प्रीत का व्याकरण
प्रीत की सौगात लेकर
प्रीत के विमान पर सम्पदा सवार है
प्रीत पोशाक नयी लायी है
प्रीत बढ़ाएँ होली में
प्रेम का सचमुच हुआ अभाव
प्रेम खेल संगीन
प्रेम गीत को विदाई
प्रेम दिवस का रंग
प्रेम-प्रीत का ढंग. वैलेंटाइन
प्रेम-प्रीत का हो संसार
प्रेमंदिवस
प्रेमचन्द जयन्ती
प्रेमदिवस
प्रेमदिवस का खेल
प्रेमदिवस का रंग
प्रेमदिवस नजदीक
प्रेमदिवस नज़दीक
प्रेमदिवस पर प्रीत
प्रेरक नाम कलाम
प्रेरक प्रसंग
प्रेरक-प्रसंग
प्लम
फकीर
फटी घाघरा-चोली
फतह मिलती सिकन्दर को
फरमाइश पर नहीं लिखूँगा
फल
फल वाले बिरुए उपजाओ
फलवाले पेड़ लगाना है
फलसफा
फसल उगी कमजोर
फसल करो तैयार
फसलें हैं तैयार
फस्ट अप्रैल
फागुन की फागुनिया
फागुन की फागुनिया लेकर आया मधुमास
फागुन की रंगोली
फागुन की रंगोली का
फागुन में ओले-पानी
फागों और फुहारों की
फासले इतने तो मत पैदा करो
फासले इतने न अब पैदा करो
फिकरेबाजी आज
फिर कनेर मुस्काया है
फिर गहराये काले बादल
फिर भी हँसते जाते हो
फिर से अपने खेत में
फिर से आई होली
फिर से नूतन रंग
फिर से नूतन हर्ष
फिर से बगिया है बौराई
फिर से बालक मुझे बना दो
फिर से लो अवतार
फिर से वन्देमातरम नक्शे में हो जाय
फिर से वीणा झंकार करो
फिर से हरा-भरा हुआ उजड़ा हुआ दयार
फिरंगी कुत्ता
फिरकापरस्ती
फिसल जाते तो अच्छा था
फीका पड़ा बसन्त
फीका रंग-गुलाल
फीके सब त्यौहार
फीके हैं त्यौहार
फुटकर दोहे
फुरसत नहीं मिलती
फुर्सत नहीं मिलती
फूटनीति का रंग
फूटनीति बेजोड़
फूल
फूल और काँटे
फूल कातिल हुए
फूल क़ातिल हुए
फूल खिलते हैं चमन में
फूल खिले हैं पलाश में
फूल फिर से बगीचे में खिल जायेंगे
फूल बनकर सदा खिलखिलाते रहे
फूल बने उपहार
फूल बसन्ती आने वाले
फूल रही है डाली-डाली
फूल हैं पलाश में
फूल हैं हम तो खिलते जायेंगे
फूल हो गये अंगारों से
फूल-शूल
फूली-फूली रोटियाँ
फूले नहीं समाते हैं
फूलों की बरसात
फेसबक और ब्लॉगिं
फैला भ्रष्टाचार
फैली खर-पतवार
फैले जिनके हाथ
फैले धवल उजास
फैशन
फैशन हुआ पुराना
फोटो फीचर
फोटो-फीचर
फोटोफीचर
बंजर हुई जमीन
बंजर होते खेत
बँटवारा
बकरीद
बकरे-बकरी
बकरे-बकरीआये भागे-भागे
बकरों का बलिदान चढ़ाकर
बगावत भी करे कैसे
बगिया में नवल निखार भरो
बगीचे में खिल जायेंगे
बगीचे में ग़ुलों पर आब है
बचपन
बचपन के दिन
बचपन को लौटा दो
बचपन मेरा खो गया
बचा लो पर्यावरण
बच्चे बचपन याद दिलाते
बच्चे होते स्वयं खिलौने
बच्चों अब मत समय गँवाओ
बच्चों का मन होता सच्चा
बच्चों का संसार निराला
बच्चों की महिमा है न्यारी
बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू को शत्-शत् नमन!
बच्चों के मन को भाती हो
बछड़े की पुकार
बज उठी वीणा मधुर
बजट
बजट करो स्वीकार
बजने लगीं हैं तालियाँ
बड़ा घिनौना काम
बड़ा वतन होता है
बड़ा होने से डरता हूँ
बढ़ रही है महँगाई
बढ़ता जाता लोभ
बढ़ा जगत में ताप
बढ़ा धरा का ताप
बढ़ी फिर से मँहगाई
बढ़े हुए हैं भाव
बतलाओ तो जीवन क्या है
बताओ कैसे उतरें पार?
बताता जमा-खर्च
बत्ती नीली-लाल
बदन काँपता थर-थर-थर
बदन जलाता घाम
बदनाम
बदनाम करने को चले हैं
बदल गया आलम
बदल गया किरदार
बदल गया परिवेश
बदल गये
बदल गये सब चाल-चलन
बदल गये हैं अर्थ
बदल गये हैं चित्र
बदल गये हैं ढंग
बदल जाते तो अच्छा था
बदल जायेंगे
बदल रहा है
बदला लो सरकार
बदलाव
बदले रीति-रिवाज
बदलेंगे अब ढंग
बदलेगा परिवेश
बदलो जीवन-ढंग
बधाई गीत
बधायी गीत
बन जाता संगीत
बन जाती शब्दों की माला
बन जाते हैं छन्द
बन जाते हैं प्यार से
बन बैठे अधिराज
बनकर कानन का चन्दन
बनकर रहो शरीफ
बनता है आधार
बनना पानीदार
बना नाक का बाल
बना रहे अनुराग
बना सुखद संयोग
बनाओ मन को कोमल
बनाता मोम पत्थर को
बनाना भी नहीं आता
बनारस में गंगा तो उलटी बही है
बने हुए हैं बैल
बन्द करो मनुहार
बन्द कीजिए पाक से कूटनीति की बात
बन्दना
बन्दरमामा
बन्दी का यह दौर
बन्दी है आजादी अपनी
बन्दी है सोनचिरैया भोली
बन्धक अर्वाचीन में अपना प्यारा तन्त्र
बम भोले के गूँजे नाद
बमकांड
बरखा-बहार
बरगद का पेड़
बरस रही बरसात
बरस रही है आग
बरसता झूमकर सावन
बरसता सावन सुहाना
बरसात
बरसात अचानक होती है
बरसे सरस फुहार
बरसो अब घनश्याम
बलशाली-हनुमान
बसन्त
बसन्त पंचमी
बसन्तमंचमी
बसन्ती रूप है पहना
बस्ती में भूचाल
बहता अविरल सोता है
बहता तन से बहुत पसीना
बहता शीतल नीर
बहती जल की धार
बहती जल की धार निरन्तर
बहना करती है मनुहार
बहार
बहारों का भरोसा क्या...
बहारों के चार पल
बहारों के बिना सूना चमन है
बहारों में नहीं दम है
बहुत अच्छा लगता है
बहुत अटपटा मेल
बहुत उपकार है उसका
बहुत कठिन जीवन की राहें
बहुत कठिन है राह
बहुत खास त्यौहार
बहुत चाव से खाया
बहुत छरहरी
बहुत जरूरी योग
बहुत निराले ढंग
बहुत बड़ा नुकसान
बहुत रसीले हैं तरबूजा
बाँटती है सुख
बाँटो कुछ उपहार
बाँटो सबको गन्ध
बाँटो सबको प्यार
बाइक से सीता का हरण
बाकी बच गया अंडा
बागों में आ गयी बहार
बागों में छाया बहारों का मौसम
बाते करें हिन्दी व्याकरण की
बातें
बातें करें
बातें परलोक की
बातें बनाना जानते हैं
बातें ही बातें
बातों का अनुपात
बातों में है बात
बादल
बादल आये हैं
बादल करते शोर
बादल करते हास
बादल ने नभ में ली अँगड़ाई
बादल बरसो
बादल हुआ शराबी
बादलों कीआँख-मिचौली
बादलों के ढंग कितने
बाधाओं से मत घबड़ाना
बापू जी का जन्मदिन
बाबा अम्बेदकर
बाबा नागार्जुन
बाबा नागार्जुन और मेरा परिवार
बाबा नागार्जुन और सन्त कबीर का जन्मदिन
बाबा नागार्जुन और हरिपाल त्यागी
बाबा नागार्जुन का दुर्लभ चित्र
बाबा नागार्जुन की कविता
बाबा नागार्जुन की पुण्यतिथि पर
बाबा नागार्जुन के साथ बागों की सैर
बाबा भीम महान
बारिश
बारिश अब घनघोर
बारिश आई अपने द्वारे
बारिश डराने आ गयी
बारिश मत धोखा दे जाना
बाल कविता
बाल कविता "आम और लीची"
बाल कविता “कंप्यूटर”
बाल गीत
बाल दिवस
बाल साहित्य के पुरोधा डॉ.राष्ट्रबन्धु नहीं रहे
बाल- कविता
बाल-कविता
बाल-गीत
बालक
बालक अपने प्यारे-प्यारे
बालक कितने प्यारे-प्यारे
बालक जब नन्दलाल
बालक नन्दलाल
बालकविता
बालकविता. चाचा नेहरू सबको प्यारे
बालकृति ‘खिलता उपवन’
बालकों की पुकार
बालगीत
बालगीत "रंगों से नहलायेंगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
बालगीत और बालकविता में भेद
बालगीत गौमाता
बालगीतों की पुस्तक
बालदिवस
बालप्रहरी कार्यशाला का समापन
बालमेला
बालवन्दना
बालहंस के जनवरी अंक में मेरी बालकविता
बालूँगा चन्दा सा चिराग
बासन्ती लालित्य
बासन्ती शृंगार
बाहर पानी
बा्लगीत
बिँदिया चमके भाल
बिकता है ज्ञान
बिकती नहीं तमीज
बिकते आज उसूल
बिकने लगी शराब
बिखर गया ताना-बाना
बिगड़ गया अनुपात
बिगड़ गया परिवेश
बिगड़ गया भूगोल
बिगड़ गया है वेश
बिगड़ गये आचार
बिगड़ गये सम्बन्ध
बिगड़ गये हालात
बिगड़ रहा परिवेश
बिगड़ा हुआ घनत्व
बिगड़ा हुआ है आदमी
बिजली कड़की पानी आया
बिटिया दिवस
बिटिया से घर में बसन्त है
बित्ते भर की जीभ
बिन आँखों के जग सूना है
बिन डोर खिचें सब आते हैं
बिन परखे क्या पता चलेगा
बिन वेतन का सजग सिपाही
बिन सद्गुरु के ज्ञान
बिनपानी का घन
बिना धूप का सूरज
बिरयानी का स्वाद
बिल्ली और बिलौटना
बिल्ली मौसी
