-- समता और समानता, था जिनका अभियान। जननायक थे देश के, बाबा भीम महान।। -- धन्य-धन्य अम्बेडकर, धन्य आपके काज। दलितों वर्ग से आपने, जोड़ा सर्वसमाज।। -- दिया हमें कानून का, खिला हुआ बागान। भीमराव अम्बेदकर, थे भारत की शान।। -- समावेश करके सभी, देशों का मजमून। हितकारी सबके लिए, लिखा सही कानून।। -- एक वर्ग करने लगा, बाबा का उपभोग। राजनीति करने लगे, बाबा जी पर लोग।। -- था जिनके मन में बसा, सारा हिन्दुस्तान। उस भारत के भीम के, धूमिल हैं अरमान।। -- बाबा जी का जन्मदिन, देता है सन्देश। समता का इस देश में, बना रहे परिवेश।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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लेबल
-अच्छा लगता है
-एक गीत"
-नाच रहा इंसान
-नेह के दीपक
-बादल
-सन्देश-
:(नवीन जोशीःनवीन समाचार से साभार)
:ताजमहल का सच
:स्वर-अर्चना चावजी का
!!रावण या रक्तबीज!!
‘‘चम्पू छन्द’’
''धान खेत में लहराते"
‘‘बाल-गीत’’
‘‘वन्दना’’
‘‘हाइकू’’
'आप' का अन्दाज़ बिल्कुल 'आप' सा
‘कुँवर कान्त’
‘क्षणिका’
‘ग़ज़लियात-ए-रूप’
'गबन' और 'गोदान'
‘चन्दा और सूरज’
‘भूख
‘रूप’ का इस्तेमाल मत करना
‘रूप’ की महताब
‘रूप’ के पास एक विपुल जीवनानुभव है
'रूप' बदलता जाता है
'सिफत' के लिए शुभाशीष
‘सुख का सूरज’ को पढ़ने का अनुभव
" (सौंदर्य) Beauty by John Masefield" अनुवादक - डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
" दुखद समाचार" मेरे पिताश्री श्रद्धेय घासीराम आर्य जी का देहावसान
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“DEATH IS A FISHERMAN" BY BENJAMIN FRANKLIN
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13 सितम्बर- नितिन तुमको हो मुबारक जन्मदिन
15वीं वर्षगाँठ
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17-04-2015 (शुक्रवार) को प्रातः 10 बजे से यज्ञ (हवन) तत्पश्चात श्रद्धांंजलि
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2009 को ताऊ डॉट इन पर मेरा साक्षात्कार
2016
2017
2017 में मेरा गीत प्रकाशित
2017 में मेरी बालकविता
2019
2019 में मेरी बालकविता
2021
2022
243वीं पुण्य तिथि पर
25 दिसम्बर
26 जनवरी का इतिहास
30 सितम्बर
38वी
4 अक्टूबर
40वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
42वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
5 दिसम्बर
5 मार्च मेरे पौत्र प्रांजल का जन्मदिन
50वीं वैवाहिक वर्षगाँठ
8 जून 2013
9 नवम्बर
9 नवम्बर 2000
9 फरवरी
ंहकी हवाएँ
अंकगणित के अंक
अंकुर हिन्दी पाठमाला में बिना मेरी अनुमति के मेरी बाल कविता
अंग ठिठुरता जाय
अँगरेजी का जोर
अँगरेजी का रंग
अंगिया के सँग आज
अंग्रेजी का मित्रवर छोड़ो अब व्यामोह
अंजाना ये गाँव है
अंजाने से इस आँगन में
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन
अँधियारा हरते जाएँगे
अकड़ा हुआ है आदमी
अकविता
अक्टूबर 2019 में मेरा गीत