बिल्ले खाते हैं हलवा
बिल्ले ही देते पहरे हैं
बिस्तर पर आराम
बी.एस.एन.एल का इंटरनेट फेल
बीत गया है पर्व
बीत गया है साल पुराना
बीत रहा है साल पुराना
बीते लम्हें
बुखार ही बुखार है
बुझी धरा की प्यास
बुड्ढों की औकात
बुड्ढों के अनुबन्ध
बुड्ढों के हैं ढंग निराले
बुढ़ापा
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ
बुद्धपूर्णिमा पर कुछ दोहे
बुनियाद की ईंटें
बुरा न मानो आयी होली
बुरा न मानो होली है
बुरे वचन मत बोल
बुलडोजर की नीति
बुला रहा मधुमास
बूटा एक कनेर का
बूटा-बूटा लाल
बूढ़ा पीपल जिन्दा है
बूढ़ा बरगद जिन्दा है
बूढ़ों को सलाह
बे-नूर हो गये हैं
बे-पेंदे के पात्र
बे-मौसम चपला नीलगगन में
बेच रहा मैं भगवानों को
बेचारे मजबूर
बेजुबानों में जुबानें आ गयीं
बेटा जीवित बाप से
बेटियाँ
बेटियाँ पल रही कैदियों की तरह
बेटी की महिमा अनन्त है
बेटी जैसा प्यार
बेटी दिवस
बेटी से भी प्यार करो
बेटो जैसा प्यार
बेटों का त्यौहार
बेटों जैसे दीजिए बेटी को अधिकार
बेबसी
बेमौसम वीरान हो गये
बेरहम संसार
बेरोजगारी
बेल
बेल...गर्मी को कर देती फेल
बेवकूफ खुश हो रहे
बेवफाई
बेवफाई का कोई नही तन्त्र है
बेशकीमती अंग
बेसुरे छन्द
बैंगन होते खास
बैकुण्ठ चतुर्दशी
बैठ करके धूप में सुस्ताइए
बैठकर के धूप में सुस्ताइए
बैठे विषधर काले-काले
बैर के अंकुर उगाना पेट में निर्मूल हैं
बैरियों को कब्र में दफन होना चाहिए
बैरी से हो जंग
बैशाखी
बैशाखी की धूम
बैसाखी आने पर खुशियाँ घर-घर में छा जाती हैं
बैसाखी आने पर जामुन भी बौराया है
बैसाखी आने पर मन में आशाएँ मुस्काती हैं
बैसाखी आने पर रौनक आ जाती हैं
बोते संकर बीज
बोलते चित्र
बोलो वन्दे मातरम्
बौने हुए गिरित्र
ब्लॉग दिवस की शुभकामनाएँ
ब्लॉग बन गया भार
ब्लॉगर्स मीट
ब्लॉगिंग
ब्लॉगिंग एक नशा नहीं आदत है
ब्लॉगिंग एक नशा नहीं बल्कि आदत है
ब्लॉगिंग और फेसबुक
ब्लॉगिंग का संसार
ब्लॉगिंग के पश्चात ही फेसबूक को देख
भँगड़ा करते लोग
भँवरे गुन-गुन गायेंगे
भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर
भइया दूज
भइया दूज की शुभकामनाएँ
भइया मुझे झुलाएगा
भइया-दूज का तिलक. पावन प्यार-दुलार
भइया-दोयज पर्व
भइया-दोयज पर्व पर
भइयादूज
भइयादूज का तिलक
भइयादूज. पावन प्यार-दुलार
भक्त चले शिवधाम
भक्ति गीत
भक्तों के अधिकार में
भजन
भय मानो मीठी मुस्कानों से
भय-आतंक मिटाना है
भर देना लालित्य
भरा हुआ है दोष हमारे ग्वालों में
भरोसा कर लिया मेंने
भवन को
भवसागर को कैसे पार करेगा
भवसागर भयभीत हो गया
भविष्य को सँवार लो
भा गये बादल
भा रही दीपावली
भाँति-भाँति के आम
भाई के ही कन्धों पर होता रक्षा का भार
भाई दूज
भाई-बहन का प्यार
भाई-भाई में नहीं पहले जैसा प्यार
भाईचारा
भाईदूज
भाईदूज का तिलक
भाईदूज के अवसर पर
भारत
भारत और नेपाल सीमा की सैर
भारत की थाती
भारत की दुर्दशा
भारत की नारी
भारत की ललकार
भारत की हो विश्व में हिन्दी से पहचान
भारत के जननायक
भारत के श्रमवीर
भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन
भारत देश महान
भारत पर अभिमान
भारत बहुत महान
भारत माँ आजाद हो गयी
भारत माँ का कर्ज चुकाना है
भारत माँ का कीर्तन-भजन होना चाहिए
भारत माँ के लाल
भारत माँ को आजाद किया
भारत माता के माथे की बिन्दी
भारत में अंग्रेजी आयी क्यों?
भारत-नेपाल
भारतमहान
भारतमाता का अभिनन्दन
भारतमाता के सुहाग की हिन्दी पावन बिन्दी
भारतरत्न मिसाइल मैन को शत-शत नमन
भारतवासी ट्रम्प के
भारती दास
भारतीय नववर्ष
भारतीय नववर्ष-2074 का हार्दिक शुभकामनाएँ
भारतीय परिधान
भाव
भावनाओं की सम्वेदना
भावनाओं की हैं ये लड़ी राखियाँ
भावनाओं से हैं बँधें
भावभीनी श्रद्धांजलि
भावों का उत्कर्ष
भाषण की पतवार
भाषा करे पुकार
भिखारी व्यस्त हैं कुर्सी बचाने में
भीड़
भीम राव अम्बेदकर
भुवन भास्कर हरो कुहासा
भू का अभिनव शृंगार लिए
भूख
भूखी गइया कचरा चरती
भूमि-दिवस
भूमिका
भूल गया है जोड़
भूल चुके हैं सम्बन्धों की परिभाषा
भैंस
भैंस हमारी बहुत निराली
भोले-बाबा अब तो आओ
भोले-भण्डारी महादेव
भोले-शंकर आओ-आओ
भौंहें वक्र-कमान न कर
भ्रष्टाचार
भ्रातृ दूज का तिलक
मंगलमय नववर्ष
मंगलमय हो वर्ष
मंगलयान
मंजर है खौफ का
मंजिल को हँसी-खेल समझना न परिन्दों
मंजिलें पास खुद
मंजु-माला में कंकड़ ही जड़ता रहा
मंडराती हैं चील चमन में
मंशी प्रेमचन्द जयन्ती
मँहगा चाँदी-सोना है
मँहगाई
मँहगाई के सामने जनता है लाचार
मँहगाई को दुनिया में बढ़ाया है
मँहगाई पर कोई नहीं लगाम
मई-2018
मकर का सूरज
मकर संक्रान्ति
मकरसंक्रान्ति
मक्कारों के वारे-न्यारे!
मक़्तल की जरूरत क्या
मखमल जैसा टाट बन गया
मखमली ख्वाब हैं खोखले मत करो
मख़मली परिवेश को क्या हो गया है
मगरूर थे कभी जो मजबूर हो गये हैं
मचा है चारों ओर धमाल
मची हुई आपा-धापी
मच्छर
मच्छरदानी
मच्छरदानी को अपनाओ
मच्छरदानी रोज लगाओ
मछुआरे कंगाल
मजदूर दिवस
मजदूरों का दिवस
मजदूरों की बात
मजदूरों के सन्त
मजबूरी है
मजहब
मज़हबों की कैद में
मझधार किनारा लगता है
मत अभिमान कर
मत कर देना भूल
मत करना अब माफ
मत करना तकरार
मत करना विश्वास
मत का दान
मत कोई उत्पात करो
मत घोलो विषघोल
मत जफाएँ याद कर
मत तराजू में हमें तोला करो
मत पंछी पिंजडे में धरना
मत परिवार बढ़ाना तुम
मत सीख यहाँ पर सिखलाओ
मत होना मदहोश
मतलब का है प्यार
मतलब की मनुहार
मतलब की सब दुनियादारी
मतलबी संसार की बातें करें
मतलबीसंसार
मतलवी संसार
मतला
मदद को पुकारा नही
मदन “विरक्त” के सम्मान में कवि गोष्ठी
मधुमास
मधुमास आ गया है
मधुमास सबको भा रहा
मधुर मिलन की चाह
मधुर वाणी बनाएँ हम
मन
मन का कोई विमान नहीं
मन का बहुत उदार
मन की गागर भरते जाओ
मन की बात
मन की बात नहीं कर पाया
मन की बुझती नहीं पिपासा
मन के उद्गार
मन के जरा विकार हरो
मन के मैले पात्र
मन को कभी उदास न करना
मन को करो पवित्र
मन को करो विरक्त
मन को न हार देना
मन को पाषाण बनाया है
मन को बहुत लुभाते आम
मन को रखो विशाल
मन खुशियों से फूला
मन बूढ़ा नहीं होने पाये
मन में तरल-तरंग
मन में पसरा मैल
मन में यही सवाल
मन में है अतिरेक
मन से बैर-भाव को त्यागें
मन से रहे सशक्त
मन ही नहीं है
मन है कितना खिन्न
मन है सदा जवान
मन हो गया विभोर
मन-उपवन
मनके मनकों को तुम
मनके हुए उदास
मनमानी का दौर
मनसूबे नापाक
मना रहा संसार
मना रहा है ईद
मना रहे हैं लोग
मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र
मनीषा शर्मा
मनुहार की बातें करें
मनोज कामदेव
मनोहर सूक्तियाँ
मन्द समीर बहाते हैं
मन्द-सुगन्ध बयार
मन्दिर का उन्माद
मन्दिर के निर्माण का
ममता की मूरत माता
मम्मी जी
मम्मी मैं झूलूँगी झूला
मयंक
मयखाना
मयख़ाना
मरा नहीं है जोश
मरुस्थलों में कलियाँ
मरे देश के गांधी
मरे हुए को मारना दुनिया का दस्तूर
मर्दाना शृंगार दिया है
मर्मस्पर्शी रचनाओं का संकलन-कर्मनाशा
मर्यादा लाचार
मलयानिल में अंगार भरो
मस्त पवन ने रूप दिखाया
मस्त बसन्त बहार में
मस्तक का अँधियार हरो
मस्तियाँ साथ लायेगा चंचल पवन
मस्ती उधार लेना
मस्ती का आभास
मस्ती लेकर आई होली
महँगा आलू-प्याज
महँगाई
महँगाई उपहार
महँगाई की मार
महँगाई खाते बेचारे!!
महक उठे उद्यान
महक से भर गई गलियाँ
महकता घर-बार ढूँढता हूँ
महकता चमन है
महके है मन में फुहार
महके-चहके घर परिवार
महज नहीं संयोग
महफिल में नीलाम हो गये
महफिलों में जहर उगलते हैं
महफिलों में मुस्कराना चाहिए
महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री को नमन
महात्मा गांधी जी का जन्मदिन
महादेव का है अभिनन्दन
महादेव बन जाइए
महादेव शिव बन गये
महापर्व में कुम्भ के
महापुरुष अवतार
महाप्रयाण
महाराणाप्रताप
महारानी लक्ष्मी बाई
महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर विशेष
महावीर हनुमान
महाशिवरात्रि
महिला दिवस
महिला दिवस-मौखिक जोड़-घटाव
महिला-दिवस
महिलाएँ आँगन उपवन में झूल रहीं होकर मतवाली
महिलाओं का मान
महिलादिवस
महेन्द्र नगर नेपाल
महेन्द्रनगर नेपाल की यात्रा
मा. हरीश रावत जी से भेंटवार्ता
माँ
माँ अमल-धवल कर दो
माँ आपसे आराधना
माँ का प्यारा हाथ
माँ का वन्दन
माँ का हृदय उदार
माँ की ममता
माँ की ममता के सिवा
माँ की महिमा गायें हम
माँ की याद सताती है
माँ के उर में ममता का व्याकरण समाया है
माँ दुर्गा जी की वन्दना
माँ देती है प्यार
माँ पूर्णागिरि
माँ पूर्णागिरि का दरबार
माँ पूर्णागिरि का दरबार सजा हुआ है
माँ पूर्णागिरि का मेला
माँ ममता की मूरत है
माँ शब्द सरल भर दो
माँ से प्यार अपार
माँ होती ममतामयी
माँ-ममता और दुलार
माँग छोटे आशियानों की
माँग रहा अधिकार
माँग रही उपहार
माँग रहे क्यों भीख
माँग रहे हैं ये वोटों का दान
माँग रहे हैं वोट
माँग लीजिए ज्ञान
माँगता काव्य-छन्दों का वरदान हूँ
माँगा किसी से सहारा नहीं
माँगे सबकी खैर
माँदुर्गा
माटी के ये दीप
माटी को महकाते बादल
माटी हिन्दुस्तान की
माणिक-कंचन देखे हैं
मात अपनी हम बचाना जानते हैं
माता उज्जवल कर दो
माता करती प्यार
माता का अवतार
माता का आराधन
माता का आशीष
माता का करता हूँ वन्दन
माता का गुण-गान
माता का गुणगान
माता का दरबार
माता का भी मान करो
माता का वरदान
माता का सम्मान
माता का सम्मान करो
माता की ममता
माता की वन्दना
माता के आशीष ने मुझको किया निहाल
माता के नवरात्र
माता के नवरात्र।
माता के नवरूप
माता के बिन लग रहे
माता जी का द्वार
माता जी का श्राद्ध
माता जी की वन्दना
माता पूर्णागिरि
माता सबके साथ
माता से अस्तित्व हमारा
माता से सम्वाद
माता-दिवस पर विशेष
माता-पिता की स्मृति
माता! वरदान माँगता हूँ
माताओं की आस
मातृ दिवस
मातृ दिवस के अवसर पर...
मातृ पितृ पूजन दिवस
मातृ-दिवस पर विशेष
मातृ-पितृ पूजन दिवस
मातृदिवस
मातृदिवस की शुभकामनाएँ
मातृदिवस पर विशेष
मातृभाषा
मातृभू को सिर नवायें
मातृशक्ति
मात्रिक छन्दों के बारे में कुछ जानकारियाँ
माथा चकराया है
माथापच्ची
मान गया संसार
मान न लेना हार
मान रहा संसार
मान. पुष्कर सिंह धामी का जन्मदिन"
मानव अब तो चेत
मानव है अंजान
मानव है हैरान
मानवता
मानवता का बँटवारा
मानवता गुमनाम हो गई
मानवता मर गई है
मानवता लाचार
मानवता से प्यार किया है
मानवता है भंग
मानवता हैरान
मानस के अनुभाव
मानस में संवेद नहीं
मानसून का मौसम आया
मानसून गीत
मानसून ने मन भरमाया
मानी जो हिदायत होती
माफ न करता कभी ज़माना
माया की झप्पी
मारा-मारी सदन में
मार्च-2017
माला बन जाया करती है
मालिक के वफादार और सच्चे चौकीदार
मास सितम्बर-हिन्दी भाषा की याद
मासूम चेहरों से धोखा न खाना
मिट गयी सारी तपन।
मिटा देंगे पल भर में भूगोल सारा।
मिटाता सिर्फ पानी है
मिट्टी के ही दिये जलाना
मिट्टी के ही दीपक सदा जलाओ तुम
मिट्टी से है बनी सुराही
मिठाई
मित्र शब्द का है नहीं
मित्रता दिवस
मित्रता-दिवस
मित्रतादिवस
मिल-जुल कर खेलेंगे होली
मिल-जुलकर मनाएँ इस विजय त्यौहार को
मिल-जुलकर सब होली खेलो
मिलता मन को चैन
मिलन की आस
मिलना दिल को खोल
मिलने आना तुम बाबा
मिला कनिष्ठा अंगुली
मिला कनिष्ठा अंगुली होते हैं प्रस्ताव
मिला बुद्ध को ज्ञान
मिली डाँट-फटकार
मिली नहीं खैरात
मिष्ठान नही हम खाते हैं
मिष्ठानों का स्वाद ले बोलो मीठे बोल
मीठे से हम कतराते हैं
मीठे-कड़ुए नीम
मीत का साथ निभाओ
मीत बन जाऊँगा
मील का पत्थर
मुंशी प्रेमचन्द का जीवनवृत्त
मुंशी प्रेमचन्द के जन्म-दिवस पर विशेष
मुंशी प्रेमचन्द को शत-शत नमन
मुकद्दर आजमाते हैं
मुकद्दर आजमाना चाहता है
मुकद्दर रूठ जाते हैं
मुक्त छंद
मुक्त हुआ साहित्य
मुक्त-छंद
मुक्त-छंद (लोक-तन्त्र)
मुक्त-छन्द
मुक्तक
मुक्तक काव्य
मुक्तक गीत
मुक्तक गीत "सदा गुणगान करते हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
मुक्तक-बाल गीत
मुक्तकगीत
मुक्तछन्द
मुख पर राम नाम आता है
मुख हैं सबके म्लान
मुखड़ा
मुखपोथी
मुखपोथी पर लोग
मुखपोथी बनाम फेसबुक
मुखपोथी से प्यार
मुखरित अब अधिकार हो गये
मुखरित है शृंगार
मुखरित हैं अब चोर
मुखिया का अधिकार
मुखौटे
मुखौटे मोम के
मुखौटे राम के
मुख्य नाम है ओम
मुख्यमन्त्री उत्तराखण्ड
मुझको पतंग बहुत भाती है
मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन
मुझको रोज जगाती हो
मुझपे रखना पिया प्यार की भावना
मुझमें छन्द विधान नहीं है
मुझे फिर याद आता है
मुझे मिला उपहार
मुझे मिली है सुन्दर काया
मुद्दा तीन तलाक का
मुन्नी भी बदनाम हो गई
मुफ़लिसी के साए में अपना सफ़र चलता रहा
मुबारकवाद
मुरलिया बना तो
मुर्गा
मुलाकात
मुल्क की जी-जान से
मुल्क पर जानो-जिगर शैदा करो
मुल्ला-पण्डित-पादरी के चंगुल में धर्म
मुल्लाओं की घात
मुश्किल से मिलती है यहाँ दो जून की रोटी
मुश्किल हुआ मक्ता लगाना है
मुश्किल हुई है रूप की पहचान
मुसीबत में गरीबों की
मुस्कुरायेंगे गुलशन में सारे सुमन
मुहबोली बहन
मुहब्बत
मुहब्बत कौन करता है
मुहर्रम
मूँछ
मूरख हैं शिरमौर
मूरखपन का खेल
मूर्ख दिवस
मूर्ख दिवस फस्ट अप्रैल
मूर्खदिवस
मृग नयनी की बात
मृत्यु एक मछुआरा-बेंजामिन फ्रैंकलिन
मेंढक
मेंहदी
मेंहदी का अवलेह
मेघ को कैसे बुलाऊँ?