अक्टूबर-2017
अक्टूबर-2018)
अक्षर बड़े अनूप
अखबारों में नाम
अगजल
अग़ज़ल
अगर न होंगी नारियाँ
अगर न होती बेटियाँ थम जाता संसार
अगर न होती रोटियाँ मिट जाता संसार
अगस्त 2017
अचरज में है हिन्दुस्तान
अच्छा लगता घाम
अच्छा लगता है
अच्छा व्यक्ति बनना बहुत जरूरी है
अच्छा साहित्यकार
अच्छी नहीं लगतीं
अच्छी लगती घास
अच्छी सेहत का राज
अच्छे नहीं आसार हैं
अच्छे हों उपमान
अजब-ग़ज़ब थे रंग
अज़ल
अज्ञान के तम को भगाओ
अज्ञानी को ज्ञान नहीं
अटल आपका नाम
अटल बिहारी का जन्मदिन
अटल बिहारी के बिना
अटल बिहारी बाजपेई
अटल बिहारी वाजपेई
अडिगता-सजगता का प्रण चाहता हूँ
अड्डा पाकिस्तान
अढ़सठ आज बसन्त
अणलतास के पीले झूमर
अतिवृष्टि
अतुकान्त
अदाओं की अपनी रवायत रही है
अदायें निशानी
अद्भुत अपना देश
अधिकार नहीं माँगूगा
अध्यापक की बात
अध्यापक दिवस
अनज़ान रास्तों पे निकलना न परिन्दों
अनीता सैनी
अनुत्तरित प्रश्न
अनुबन्धों का प्यार
अनुबन्धों की मत बात करो
अनुभावों की छिपी धरोहर
अनुभावों की धरोहर
अनुवाद
अनुवादक : डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”
अनोखा संस्मरण (परलोक)
अनोखी गन्ध
अन्त किया अत्याचारी का
अन्तरजाल
अन्तरजाल हुआ है तन
अन्तरराष्ट्रीय नारि-दिवस पर दो व्यंग्य रचनाएँ
अन्तरराष्ट्रीय मित्रता-दिवस
अन्तर्जाल
अन्तर्राष्टीय मूर्ख दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन की चित्रावली
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अन्तस आशाएँ मुस्काती हैं
अन्तस् मैले हैं
अन्धविश्वास या इत्तफाक
अन्धा कानून
अन्न उगाओ
अन्नकूट
अन्नकूट (गोवर्धनपूजा)
अन्नकूट त्यौहार
अन्नकूट पूजा
अन्नकूट पूजा करो
अन्नकूट/गोवर्धन पूजा
अन्ना
अन्ना हजारे
अन्ना-रामदेव
अन्र्तरजाल
अपना गणतन्त्र
अपना चौकीदार
अपना दामन सिलना होगा
अपना देश महान
अपना धर्म निभाओगे कब
अपना नीड़ बनाया है
अपना नैनीताल
अपना बना गया कोई
अपना भगवा रंग
अपना भारत देश
अपना भारत देश महान
अपना शीश नवाता हूँ
अपना हिन्दुस्तान
अपना है गणतंत्र महान
अपनायेंगे योग
अपनावतन
अपनी आजादी
अपनी बेरी गदरायी है
अपनी भाषा मौन
अपनी भाषा हिन्दी
अपनी माटी गीत सुनाती
अपनी मुरलिया बना तो
अपनी मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए
अपनी रक्षा का बहन
अपनी वाणी मधुर बनाओ
अपनी हिन्दी
अपनी हिन्दी नागरी
अपनीआजादी
अपनीबात
अपने छोटे से जीवन में
अपने ज़माने याद आते हैं
अपने पैर पसार चुका है
अपने भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन
अपने मन को बहलाते हैं
अपने वीर जवान
अपने शब्दों में धार भरो
अपने सढ़सठ साल
अपने स्वर में गाते हैं
अपने हिन्दुस्तान की
अपराधी-कुख्यात बन गया
अफजलगुरू
अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया
अब आँगन में वृक्ष
अब इस ओमीक्रोन से
अब कागा की काँव में
अब कैसे सुधरें हाल सुनो
अब गर्मी पर चढ़ी जवानी
अब जगत के बन्धनों से मुक्त होना चाहता हूँ