मेढक
मेढक सुनाते सुर-सुरीला
मेरा एक पुराना गीत
मेरा एक संस्मरण
मेरा घर है सबसे प्यारा
मेरा जन्मदिन
मेरा नमन
मेरा नैनीताल
मेरा पुनर्जन्म
मेरा प्रण
मेरा बस्ता
मेरा बस्ता कितना भारी
मेरा भारत देश
मेरा वतन
मेरा वन्दन
मेरी कविता"
मेरी कार का आठवाँ जन्मदिवस
मेरी कार का जन्मदिन
मेरी गज़ल
मेरी ग़ज़ल
मेरी गुरुकुल की पहली यात्रा
मेरी गैया भोली-भाली
मेरी छोटी पुत्रवधु का जन्मदिन
मेरी जेन स्टिलो का जन्मदिन
मेरी डॉल
मेरी तीन पुरानी रचनाएँ
मेरी दो कुण्डलियाँ
मेरी दो बालकविताएँ
मेरी दो रचनाएँ"
मेरी पतंग बड़ी मतवाली
मेरी पसन्द
मेरी पसन्द के पैंतीस दोहे
मेरी पहली ग़ज़ल
मेरी पुस्तक गजलियाते रूप से एक ग़ज़ल
मेरी पोती कितनी प्यारी
मेरी पोती प्राची का जन्मदिन
मेरी पौत्री प्राची का 16वाँ जन्मदिन
मेरी पौत्री प्राची का 17वाँ जन्मदिन
मेरी पौत्री प्राची का जन्मदिन
मेरी पौत्री प्राची की वर्षगाँठ
मेरी प्यारी जूली
मेरी प्यारी पोती
मेरी बात
मेरी बात सुनो इन्सानो
मेरी बिल्ली प्यारी-प्यारी
मेरी मझली बहन वीरमति अब स्मृतिशेष है
मेरी ममतामयी माता जी का श्राद्ध
मेरी माता
मेरी माता जी
मेरी मूर्खता
मेरी वेदना
मेरी श्रीमती अमर भारती का जन्मदिन
मेरी श्रीमती का जन्मदिन
मेरी श्रीमती जी का जन्मदिन
मेरी संगिनी का जन्मदिन
मेरी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना-नेताओं का चरित्र
मेरी हिन्दी
मेरे छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिन
मेरे ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन
मेरे ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन
मेरे दो मुक्तक
मेरे दोहा संग्रह नागफनी के फूल की भूमिका
मेरे दोहे-दोहा दंगल में
मेरे पच्चीस मुक्तक
मेरे पिता जी
मेरे पुत्र का जन्मदिन
मेरे पूज्य पिता श्री का
मेरे पूज्य पिता श्री घासीराम आर्य का दसवाँ वार्षिक श्राद्ध
मेरे पौत्र "प्राञ्जल" के जन्मदिन की 16वीं वर्षगाँठ
मेरे पौत्र का 25वाँ जन्मदिन
मेरे पौत्र प्रांजल का जन्मदिवस
मेरे प्यारे वतन
मेरे प्रियतम तुम्ही मेरी आराधना
मेरे ब्लॉग उच्चारण का जन्मदिन
मेरे भइया तुम्हारी हो लम्बी उमर
मेरे भारत-विशाल की
मेरे मंजुल भाव
मेरे मन के उदगार
मेरे माथे पे बिन्दिया चमकती रहे
मेरे हाइगा
मेला आज उदास
मेला गंगास्नान
मेला बहुत विशाल
मेला वर्णन
मेले से लाता नहीं
मेहनत की पतवार
मेहमान कुछ दिन का अब साल है
मेहमान कुछ दिन का ये साल है
मैं 'मयंक' हूँ
मैं अंगारों से प्यार करूँ
मैं अपनी मम्मी-पापा के
मैं गीत बनाना भूल गया
मैं घास-पात को चरता हूँ
मैं ज्ञान माँगता हूँ
मैं तब-तब पागल होता हूँ
मैं तिरंगे को झुकने न दूँगा कहीं
मैं तुमको समझाऊँ कैसे
मैं तुम्हारे लिए गीत बन जाऊँगा
मैं दुनिया का जन्तु अनोखा
मैं देवी का हूँ उद् गाता
मैं नारी हूँ...!
मैं नौका पार लगाऊँगा
मैं प्यार बोना चाहता हूँ
मैं भगवा का समर्थक
मैं हिमगिरि हूँ
मैं हो गया अनाथ
मैंने प्यार किया था
मैंने सब-कुछ हार दिया है
मैदान बदलते देखे हैं
मैदानों पर मेह
मैना चहक रहीं उपवन में
मैना चीख रही उपवन में
मैला हुआ है आवरण
मोक्ष के लक्ष्य को मापने के लिए
मोदी का अवतार
मोदी का फरमान
मोदी का वार
मोदी की सरकार
मोर झूमते पंख पसारे
मोर नाचते पंख पसारे
मोह सभी का भंग
मोह हो गया भंग
मोहक रूप बसन्ती छाया
मौका (गेंदा लाल शर्मा 'निर्जन'
मौत
मौत का पैगाम लाती है सुरा
मौत ज़िन्दगी की रेल में सवार हो गई
मौन निमन्त्रण
मौमिन के घर ईद
मौसम
मौसम आया प्यारा है
मौसम करे बवाल
मौसम का पहला कुहरा
मौसम का बदलाव
मौसम का ये खेल
मौसम की विपरीत चाल है
मौसम के फल
मौसम के शीतल फल खाओ
मौसम के सारे फल खाना
मौसम के हैं ढंग निराले
मौसम गुलाबी हो गया
मौसम ने मधुमास सँवारा
मौसम ने मादकता घोली
मौसम ने ली है अँगड़ाई
मौसम नैनीताल का
मौसम बदल रहा है
मौसम मेरे देश के
मौसम हँसी-ठिठोली का
मौसम हमें बुलाए
मौसम हुआ खराब
मौसम है अनुकूल
म्यर इजा
यत्र-तत्र दुष्कर्म
यदुवंशी तलवार
यन्त्र-तन्त्र का मन्त्र
यशपाल भाटिया नहीं रहे
यह उपवन आजाद
यह धरा देवताओं की जननी रही
यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है
यह भारत भूखण्ड हमारा
यह व्यंग्य नहीं हक़ीक़त है
यह समुद्र नहीं
यहाँ अरमां निकलते हैं
यहाँ दो जून की रोटी
यहाँ बनाओ मित्र
याचक है मजबूर
यात्रा प्रसंग
यात्रा वत्तान्त
यात्रा संस्मरण
यात्रा-चित्र
यात्रासंस्मरण
याद आती रही
याद दिला देंगे खाला
याद बहुत आते हैं
याद बहुत माँ आती है
याददाश्त कमजोर
यीशू
यीशू धरती पर आया
युग बदला
यू-ट्यूब
ये कैसी आजादी है
ये टोपी है बलिदान की
ये भी ध्यान धरो ना
ये माटी के दीप
ये है तेरा ये है मेरा
ये हैं चौकीदार हमारे
योग दिवस-बहुत जरूरी योग
योग भगाए रोग
योग हमारी रीत
योग हमारी सभ्यता
योगिराज का जन्मदिन
यौवन उबार लेना
रंग
रंग पल-पल यहाँ बदलते हैं
रंग-गुलाल
रंग-बिरंगी चिड़िया रानी
रंग-बिरंगी तितली आई
रंग-बिरंगी दुनिया में
रंग-बिरंगे गाल
रंग-बिरंगे तार
रंग-मंच के क्षेत्र में
रंगभरी एकादशी
रँगे हुए हैं स्यार
रंगों का उपहार
रंगों का त्यौहार
रंगों का है त्यौहार
रंगों की बरसात लिए होली आई है
रंगों की बौछार
रक्खो व्रत-उपवास
रक्षराज ही पाया है
रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन का त्यौहार
रक्षाबन्धन-रंग-बिरंगे तार
रखती सबका ध्यान।
रखना हरदम मेल
रच दी अमर कहानी
रचता रोज कुम्हार
रचना ऐसा गीत
रचना में दुहराता हूँ
रचनाएँ रचवाती हो
रचो ललित-साहित्य
रजत कणों की तारा सी
रण में लड़ना जंग
रपट
रबड़-छन्द भाया है
रबड़छन्द
रमजान
रवि लगता नाराज
रविकर जी को समर्पित
रस काव्य की आत्मा
रस काव्य की आत्मा है
रस्सी-डोरी के झूले अब कहाँ लगायें सावन में
रहता है हरदम चौकन्ना
रहते तभी समीप
रहते सभी समीप
रहना भाव-विभोर
रहना सदा उदार
रहना सदा सतर्क
रहने दो सम्बन्ध
रहा जगत में काम
रहा पाक ललकार
रहा हाईकू ध्यान
रहे न खाली हाथ
रहे बेटियाँ मार
रहे सवाल कचोट
रहे साथ में शारदे
रहो न कभी उदास
रहो सदा सानन्द
राकेश चक्र
राखी का उपहार
राखी का त्यौहार
राखी का पावन त्यौहार
राखी की डोरी
राखी के ये तार
राखी नेह भरा उपहार
राखीगीत
राज-काज में हिन्दी नही समाई
राजनीति
राजनीति का खेल
राजनीति का ताल
राजनीति के सन्त
राजनीति गन्दी नहीं
राजनीतिक घमासान
राजनीतिक विश्लेषण
राजस्थान से प्रकाशित पत्रिका सेठानी में मेरी कविता
राजा हूँ मैं अपने मन का
राज्य उत्तराखण्ड
राज्य स्थापना दिवस और उत्तराखण्ड का इतिहास
रात का हरता अन्धेरा
रात में भी ताँकता रहता
राधा तिवारी
राधाकृष्णन-कृष्ण का है अद्भुत संयोग
राम
राम आ रहे याद
राम की जय-जयकार
राम कृष्ण की तान
राम के ही देश में राम बेकरार है
राम को मन में बसाकर देखिए
राम देश का गर्व
राम नाम है सबसे प्यारा
राम लला का रूप
राम सँवारे बिगड़े काम
राम हुए बदनाम
राम-नाम ...है
राम-नाम है मन्त्र
रामनाम
रामलला-रघुराज
रावण
रावण अभी भी जिन्दा है
रावण को जलाओ
रावण को जलाओ तो कोई बात बने
रावण ने आतंक मचाया
रावण पुष्ट होकर पल रहा
रावण या रक्तबीज
रावण सारे राम हो गये
राष्ट्रभाषा
राष्ट्रीय बालिका दिवस
राष्ट्रीय-गीत
रासरचैया कहकर मत बदनाम करो
रास्ता अपना सरल कैसे करूँ
रास्ते मंजिलों से ही मिल जायेंगे
रास्तों को नापकर बढ़े चलो-बढ़े चलो
राह को बुहार लो
राह खुशियों की आसान हो जायेगी
राह दिखाये कौन
राह नापता रहा
राह में चलते-चलते
राहगीरों से प्यार मत करना
रिमझिम वाले भादो-सावन नहीं रहे
रियायत कौन करता है
रिवाज़-रीत बन गये
रिश्ता आज पुनीत हो गया
रिश्ते ना बदनाम करें
रिश्ते बनाने के लिए
रिश्ते-नाते प्यार के
रिश्तेदार
रिश्वत के दूत
रिश्वत भरा हुआ मन
रिश्वत है ईमान
रिश्वतखोरी
रीतियों के रिवाजों से लड़ता रहा
रीतीगागर
रूप
रूप उनको गुलाम करते हैं
रूप कञ्चन कहीं है
रूप कञ्चन कहीं है कहीं है हरा
रूप की अंजुमन में न शामिल हुए
रूप की धूप
रूप की धूप ढलती जाती है
रूप की बुनियाद
रूप के ख़्वाब ढल गये यारों
रूप कैसे खिले धूप कैसे मिले
रूप को अपने नवल कैसे करूँ
रूप तो नाचीज़ है
रूप न ऐसा हमको भाता
रूप पुतले घड़ी भर में बदलते हैं
रूप पुराना लगता है
रूप सबको भा रहा
रूप है अब कहाँ
रूप” से ही प्यार है
रूप”हमें दिखलाते हैं
रेखा लोढ़ा 'स्मित'
रेखा श्रीवास्तव
रेत के घरौंदे
रेत में घरौंदे
रेत में मूरत गढ़ेगी कब तलक
रेतपर
रेबड़ी बाँट रही सरकार
रेलगाड़ी
रेलबजट
रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन
रो रहा समृद्धशाली व्याकरण
रोज दादा जी जलाते हैं अलाव
रोज-रोज ही गीत नया है गाना
रोटी का अस्तित्व
रोटी का गीत
रोटी का भूगोल
रोटी पकाना सीखिए अपने तँदूर पे
रोटी भरती पेट
रोटी है आधार
रोटी है तकदीर
रोटी हैं अनमोल
रोता है माहताब हमारी आँखों में
रोला और कुण्डलिया
रोशनी का संसार माँगता हूँ
रौशन करते शहरों को
रौशन हो परिवेश
रौशनी की हम कतारें ला रहे हैं
रौशनी के वास्ते
लक्ष्यहीन संधान न कर
लखनऊ
लगता है बसन्त आया है
लगा प्रेम का रोग
लगी है झड़ी सावन की
लगे राम की माला जपने
लघु कथा
लघु-कथा
लघुकथा
लड़ा रहे हैं आँख
लफ्ज़ तो ज़ुबान की बातचीत बन गये
लब्ज़ तब शायरी में ढलते हैं
लब्ज़ों का व्यापार
लम्हों की कहानी
ललकार
लहरों में पतवार
लहरों से जूझ रहे
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए
लाइक एक हजार
लाइव का उपहार
लाइव काव्यपाठ पर मेरे पाँच दोहे
लाऊँ कहाँ से नया तराना
लाख टके की घूस
लाचार हुआ सारा समाज
लाठीचार्ज
लाया नये शहर में
लाया नूतन पात
लाल-हरी रंगोली
लालबत्ती
लालू प्रसाद
लिखता मन की बात
लिखना नहीं आया
लिखना-पढ़ना नहीं आया
लिखने का है रोग
लिखूँ कैसे गज़ल को अब
लीची
लीची के गुच्छे
लीची के गुच्छे मन भाए
लील रही हैं चील
लुट गये हम प्यार में
लुटा सभी मकरन्द
लुटे-पिटे दरबार
लुटेरे ओढ़ पीताम्बर लगे खाने-कमाने में
लुप्त हुआ अभिसार
लुप्त हुए चाणक्य हैं
लू से कैसे बदन बचाएँ
लू-गरमी का हुआ सफाया
लूट रहे जनता को डाकू
ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन
ले परिणाम टटोल
ले लो पाकिस्तान
लेख
लेख (सुझाव)
लेखक ऐसे उग रहे
लेखक धनपत राय
लेखक धनपत राय-जयन्ती पर विशेष
लैपटाप
लोक का नहीं रहा जनतन्त्र
लोकगीत
लोकतन्त्र का रूप
लोकतन्त्र की बात
लोकतन्त्र की बेल
लोकतन्त्र बीमार
लोकतन्त्र में लोग
लोकतन्त्र में वोट
लोकतन्त्र है मौन
लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास
लोकपाल
लोकाचार
लोकार्पण
लोग कमल के साथ
लोग कर रहे बात
लोग करें बकबाद
लोग खोजते मंच
लोग गये हैं हार
लोग जब जुट जायेंगे तो काफिला हो जायेगा
लोग भूलते जा रहे
लोग रहे हैं खीझ
लोग रहे हैं झाड़
लोग हुए उन्मुक्त
लोग हुए गूँगे-बहरे हैं
लोग हुए निःशंक
लोग हुए भयभीत
लोग हो रहे मस्त
लोगों का आहार
लोगों को उपहार
लोगों में उल्लास
लोहड़ी
लोहड़ी पर्व
लोहिड़ी
लोहियाहेड पावर हाउस
लौकी
वक्त के कमाल हैं
वक्त के साथ सारे बदल जायेंगे
वचनों के कंगाल सुनो
वज्र प्रहार
वतन में हर जगह बलवा
वन को जीवित रखना होगा
वनखण्डी का द्वार
वनखण्डी महादेव
वन्दन शत-शत बार
वन्दन शत्-शत् बार
वन्दन है अनिवार्य
वन्दन-पूजा-जाप
वन्दना
वन्दना के दोहे
वन्दना गुप्ता
वन्यप्राणी
वरिष्ठ नागरिक दिवस
वर्षगाँठ
वर्षा
वर्षा का आनन्द
वर्षाऋतु
वसन्त
वसुन्धरा ने प्यास बुझाई
वहाँ दो जून की रोटी
वहाँ बोलते नैन
वहाँ लोग नीलाम हो गये
वही बस पावमानी है
वही वो हैं वही हम हैं
वही सुमन होता है
वाकिफ आज जहान
वाणी का संधान
वाणी में सुर-तान
वाणी है अनमोल
वातावरण कितना सलोना
वादे ऊल-जुलूल
वानर
वार्तालाप
वाल कविता
वालकविता
वालगीत
वासन्ती आभास
वासन्ती उपहार
वासन्ती गीत
वासन्ती परिधान
वासन्ती परिवेश
वासन्ती शृंगार
विकराल-समस्या
विकास के पूत
विघ्न विनाशक-सिद्धि विनायक
विजय का पावन त्यौहार
विजय पर्व के बाद में
विजया दशमी. दोहे
विजयादशमी
विजयादशमी विजय का
विदुरनीति का हुआ सफाया
विदेशभक्ति
विद्या के बैल
विद्या जीवन का आधार
विद्वानों की सीख
विद्वानों के वाक्य
विनीत शास्त्री
विनीत संग पल्लवी
विमोचन एवं काव्य गोष्ठी
विमोचन के दृश्य
विरह और संयोग
विरह-गीत
विरहगीत
विलियम शेक्सपियर
विवध दोहावली
विविध दोहावली
विविध दोहे
विविधताओं में एकता
विविधदोहे
विश्व कविता दिवस
विश्व कीट उन्मूलन दिवस
विश्व गौरैया दिवस
विश्व चिकित्सक दिवस
विश्व जल दिवस
विश्व तम्बाकू उन्मूलन दिवस
विश्व परिवार दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पुस्तक दिवस
विश्व पुस्तक-दिन
विश्व पुस्तक-दिवस
विश्व प्रणय सप्ताह
विश्व महिला दिवस
विश्व मुस्कान दिवस
विश्व रंग मंच दिवस
विश्व रंगमंच दिवस
विश्व साक्षरता दिवस
विश्व हिन्दी दिवस
विश्वकप का जश्न
विष का करके पान
वीणा की झंकार दो
वीर छन्द
वीर रस
वीरंगना लक्ष्मीबाई और श्रीमती इन्दिरा गांधी
वीररस
वीरांगना लक्ष्मी बाई और प्रियदर्शि्नी इन्दिरा जी को जन्मदिवस पर नमन
वीरान गुलशन सजाकर दिखा तो
वीराना चमन
वीरों का बलिदान
वीरों की गाथाओं से
वृक्ष लगाओ मित्र
वृद्ध पिता मजबूर
वृद्धसेना
वृद्धावस्था में कभी मत होना मग़रूर
वेदों का सन्देश
वेबकैम
वैज्ञानिक इस देश के धन्यवाद के पात्र
वैलेण्टाइन-डे
वैवाहिक जीवन की 48वीं वर्षगाँठ
वैवाहिक जीवन के 43 वर्ष
वैवाहिक जीवन के 49 वर्ष
वैवाहिक जीवन के 50 वर्ष
वैवाहिक जीवन हुआ
वैवाहिक वर्षगाँठ
वैसा हिन्दुस्तान नहीं
वो नर नहीं भगवान है
वो निष्ठुर उपवन देखे हैं
वो पढ़ नही सकते
वो पतला सा शॉल
वो पात-पात निकले
वो पावन गंगा कहलाती
वो फर्स्ट अप्रैल
वो बादल कहलाते हैं
वो मजे से दूर हैं
वो मधुवन होता है
वो ही अधिक अमीर
वो ही राग-वही है गाना
वोट-नोट
व्यंग्य
व्यंग्य-गीत
व्यञ्जनावली
व्यर्थ यहाँ बलिदान
व्याकरण
व्याकरण चाहिए
व्याकरण से हो रही खूब छेड़खानी
व्यापक दूषित नीर
शंकर शमन करेंगे मन को
शंकर! मन का मैल मिटाओ
शत-शत नमन।
शत्-शत् नमन
शत्-शत् प्रणाम
शनिजयन्ती
शब्द धरोहर
शब्द बहुत अनमोल
शब्द सरिता में मेरी रचना
शब्द-चित्र
शब्दकोश में शब्दार्थ
शब्दों का आमन्त्रण
शब्दों का भण्डार नहीं है
शब्दों की पतवार थाम
शब्दों की पतवार थाम लहरों से लड़ता जाऊँगा
शब्दों के मौन निमन्त्रण
शब्दों से वाचाल थे
शमशान
शम्मा
शम्मा सारी रात जली
शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा पर बादलों में बन्दी मयंक
शरद पूर्णिमा पर हँसा
शरदचन्द्र सौगात
शरदपूर्णिमा
शरदपूर्णिमा धरा पर लाती है उल्लास
शरदपूर्णिमा पर्व
शरदपूर्णिमा पर्व पावस का त्यौहार
शरदपूर्णिमा रात
शराब
शशि पुरवार का जन्मदिन
शह-मात
शहतूत
शहद बनाना काम तुम्हारा
शहर-ए-दिल्ली को बदलने दीजिए
शाकाहार
शाखाओं पर लदे सुमन हैं
शान-दान
शाम जैसी ढल रही है जिन्दगी