अब जम्मू-कश्मीर की ध्वस्त करो सरकार
अब जलधार कहाँ से लाऊँ
अब जला लो मशालें
अब जूते के सामने
अब झूठे सम्मान
अब तक का लोखा जोखा
अब तो करो प्रहार
अब तो जम करके बरसो
अब तो दुआ-सलाम
अब तो मस्त बयार
अब तो युद्ध जरूरी है
अब न कुठाराघात करो
अब नीड़ बनाना है
अब पढ़ना मजबूरी है
अब पैंतालिस वर्ष
अब बगीचे में ग़ुलों पर आब है
अब बसन्त आने वाला है
अब बसन्त आयेगा
अब भी वीर सुभाष के
अब मिट गया वजूद
अब मेरी तबियत ठीक है
अब मेरे सिर पर नहीं
अब रिश्वत का चलन मिटायें
अब हिन्दी की धूम
अबकी बार दिवाली में
अभिनय करते लोग
अभी शीत का योग
अमन
अमन का सन्देश
अमन चाँदपुरी
अमन हो गया गोल
अमर बारती
अमर भारती
अमर भारती जिन्दाबाद
अमर रहे साहित्य
अमर रहेगा जगत में
अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई की 159वीं पुण्यतिथि
अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई के 185वें जन्मदिवस पर
अमर वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई
अमर वीरांगना लक्ष्मीबाई और श्रीमती इन्दिरा गांधी का जन्मदिवस
अमरउजाला
अमरभारती
अमरभारती पहेली 100 के परिणाम
अमरूद
अमरूद गदराने लगे
अमल-धवल होता नहीं
अमलतास
अमलतास का रूप
अमलतास का हो गया
अमलतास के गजरे
अमलतास के झूमर
अमलतास के पीले गजरे
अमलतास के पीले झूमर
अमलतास के पीले झूमर बहुत लुभाते हैं
अमलतास के फूल
अमलतास खिलता-मुस्काता
अमलतास तुम धन्य
अमलतास राहत पहुँचाता
अमिया
अमृता पांडे
अम्बेदकर जी का जन्मदिन
अयोध्या पर फैसला
अरमानों की डोली
अर्चना चावजी
अर्चना चावजी और रचनाबजाज
अर्चना-रचना
अर्चाना चावजी
अर्द्धकुम्भ की धूम
अलग सा लिखो अब गजल-गीत में
अलग-अलग हैं राग
अलबेला खत्री जी को श्रद्धाजलि
अलाव
अशोक कुमार मिश्र
अष्टमी-नवमी और विजयादशमी
असली 'रूप' दिखाता दर्पण
असार-संसार
अस्तित्व
अस्मत बचाना चाहिए
अहंकार की हार
अहसास
अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी-पर्व अहोई खास
अहोई-अष्टमी
अहोईअष्टमी
आ गई गुलशन में फिर बहार
आ गया नव वर्ष फिर से
आ गया बसन्त. बसन्तपंचमी
आ गया है दादुरों को गीत गाना
आ गयी दीपावली
आ गये नेता नंगे
आ गये फकीर हैं
आ गये बादल
आ जाओ अब कृष्ण-कन्हैया
आ जाओ गोपाल
आ जाओ घनश्याम
आ जायेगी खुद्दारी
आ भी आओ चन्द्रमा
आ भी आओ चन्द्रमा आकाश में
आ भी आओ चन्द्रमा तारों भरे आकाश में
आ भी जाओ!
आ हमारे साथ श्रम को ओढ़ ना
आँखें
आँखें कर देतीं इज़हार
आँखें कुदरत का उपहार
आँखें नश्वर देह का
आँखों का उपहार
आँखों का दर्पण
आँखों के बिन जग सूना है
आँखों को स्वाद चखाते हैं
आँखों में होती है भाषा
आँगन बदल रहा है
आँचल में है दूध और
आँसू
आँसू औ’ मुस्कान
आँसू का अस्तित्व
आँसू की कथा-व्यथा
आँसू यही बताते हैं
आइना
आई चौदस रूप की
आई फिर से लोहिड़ी
आई फिर से लोहिड़ी आई फिर से लोहिड़ी लेकर नवल उमंग।
आई फिर से लोहिड़ी लेकर नवल उमंग।
आई फिर से होली
आई बसन्त-बहार
आई होली
आई होली रे
आई होली रे!