शामियाना चाहिए
शामियाना-3
शायद वर्षा जल्दी आये
शायरी के अल्फाज
शारदा के तट पर
शारदा नहर खटीमा
शारदा सागर है
शारदे के द्वार से ज्ञान का प्रसाद लो
शारदे मन के हरो विकार
शारदे माँ
शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन
शारदेमाँ
शासन
शासन को चलाती है सुरा
शासन चलाना जानते हैं
शासन मालामाल
शासन में इंसाफ
शिकवे-गिले मिटायें होली में
शिक्षक करें विचार
शिक्षक का मान
शिक्षक का सम्मान
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस. दोहे
शिक्षक वन्दना
शिक्षक वन्द्ना
शिक्षा
शिक्षा का उत्थान
शिक्षा का परिवेश
शिक्षाप्रद कहानी
शिन्दे को अब ताज
शिव
शिव आराधना
शिव का डमरू बन जाऊँगा
शिव का ध्यान लगाओ
शिव की लीला अपरम्पार
शिव के द्वारे जाओ
शिव वन्दना
शिव-शंकर का ध्यान
शिव-शंकर को प्यारी बेल
शिवजी के उद्घोष
शिवमन्दिर श्री वनखण्डी महादेव
शिवमहिमा
शिवरात्रि
शिवरात्रि की रात में सात बार रंग बदलता है पत्थर
शिवरात्रि मेला
शिववन्दना
शिष्याओं से प्रीत
शीत का होने लगा अब आगमन
शीत बढ़ा
शीतल काया
शीतल छाया
शीतल पवन बड़ी दुखदाई
शीतल फल हुए रसीले
शीतल ही है भोर
शीतल हुई दुपहरी
शीतलता का अन्त हुआ
शीतलता ने डाला डेरा
शीशा-ए-दिल
शुक्रिया करना नहीं आया
शुद्ध करो परिवेश
शुद्धता सिखलाते नवरात्र
शुभ हो नया साल
शुभ हो नूतन साल
शुभकामनाएं
शुभकामनाएँ
शुभदीपावली
शुभनवरात्र
शुरू योग अब कीजिए
शुरू सभी शुभ काम
शुरू हुआ चौमास
शूद्रवन्दना
शून्य पर ही अन्त है
शून्य महिमा
शून्य में है जिन्दगी
शून्य से जीवन शुरू है
शूल मीत बन गये
शृंगार
शृंगार उतर कर मैदानों में आया
शृंगार बदल जाते हैं
शेर
शेर-दोहरे छन्द
शैतानी उन्माद
शैल ढके हैं हिम से सारे
शैल सूत्र पत्रिका में मेरे दोहे
शैल सूत्र में मेरी ग़ज़ल
शैल-सूत्र में प्रकाशित रचना
शैलसूत्र
शोकगीत
शोकदिवस ही उचित है हिन्दीदिन नाम
श्यामल अब आकाश
श्यामलाताल
श्रद्धा और श्राद्ध
श्रद्धा का आधार
श्रद्धा में मत कीजिए
श्रद्धा सुमन देता ये कविराय
श्रद्धा से अनुरक्त
श्रद्धा ही तो श्राद्ध की
श्रद्धांजलि
श्रद्धाञ्जलि
श्रद्धासुमन लिए हुए लोग खड़े हैं आज
श्रम की बात
श्रम के लिए बना है जीवन
श्रम से सभी सफलता पाते
श्रमिक दिवस
श्रमिक-दिवस
श्रमिकों के ख्वाब चकनाचूर हैं
श्राद्ध
श्राद्ध गये तो आ गये
श्राप
श्रावण शुक्ला पंचमी
श्रावण शुक्ला पञ्चमी
श्रावण शुक्ला सप्तमी जनमे तुलसीदास
श्री गणेश चतुर्थी
श्री गणेश चतुर्थी. विश्व साक्षरता दिवस
श्री गणेश वन्दना
श्री वनखण्डी महादेव एक प्राचीन शिव मन्दिर
श्री वनखण्डी महादेव प्राचीन शिव मन्दिर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी-आठ दोहे
श्रीकृष्ण भगवान अब लेंगे फिर अवतार
श्रीगणेश वन्दना
श्रीगुरूदेव का वन्दन
श्रीमती अमर भारती
श्रीमती अमरभारती
श्रीमती आशा शैली
श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान
श्लाघा मन-भाया करती है
श्वाँसों की सरगम
श्वाँसों की सरगम की धारा
श्वान खाय मधुपर्क
श्वेत कुहासा-बादल काले
षष्टी मइया
संकट में है हिन्दुस्तान
संक्षिप्त इतिहास
संग में काफिला नहीं होता
संगदिल
संगम नगरी धाम
संगी-साथी किसे बनाऊँ
संधान सफल कर दो
संरक्षण देता सदा
सँवरना न परिन्दों
संशोधित कानून
संसद का शैतान
संसद के सारे सुमन होवें पानीदार
संस्कार
संस्मरण
संस्मरण और एक अनुवाद
संस्मरण शृंखला
संस्मरण शृंखला भाग-2
संस्मरण-2
सकारात्मक एवं अर्थपूर्ण सूक्तियाँ
सक्षम भारतवर्ष
सच के साथ हमेशा जाएँ
सच से कभी न आँखें मींचो
सच होता बलवान
सच्चा-सच्चा प्यार
सच्चाई अब डरने लगी
सच्चाई का अंश
सच्चे कवि कहलाओगे तब
सजने लगा बसन्त
सजने लगी हैं थालियाँ
सजा अयोध्या धाम
सजी माँग सिन्दूरी होगी
सजी हैं खेतों में रंगोली
सजे हुए बाज़ार
सजे हुए लीची के ठेले
सजें-सवाँरे सावन में
सड़कें हैं सुनसान
सत्ता के हकदार हो गये
सत्ता-शासन भोग
सत्य कहने में झमेला हो गया है
सत्य-अहिंसा
की मैं अलख जगाऊँगा
सत्य-अहिंसा की मैं अलख जगाऊँगा
सत्य-अहिंसा वाले गुलशन
सत्यमेव जयते
सत्याग्रह
सत्याग्रह की आड़ में
सत्रह दोहे
सत्रहशेरी ग़ज़ल
सदारत कहाँ गयी
सद्-भावना
सद्गुरुओं को रंज
सन्त और बलवन्त
सन्त कबीर जयन्ती
सन्त चले हरद्वार
सन्त विवेकानन्द
सन्त हो गये लुप्त
सन्त-महन्त
सन्तों की वाणी
सन्तों के भेष में छिपे हैवान आज तो
सन्देश
सन्नाटा पसरा गुलशन में
सन्नाटा है आज वतन में
सन्यासी बनकर मतवाला
सपने
सपनों का संसार
सपनों की कसक
सपनों की मत बात करो
सपनों पे गिरी गाज
सपनों में आया कौन
सपनों में उजियाला है
सफर चल रहा है अनजाना
सब कुछ वही पुराना सा है
सब कुछ है सम्भाव्य
सब पुरानी
सब बच्चों का प्यारा मामा
सब से न्यारा वतन
सब स्वप्न हो गये अंगारे
सबका अटल सुहाग
सबका चित्त-चरित्र
सबका बापू
सबका बापू कहलाया
सबका मन है ललचाया"
सबका हाड़ कँपाया है
सबकी अपनी टेक
सबकी कुछ मजबूरी होगी
सबके अन्तस मैले हैं
सबके पथ का निर्माता
सबके मन को भाती बेल
सबके मन को भाती हो
सबके मन को भाते आम
सबके मन को भाते हैं
सबके मन को भाया बसन्त
सबके साथ मनाओ तुम
सबके साथ विकास
सबको अच्छे लगते बच्चे
सबको को सुख पहुँचाते हैं
सबको गर्मी बहुत सताए
सबको देते प्रेरणा
सबको दो उपहार
सबको मुबारक नया वर्ष हो
सबको सीधी राह बताओ
सबरमती आश्रम
सबसे ज्यादा भाते हैं
सबसे दुखी किसान
सबसे पहले अपना वतन होना चाहिए
सबसे मीठी बात
सब्जी बिकती धान से
सब्र का इम्तिहान बाकी है
सभी गणों के ईश
सभी तरह का माल
सभी तरह के लोग
सभ्यता
सभ्यता का रूप मैला हो गया है
सभ्यता के हिमालय पिघलने लगे
सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा
समझ गया जनतन्त्र
समझदार के लिए इशारा
समझदार हो तो समझना इशारा
समझो मत खिलवाड़
समझौता अन्याय से
समय
समय का चक्र
समय का चक्र चलता है
समय का फेर
समय को हँसकर बिताओ
समय पड़े पर गधे को बाप बनाते लोग
समय बड़ा विकराल
समय हो गया तंग
समय-समय का फेर
समय-समय के ढंग
समयचक्र
समर सलिल पत्रिका में
समाचार
समाचार कतरन
समाजवाद
समास अर्थात शब्द का छोटा रूप
समास अर्थात् शब्द का छोटा रूप
समास को भी जानिए
समीक्षक-डॉ. राकेश सक्सेना
समीक्षक-मनोज कामदेव
समीक्षा
समीक्षा “कदम-कदम पर घास”
समीक्षा-छन्दविन्यास (काव्यरूप)
समीरलाल
समीश्रा
सम्बन्ध
सम्बन्ध आज सारे व्यापार हो गये हैं
सम्बन्धों का चक्रव्यूह
सम्बन्धों का योग
सम्बन्धों की धार
सम्बन्धों की परिभाषा
सम्बन्धों के तार
सम्बन्धों को जोड़ो
सम्मान समारोह
सम्वत्सर तो चमन में लाता हर्ष विशेष
सरकार
सरकारी तकरीर
सरकारी फरमान
सरदी ने रंग जमाया
सरदी से काँप रहा है तन
सरदी से जग ठिठुर रहा
सरदी से जग ठिठुर रहा है
सरपंच मेरे गाँव के
सरस रहा मधुमास
सरस सुमन भी सूख चले
सरसेगी अब भोर
सरसों पर पीताम्बर छाया
सरसों हुई उदास
सरस्वती माता का कोटि-कोटि अभिनन्दन
सरस्वती वन्दना
सरस्वती-वन्दना
सरस्वतीवन्दना
सरहद पर मुस्तैद
सरिताएँ
सरेआम अब नाक
सर्द हवाओं के झोंके
सर्द हवाओं ने तेवर सब ढीले कर डाले
सर्दियाँ
सर्दी
सर्दी गयी सिधार
सर्दी ने है रंग जमाया
सर्दी में कम्पन
सर्दी से आराम मिला है
सर्प-नेवले मीत
सर्व पितृ विसर्जिनी अमावस्या
सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
सलामत आज होना चाहिए
सलामत रहो साजना
सलीके को बताता है
सलीके को बताता है...
सलीबों को जिसने अपनाया
सवाल पर सवाल
सवाल पर सवाल हैं
सवाल पर सवाल हैं कुछ नहीं जवाब है
सवाल-ज़वाब
ससुराल है बेड़ियों की तरह
सहते लू की मार
सहते हो सन्ताप गुलमोहर! फिर भी हँसते जाते हो
सहमा देश-समाज
सहमा सा मजदूर-किसान
सहमा हुआ पहाड़
सहमे हुए कपोत
सही मक़्ता लगाना भी नहीं आता
साँझ का होने लगा आभास अब
साँड-तबेला
साँस की डोर
साँस की सरगम सुनाता जा रहा हूँ
साँसों पर विश्वास न करना
साइकिल
साक्षात्कार
साग-सब्जी
सागर
सागर की गहराई में
सागर सा गहरा
सागर-गागर
साज मौसम ने बजाया
साझा ब्लॉग
सात बार रंग बदलता है पत्थर
सात रंगों से सजने लगी है धरा
सात रंगों से सजा है गगन
सात साल का लेखा जोखा
सातवाँ वार्षिक श्राद्ध
साथ चलना सीखिए
साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना
साथ तुम्हारा भाता है
साथ नहीं कुछ जाना
साथ नहीं है कुछ भी जाना
साथ सूरत के सीरत सलामत रहे
साथ होकर भी सब अकेले हैं
साथी
साथी साथ निभाते रहना
साधन जाता हार
साधना वैद
साधारण जीवन अपनाना
साफ करो परिवेश
साबुन से धोया हमने गधों को हजार बार
सामयिक
सामयिक दोहे
सामस
सामान्य-ज्ञान
सारी बहनें आज
सारे जग को रौशनी
सारे दावेदार
सारे नम्बरदार
सारे बिगड़े काम
सारे संसार में
साल पुराना बीत गया
साल पुराना बीत रहा है
साल-छब्बीस जनवरी
साला-साली शब्द
साली रस की खान
साली से है प्यार
साले हैं उपहार
सालों का आकार
सावन
सावन आया
सावन आया-मस्ती लाया
सावन का उपहार
सावन की झड़ी वो
सावन की महिमा
सावन की हरियाली तीज
सावन की है छटा निराली
सावन की है तीज
सावन में
सावन-गीत
सावन-भादो मास
साहित्य
साहित्य की विधा
साहित्य की विधा "क्षणिका"
साहित्य सुदा में मेरी बाल कविता
साहित्य सुधा जून(द्वितीय)
साहित्यकार
साहित्यकार समागम एवं पुस्तक विमोचन
साहित्यकार से पहले अच्छे व्यक्ति बनिए
साहित्यसुधा पाक्षिक पत्रिका में मेरा गीत
साहूकार ने भिक्षुक बनाया है
सिंह बने शृंगाल
सिंह माँद में छिप गये
सिंहासन पर उल्लू भी बिठाये जाते हैं
सिकन्दर राह दे देंगे
सिक्के के दो पहलू
सिखलाते नवरात्र
सिखलाते रमजान
सिखा दीजिये योग
सितम बहुत सरदी ने ढाया
सितारगंज चुनावप्रचार
सितारों का भरोसा क्या
सितारों में भरा तम है
सिद्धिविनायक आपसे खिली रूप की धूप
सिन्दूरी परिवेश
सिफत और उसका परिवार
सिमट गया संसार
सिमट रही खेती सारी
सिमटकर जी रही दुनिया
सियासत
सियासत के भिखारी
सियासत के भिखारी व्यस्त हैं कुर्सी बचाने में
सियासत में तिज़ारत है
सियासत में शरारत है
सियासतीफकीर
सिर पर खड़ा बसन्त
सिर पर बँधता ताज
सिर्फ कलेण्डर ही तो बदला
सिर्फ खरीदार मिले
सिर्फ खार मिले
सिलसिला
सिलसिला नहीं होता
सिसक रहा गणतन्त्र
सिसक रहे अमराई में
सिसक रहे हैं तार
सिहरन बढ़ती जाए
सीख काम की हम सिखलाते
सीख रहा हूँ दुनियादारी
सीख सिखाते ज्येष्ठ
सीख हमें सिखलाती हो
सीखिए गीत से गीत का व्याकरण
सीखिए प्यार से प्यार का व्याकरण
सीखो चमन में जाकर
सीधी-बात
सीधी-सादी मेरी मैया
सीना छप्पन इंच का
सीपिकाएँ
सीमा
सीमा का कभी नहीं लाँघू
सीमा के योद्धाओं से
सीमा पर घुसपैठ को
सीमित है संसार में
सुख का सूरज
सुख का सूरज उगे गगन में
सुख का सूरज नहीं गगन में
सुख की तमन्ना क्या करें
सुख के बादल
सुख के सूरज से सजी धरा
सुख देती है धूप
सुख वैभव माँ तुमसे आता
सुख-चैन छीनने को गद्दार आ गये हैं
सुख-दुख
सुदामा भटक रहा है
सुधर गया परिवेश
सुधर रहा परिवेश
सुधरा है परिवेश
सुधरें सबके हाल
सुधरेंगे अब हाल
सुधरेंगे फिर हाल
सुधरेंगे बिगड़े हुए हाल
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल
सुधरेगा परलोक
सुधरेगा परिवेश
सुनने को आवाज़
सुनामी
सुन्दर खरगोश हमारा है
सुन्दर विमल-वितान
सुन्दर सा परिवार
सुभद्राकुमारी चौहान
सुभाषचन्द्र बोस
सुमन इकट्ठे रहें
सुमन बाँटता गन्ध
सुमनो को सब नोच रहे
सुरभित सुमन रोया हुआ
सुराखानों में दारू के नशीले जाम ढलते हैं
सुराही
सुर्ख काया जाफरानी हो गयी
सुलगाओ फिर से नयी आग
सुशान्त का भूत
सुहाना प्यार का साया
सुहाना लगता है
सुहानी न फिर चाँदनी रात होती
सूखा सावन
सूखा-धूप
सूखी मंजुल माला क्यों
सूखे नदियाँ-ताल
सूखे मौसम में अब कैसे
सूखे हुए छुहारे
सूचना
सूना संसद नीड़
सूना है घर-बार
सूरज अनल बरसा रहा
सूरज उगा विश्वास का
सूरज और कुहरा
सूरज कितना घबराया है
सूरज को भी तम ने घेरा
सूरज नभ में शर्माया है
सूरज ने मुँहकी खाई
सूरज शर्माया
सूरज शीतलता बरसाता
सूरज से आग बरसती है
सूरज से हैं धूप
सूरज हुआ जवान
सूरज-चन्दा-धरती
सूरत पर अभिमान न कर
सूर्य भी शीत उगलता है
सृजन कुंज की भूमिका
सेंक रहे हैं धूप
सेना का अपमान
सेमल ने ऋतुराज सजाया
सेमल ने बसन्त चहकाया
सेवा का पथ यीशू ने दिखलाया
सेवों का मौसम आया है
सैनिक-सेनाधीश
सैन्य शक्ति का अंग
सोच अरे नादान
सोच-समझ कर ही सदा
सोच-समझकर बटन दबाना
सोच-समझकर वोट
सोने जैसा रूप
सोने में मत समय गँवाओ
सोलह दोहे
सौंदर्य जॉन मेसफील्ड
सौतेला व्यवहार
सौन्दर्य
सौम्य शीतल व्यक्तित्व के धनी- डा. मयंक
स्नान
स्मृतिशेष बाबा नागार्जुन
स्मृतिशेष शायर गुरुसहाय भटनागर 'बदनाम'
स्लेट और तख्ती
स्व. गुरु सहाय भटनागर 'बदनाम'
स्व. टीकाराम पाण्डेय 'एकाकी' की पाँचवीं पुण्यतिथि
स्वच्छ करो परिवेश
स्वच्छता ही मन्त्र है
स्वतन्तन्त्रा दिवस
स्वतन्त्रता
स्वतन्त्रता का नारा है बेकार
स्वतन्त्रता का मन्त्र
स्वतन्त्रता का मन्त्र।
स्वतन्त्रता दिवस
स्वदेश का परवाना
स्वप्न
स्वप्न जाते नहीं
स्वप्न हुआ साकार
स्वर अर्चवा चावजी
स्वर श्रीमती अमर भारती
स्वर सँवरता नहीं
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
स्वरावलि
स्वर्णिम इतिहास
स्वागत नवसम्वत्सर
स्वागत भारतीय नववर्ष
स्वागत में तैयार
स्वागत-गीत
स्वाति का जन्मदिन
स्वाभाविक मुस्कान
स्वाभाविक शृंगार
स्वामी अग्निवेश जी पर जानलेवा हमला
स्वार्थ छलने लगे
स्वार्थ में शुमार है
स्वीकार हमें है
हंस फाँकते धूल
हँसता गाता बचपन की भूमिका
हँसता हरसिंगार
हँसता-गाता बचपन
हँसी बहुत आया करती है
हँसी-खुशी
हक़ीक़त से अपना न दामन बचाना
हजार जन्म ले लेते हैं
हनुमान जयन्ती
हनुमान जयन्ती की सभी भक्तों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
हबस
हम कमल हैं चरण-रज से खिल जायेगें
हम तो हिन्दी वाले हैं
हम देख-देख ललचाते हैं
हम नहीं बिकेंगे
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे
हम पहाड़ी मनीहार हैं
हम प्यार पो रहे हैं
हम लोग पहाड़ी मनीहार हैं
हमको इन्सानियत के न छल का पता
हमको थोड़ा प्यार चाहिए
हमको दूध-दही अपनाना है
हमको वो परिधान चाहिए
हमने छन्दों को अपनाया
हमने वो सावन देखे हैं
हमसफर
हमसफर बनाइए
हमारा चमन
हमारा प्यारा कुत्ता ट़ॉम
हमारा राजा
हमारा सूरज
हमारी 40वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
हमारी 47वीं प्रणय जयन्ती
हमारी नियति
हमारी नैनो
हमारी वैवाहिकवर्षगाँठ
हमारी स्पार्क
हमारी हिन्दी खराब क्यों है?