आओ अपना धर्म निभाएँ
आओ गौतम बुद्ध
आओ तिरंगा फहरायें
आओ दीप जलायें हम
आओ दूर करें अँधियारा
आओ पेड़ लगायें हम
आओ प्यार की बातें करें
आओ मोहन प्यारे आओ
आओ हिन्दी-दिवस मनायें
आका का यहाँ रुतबा सलामत है
आकाश अब तक रो रहा है
आग के बिन धुँआ नहीं होता
आग बरसती धरा पर
आगत का स्वागत करने में
आगरा
आगे बढ़ना आसान नहीं
आगे बढ़िए-आगे बढ़िए....
आचमन के बिना
आचरण
आचरण होता नहीं
आचरण-व्यवहार अब कैसे फलेगा
आचार की बातें करें
आचार्य देवेन्द्र देव
आज अहोई पर्व
आज आदमी बौना है
आज और कल का भेद
आज करवाचौथ पर मन में हजारों चाह हैं
आज का नेता
आज कुछ उपहार दूँगा
आज के परिवेश में
आज खिले कल है मुरझाना
आज तो मूर्ख भी दिवस है ना
आज दिवस प्रस्ताव
आज नदारद प्याज
आज नीम की छाँव
आज पुरवा-बयार आयी है
आज फिर बारिश डराने आ गयी
आज बरखा-बहार आयी है
आज बहनों की हैं ये ही आराधना
आज बहुत है शोक
आज मेरे देश को सुभाष चाहिए
आज रफायल बन गया
आज विश्व हिन्दी दिवस
आज शाखाएँ बहकी
आज शिक्षक दिवस है
आज सुखद संयोग
आज सुखद-संयोग
आज हम खेलें ऐसी होली
आज हमारी खिलती बगिया
आज हा-हा कार सा है
आज हारी है अमावस
आज हिन्दी ब्लॉग दिवस है
आज हुई बरसात
आज-कल
आजाद भारत
आजाद हिन्दुस्तान के नारे बदल गये
आजादी
आजादी अक्षुण्ण हमारी
आजादी करती है आज सवाल
आजादी का तन्त्र
आजादी का तोहफा
आजादी का पर्व
आजादी का मन्त्र
आजादी की वर्षगाँठ
आजादी मुझको खलती है
आठ दोहे
आठ मार्च-आठ दोहे
आड़ू
आतंक को पाल रहा नापाक
आतंकवाद
आतंकी
आता खूब बहाव
आती इन्दिरा याद
आती नहीं तमीज
आते हैं नवरात्र
आते हैं बदलाव
आदत में अब चाय समायी
आदत है हैवानों की
आदमी उदास है
आदमी का चमत्कार
आदमी को छल रही है जिन्दगी
आदमी तो आज फिर से ताज पा गया
आदमी मजबूर है
आदमी से अच्छे जानवर
आदमी ही बन गये हैं
आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार
आधा "र्" का प्रयोग
आधी आजादी
आधुनिक भारत के निर्माता चाचा नेहरू
आन-बान
आने के ही साथ बँधी है
आने लगा है मज़ा मात में
आने वाला नया साल
आने वाला है नया साल
आने वाला है बसन्त
आप सबको मुबारक नया वर्ष हो
आपका एहतराम करते हैं
आपके बिन मेरी होली सूनी है।
आपदा आफत मचाने आ गयी
आपस के सम्बन्ध
आपस में तकरार
आपस में मतभेद
आपस में सुर मिलाना
आपाधापी
आफत की बरसात
आफत के परकाले
आभार
आभारदर्शन
आभासी दुनिया
आभासी संसार