हमारे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी का जन्म दिन"
हमीं पर वार करते हैं
हमें गाना नहीं आता
हमें चिढ़ाया सा करती है
हमें फुरसत नहीं मिलती
हमें शीतल पवन
हर इक कदम पर भरे पेंच-औ-खम हैं
हर खुशी तेरे नाम करते हैं
हर जन्म में आप ही मेरी माता हों
हर बहना को गर्व
हर बिल्ला नाखून छिपाता
हर रोज रंग अपना
हर सिक्के के दो पहलू हैं
हर-हर बम-बम बोल
हरकत हैं नापाक
हरण हो रहा चीर
हरदेई
हरसिंगार के फूल
हरा-भरा परिवार चाहिए
हरियाली तीज
हरियाली ने रूप दिखाया
हरी मिर्च
हरी मिर्च थाली में पसरी
हरी-भरी सब बेल
हरी-भरी हैं पर्वतमाला
हरीश रावत-इन्सान पहले
हरे पेड़ के नीचे
हरेला
हरेला का त्यौहार
हलाहल पिला दिया तुमने
हवन
हवा चल रही सर-सर-सर
हवाईजहाज
हसरत रही बकाया
हाइकू
हाइगा
हाड़ कँपाता शीत
हाड़ धुन रहे राजदुलारे
हाथ बनाते दीप
हाथ में नयी लकीर आ गयी
हाथ-हाथ को धोता है
हाथी
हाथों में उसके आज भी झूठा गिलास है
हाथों में पिस्तौल
हार गये सामन्त
हार गये हैं ज्ञानी-ध्यानी
हार भी जरूरी है
हारा सरल सुभाव
हालत हुई खराब
हालत है विकराल
हालातों से बालक हारे
हास्य-गीत
हास्यगीत
हिंग्लिश रही दबोच
हिंसा का परिवेश
हिजरी सन का प्रथम माह
हिना खोलती राज
हिन्दी
हिन्दी आती याद
हिन्दी करे पुकार
हिन्दी का अनुपात
हिन्दी का उत्थान
हिन्दी का कल्याण
हिन्दी का गुणगान
हिन्दी का पथ नहीं सरल है
हिन्दी का भण्डार
हिन्दी का सम्मान
हिन्दी की अब तो आशाएँ धूमिल हैं
हिन्दी की पहचान
हिन्दी की बिन्दी
हिन्दी की ही हार
हिन्दी की है धूम
हिन्दी की है हार
हिन्दी के दिन को हिन्दी-डे बतलायें
हिन्दी को बिसराया है
हिन्दी ग़ज़ल
हिन्दी ग़ज़लिका
हिन्दी चिट्ठाकारी दिवस
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस विशेष
हिन्दी पखवाड़ा
हिन्दी पर आघात
हिन्दी ब्ल़गिंग-अपार सम्भावनाएँ
हिन्दी ब्ल़ॉगिंग और फेसबुक
हिन्दी ब्लॉगिंग की दुर्दशा
हिन्दी भाषा को अपनाएँ
हिन्दी में रेफ लगाने की विधि
हिन्दी वर्ण-माला और पञ्चमाक्षर
हिन्दी वर्णमाला-ऊष्म और संयुक्ताक्षर
हिन्दी वाले हैं
हिन्दी व्यञ्जनावली
हिन्दी व्यञ्जनावली-अन्तस्थ
हिन्दी व्यञ्जनावली-चवर्ग
हिन्दी व्यञ्जनावली-टवर्ग
हिन्दी व्याकरण
हिन्दी व्याकरण भाग-१ और भाग-२
हिन्दी से अनुराग
हिन्दी से है प्यार
हिन्दी स्वरावलि
हिन्दी है कमजोर
हिन्दी है परतन्त्र
हिन्दी है लाचार
हिन्दी है सबसे सरल
हिन्दी-दिवस
हिन्दीग़ज़लिका
हिन्दीदिवस
हिन्दीदिवस पर दो रचनाएँ
हिन्दुस्तानियों की हिन्दी खराब क्यों है?
हिफ़ाजत कौन करता है
हिमाकत में निजामत है
हिमायत कौन करता है
हिमालय
हिरणी जैसी चाल
हिल-मिल खेलें होली
हीरो वाधवानी
हुआ क्यों जन-जीवन बेहाल
हुआ दशानन पुष्ट
हुआ निर्मल गगन
हुआ बसन्त उदास
हुआ बेसुरा आज तराना
हुआ शीत का अन्त
हुआ समय विकराल
हुई घनघोर बारिस जब
हुई चलन से दूर
हुई पत्र से लुप्त
हुई मन्नत सभी पूरी
हुई लुप्त सब धूप
हुई होलिका खाक
हुए आज मजबूर
हुए आज विकराल।
हुए खुशहाल हम
हुए हैं रंग-बिरंगे गाल
हुए हौसले पस्त
हुनमान जयन्ती
हृदय के उद्गार
हे निराकार-साकार देव!
हे मनमोहन देश में
है असमर्थ विवेक
है आराम हराम
है कितना मजबूर
है किसने दिल को पहचाना
है नये साल का अभिनन्दन
है पावन त्यौहार
है सूरज भयभीत
हैं दिखावे के लिए दैरो-हरम
हो गद्दारों से गद्दारी
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना
हो गया इन्सान बौना
हो गया मौसम सुहाना
हो गयी पूरी कहानी
हो गये हैं लोग कितने बेशरम
हो चुकी अब बन्दगी
हो जाता मजबूर
हो जाते सब मौन
हो नही सकता
हो नहीं सकता हमारा देश आरत
हो रहा आभास है
हो रहा विहान है
हो विकास भारत के अन्दर
हो हर बालक राम
हों समता के भाव
होंगे नये सुधार
होंगे सभी निरोग
होगा क्या उद्धार
होगा नूतन वर्ष में जीवन में उल्लास
होगा बदन निरोग
होगी अब तसदीक
होगी ईद मुफीद
होठों पर हरि नाम
होता नवनिर्माण
होता नित अवरोध
होता पावन पर्व।।
होता है अनुमान
होता है ये हुश्न छली
होती हाड़-कँपाई
होती है अब हाड़ कँपाई
होती है बुनियाद
होते देवउठान से
होते पीले-लाल
होते हैं प्रस्ताव
होते हैं फैसले जहाँ सिक्का उछाल के
होना नहीं अधीर
होना नहीं निराश
होना पड़ता सभी को कभी न कभी अनाथ
होना मत मग़रूर
होलक का शुभदान
होली
होली आई है
होली आयी है
होली का आगाज
होली का आनन्द
होली का उपहार
होली का उपहारर
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार उमंगें- आशाएँ लेकर आता
होली का मौसम अब आया
होली का मौसम आया है
होली का हुड़दंग
होली की सौगात
होली की है तैयारी
होली के त्यौहार के
होली के ये रंग
होली गयी सिधार
होली गीत
होली बहुत उदास
होली बाल-गीत
होली भरती है हुंकार
होली में अब फाग
होली में हुड़दंग
होली लेकर फागुन आया
होली-गीत
होलीगीत
Carl Sandburg
Come slowly-Emily Dickinson
Farewell Love poem BY-Thomas Wyatt
Goodbye! (अलविदा) by Richard Aldington
June 04
KIN A POEM
My Dad Wishes by Samphors Vuth
My Dad Wishes by-Samphors Vuth
My Dad Wishes-Samphors Vuth
Remember a poem : Christina Rossetti
U O U “हैलो हल्द्वानी” में मेरा रेडियो कार्यक्रम प्रसारित
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