आभासी संसार में
आम
आम और लीची
आम और लीची का उदगम
आम के वास्ते अब कहाँ तन्त्र है
आम गया है हार
आम दिलों में खास
आम पिलपिले हो भले
आम पेड़ पर लटक रहे हैं
आम फलों का राजा होता
आम में ज़ायका नहीं आता
आम में भरा हुआ है माल
आम हो गया खास का
आम-नीम बौराये फिर से
आमआदमी
आमन्त्रण
आमों की बहार आई है
आया देवउठान
आया नया निखार
आया नहीं सुराज
आया पास किनारा
आया फागुन मास
आया फिर भूचाल
आया बसन्त
आया बसन्त-आया बसन्त
आया भादौ मास
आया मधुमास
आया राखी का त्यौहार
आया स्वर्णिम दौर
आया है ऋतुराज
आया है तरबूज सुहाना
आया है त्यौहार ईद का
आया है त्यौहार तीज का
आया हैं मधुमास
आयी रेल
आयी रेल-आयी रेल
आयी सावन तीज
आयी है बरसात
आयी है शिवरात
आयी होली
आयी होली-आयी होली
आये सन्त कबीर
आये हैं शैतान
आयेगा इस बार भी नया-नवेला साल
आरती
आरती उतार लो
आरती उतार लो आ गया बसन्त है
आराधना
आर्य समाज: बाबा नागार्जुन की दृष्टि में
आलिंगन उपहार
आलिंगन-दिवस (HUG_DAY)
आलिंगन/चुम्बन दिवस
आलिंगनदिवस
आलू
आलूबुखारा
आलेख
आलोकित परिवेश
आल्हा
आवश्यक सामान
आवश्यक सूचना
आवागमन
आवारा बादल हुए
आशा
आशा का चमत्कार
आशा का दीप जलाया क्यों
आशा के दीप
आशा के दीप जलाओ तो
आशा पर उपकार टिका है
आशा पर परिवार टिका है
आशा शैली
आशा है
आशाएँ मुस्काती हैं
आशाएँ विश्वास जगाती
आशाओं पर प्यार टिका है
आशियाना चाहिए
आशीष का
आशीष का छूट गया है साथ
आशीष तुम्हें मैं देता
आशु-कविता
आसमान
आसमान का छोर
आसमान की झोली से...
आसमान के दीप
आसमान में
आसमान में कुहरा छाया
आसमान में छाये बादल
आसमान में बादल छाया
आस्था-विश्वास
आह्वान
इंसान बदलते देखे हैं
इंसानियत का रूप
इंसानी पौध उगाओ
इंसानी भगवानों में
इक मौन-निमन्त्रण तो दे दो
इक शामियाना चाहिए
इक्कीस दोहे
इगास-देव उत्थान
इज़्ज़त के ह़कदार
इतनी मत मनमानी कर
इतने न तुम ऐंठा करो
इदारे बदल गये
इनकी किस्मत कौन सँवारे
इन्तज़ार
इन्तजार की ओस
इन्दिरा गांधी
इन्दिरा! भूलेंगे कैसे तेरो नाम
इन्द्र बहादुर सेन
इन्द्रधनुष का चौमासे में “रूप” हमें दिखलाते हैं
इन्द्रधनुष का रूप हमें दिखलाते हैं
इन्द्रधनुष के रंग निराले
इन्द्रधनुष भी मन को नहीं सुहाए रे
इन्सानी भगवानों में
इन्साफ की डगर पर
इबादत
इमदाद आयेगी
इलज़ाम के पत्थर
इल्म रहता पायदानों में
इशारे समझना
इस जीवन की शाम ढली
इस धरा को रौशनी से जगमगायें
इस नये साल में
ईद
ईद और तीज आ गई है हरियाली
ईद का चाँद आया है
ईद तीज आ गई है हरियाली
ईद मनाई जाती है
ईद मुबारक़
ईद-दिवाली में
ईद-दिवाली-होली मिलकर
ईमान बदलते देखे हैं
ईवीएम में बन्द
ईश्वर के आधीन
उग रहा शृंगार है
उगता दिल में प्यार
उगता है आदित्य
उगते-ढलते सूर्य की
उगने लगे बबूल
उग्रवाद-आतंक का
उच्चारण की सबसे लोकप्रिय प्रविष्टि
उच्चारण खामोश
उजड़ गया है तम का डेरा
उजड़ गया है नीड़
उजड़ा हुआ है आदमी
उज्जवल-धवल मयंक
उठाकर बजा तो
उड़ जायें जाने कब तोते
उड़ता गर्द-गुबार
उड़ता बग़ैर पंख के नादान आज तो
उड़ती हुई पतंग
उड़तीं हुई पतंग
उड़नखटोला द्वार टिका है
उड़नखटोला-यान
उड़ान
उड़ान में प्रकाशित
उतना पानी दीजिए जितनी जग को प्यास
उतना ही साहस पाया है
उत्कर्षों के उच्च शिखर पर चढ़ते जाओ
उत्तर अब माकूल
उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड का पर्व हरेला
उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस
उत्तराखण्ड का स्थापना दिवस और संक्षिप्त इतिहास
उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर
उत्तराखण्ड के कर्मठ मुख्यमन्त्री
उत्तराखण्ड के पर्व हरेला पर विशेष
उत्तराखण्ड के मा. मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी का जन्मदिन
उत्तराखण्ड के मा. मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी जी का जन्मदिन
उत्तराखण्ड राज्य स्थापनादिवस
उत्तराखण्ड राज्य का स्थापना दिवस
उत्तरायणी
उत्तरायणी पर्व
उत्तरायणी-मकर संक्रान्ति
उत्तरायणी-लोहड़ी
उत्सव ललित-ललाम
उत्सव हैं उल्लास जगाते
उद्धव की सरकार
उद्धव गुट की हार
उन्नत अपना देश बनायें
उन्मीलन पत्रिका में मेरा एक गीत
उन्हें हम प्यार करते हैं
उपन्यास सम्राट को
उपमा में उपमान
उपवन के फूल
उपवन मुस्कायेगा
उपवन में अब रंग
उपवन में गुंजार
उपवन में हरियाली छाई
उपवन” का विमोचन
उपसर्ग और प्रत्यय
उपहार
उपहार में मिले मामा-मामी
उपासना का पर्व
उपासना में वासना
उफन रहे हैं ताल
उमड़-घुमड़ कर आये बादल
उमड़-घुमड़ कर बादल छाये
उमड़ा झूठा प्यार
उमड़ी पर्वत से जल धारा
उम्मीद मत करना
उम्र छियासठ साल हो गयी
उम्र जाती है ग़ुज़र
उलझ गया है ताना-बाना
उलझ गये हैं तार
उलझ रहे हैं तार
उलझन-झमेले रहेंगे
उलझा है ताना-बाना
उलझे हुए सवाल
उलझे हुए सवालों में
उलूक का भूत
उल्फत की होती
उल्फत के ठिकाने खो गये हैं
उल्लास का उत्तरायणी पर्व
उल्लू और गदहे
उल्लू का आतंक
उल्लू की परवाज
उल्लू की है जात
उल्लू जी का भूत
उल्लू बन जाना नहीं
उसका होता राम सा
उसूल नापता रहा
उसूल बाँटता रहा
ऋतुएँ तो हैं आनी जानी
ऋतुराज
ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता
ऋषियों का पैगाम
ऋषियों की सन्तान
ऋषियों की हम सन्ताने हैं
ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को श्रद्धाञ्जलि
एक अशआर
एक कविता और एक संस्मरण
एक गीत
एक गीत-एक कविता
एक दिन तो मचल जायेंगे
एक दोहा एक ग़ज़ल. झाड़ू की तगड़ी मार
एक दोहा और गीत
एक नज़्म
एक निवेदन
एक पाँच दो का टका
एक पुराना गीत
एक बालकविता
एक मरता है
एक मुक्तक
एक मुक्तक पाँच दोहे
एक मुक्तक-एक कुण्डलिया
एक रचना
एक रहो और नेक रहो
एक समय का कीजिए दिन में अब उपवास
एक समान विधान से
एक हजार
एक-विचार
एककविता एकगीत
एकगीत
एकता की धुन बजायें
एकल कवितापाठ
एकाकीपन
एतबार अपने पे कम हैं
एतिहासिक विवरण
एप्रिलफूल
एमिली डिकिंसन
एमीलोवेल
एला और लवंग
एला व्हीलर विलकॉक्स
एसी-कूलर फेल
ऐ दुलारे वतन
ऐतिहासिकआलेख
ऐसा करो उपाय
ऐसा फूल गुलाब
ऐसा हमें विधान चाहिए
ऐसे घर-आँगन देखे हैं
ऐसे पुत्र भगवान किसी को न दें
ऐसे होगा देश महान
ओ जालिम-गुस्ताख
ओ बन्दर मामा
ओ मेरे मनमीत
ओटन लगे कपास
ओम् जय शिक्षा दाता
ओले
ओलों की बरसात
ओसामा
और अब कितना चलूँगा...?
और न अब हिमपात करो
कंकड़ और कबाड़
कंकड़ देते कष्ट
कंकरीट का जाल
कंकरीट की ठाँव में
कंकरीटों ने मिटा डाला चमन
कंचन का गलियारा है
कंचन सा रूप
कंजूस मधुमक्खी
कंस आज घनश्याम हो गये
ककड़ी
ककड़ी खाने को करता मन
ककड़ी बिकतीं फड़-ठेलों पर
ककड़ी मौसम का फल अनुपम
ककड़ी लम्बी हरी मुलायम
ककड़ी-खीरा
ककड़ी-खीरा खरबूजा है
कचरे के अम्बार में
कच्चे घर अच्छे रहते हैं
कच्चेघर-खपरैल
कट्टरपन्थी जिन्न
कठमुल्लाओं की कटी
कठिन झेलना शीत
कठिन बुढ़ापा बीमारी है
कठिन बुढ़ापा होता है
कठिन हो गया आज गुज़ारा
कड़ाके की सरदी में ठिठुरा बदन है
कड़ी धूप को सहते हैं
कड़ुए दोहे
कण-कण में श्री राम
कथा
कथानक
क़दम क़दम पर घास
कदम बड़ायेंगे
कदम मिला कर चल रहा जीवनसाथी साथ
कदम-कदम पर घास
कनकइया की डोर तुम्हारे हाथो में
कनिष्ठ पुत्र विनीत का जन्मदिन
कनेर मुस्काया है
कपड़े का पंडाल
कब चमकेंगें नभ में तारे
कब तक तुम सन्ताप भरोगे?
कब तक मौन रहोगे
कब दिवस सुहाने आयेंगे
कब बरसेंगे बादल काले
कबूतर का घोंसला
कब्जा है "रूप" लुटेरों का
कभी आकाश में बादल घने हैं
कभी उम्मीद मत करना
कभी कुहरा
कभी न उल्लू तुम कहलाना
कभी न करना भंग
कभी न करना माफ
कभी न टूटे मित्रता
कभी नहीं रुकेगी यह परम्परा
कभी भी लाचार हमको मत समझना
कभी सूरज
कमल
कमल के बिन सरोवर पर
कमल पसरे है
कमल पसरे हैं
कमा रहे हैं माल
कम्प्यूटर
कम्प्यूटर और इंटरनेट
कम्प्यूटर और इण्टरनेट
कम्प्यूटर और जालजगत
कम्प्यूटर बन गई जिन्दगी
कम्बल-लोई और कोट से
कर दिया क्या आपने
कर दो काम तमाम
कर दो दूर गुरूर
कर लेना कुछ गौर
कर लो सच्चा प्यार
करके विष का पान
करगिल विजय दिवस
करगिल विजय दिवस-हमें दिलाता याद
करता नहीं कमाल
करता हूँ मैं ध्यान
करती मार्ग प्रशस्त
करते दिल पर वार
करते श्रम की बात
करना ऐसा प्यार
करना पूरी मात
करना भूल सुधार
करना मत कुहराम
करना मत दुष्कर्म
करना मत हठयोग
करना मतदान जरूरी है
करना राह तलाश
करना सब मतदान
करनी-भरनी. काठी का दर्द
करने को कल्याण
करने बवाल निकले
करने मलाल निकले
करलो अच्छे काम
करवा पूजन की कथा
करवाचौछ
करवाचौथ
करवाचौथ पर
करवाचौथ विशेष
करवाचौथ-निष्ठा का त्यौहार
करवे का त्यौहार
करें सितम्बर मास में
करो आज शृंगार
करो तनिक अभ्यास
करो पाक को ढेर
करो भोज स्वीकार
करो मदद हे नाथ
करो मेल की बात
करो रक्त का दान
करो शहादत याद
करो सतत् अभ्यास
करो साक्षर देश
कर्तव्य और अधिकार
कर्ता-धर्ता ईश्वर है
कर्म हुए बाधित्य
कर्मनाशा
कर्मों का ताबीज
कल की बातें छोड़ो
कल हो जाता आज पुराना
कल-कल
कल-कल शब्द निनाद
कलम मचल जाया करती है
क़लम मचल जाया करती है
कल़मकार लिए बैठा हूँ
कलयुग तुम्हें पुकारता
कलयुग में इंसान
कलियाँ नवल खिलने लगी हैं
कलियों ने भी अपना रूप निखारा है
कलेण्डर ही तो बदला
कल्पनाएँ निर्मूल हो गईं
कल्पित कविराज
कवर्ग
कवायद कौन करता है
कवि
कवि और कविता
कवि लिखने से डरता हूँ
कविगोष्ठी
कविता
कविता का आकार
कविता का आथार
कविता का आधार
कविता का संयोग
कविता को अब तुम्हीं बाँधना
कविता क्या है?
कविता दिवस
कविताओँ का मर्म
कविता्
कवित्त
कविधर्म
कवियों के लिए कुछ जानकारियाँ
कव्वाली
कष्ट उठाना पड़ता है
कसाब
कसाब को फाँसी
कह राम और रहीम
कहते लोग रसाल
कहनेभर को रह गया अपना देश महान
कहलाना प्रणवीर
कहा कीजिए
कहाँ खो गई मीठी-मीठी इन्सानों की बोली
कहाँ गयी केशर क्यारी?
कहाँ जायें बताओ पाप धोने के लिए
कहाँ रहा जनतन्त्र
कहाँ है आचरण
कहानी
कहीं आकाश में बादल घने हैं
कहीं है हरा
कहें मुबारक ईद
कहें सुखी परिवार
कहो मुबारक ईद
काँटे और गुलाब
काँटे और सुमन
काँटे बुहार लेना
काँटों का परिवेश
काँटों की चौपाल
काँटों की पहरेदारी
काँटों ने उलझाया मुझको
काँधे पर हल धरे किसान
काँप रही है थर-थर काया
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
काँव-काँवकर चिल्लाया है कौआ
काँवड़
काँवड़ का व्यतिरेक
काक-चेष्टा को अपनाओ
कागज की नाव
काग़ज़ की नाव
काग़ज़ की नौका आँगन में तैराई
कागज की है नाव
कागा जैसा मत बन जाना
काठ की हाँडी चढ़ेगी कब तलक
काठी का दर्द
काने करते राज
काम अपना तमाम करते हैं
काम कलम का बोलता
काम न करना बन्द
काम-आराम
कामी आते पास
कामी और कुसन्त
कामुक परिवेश
कामुकता का दौर
कायदे से जरा चलना सीखो
कायदे से धूप अब खिलने लगी है।
कार यात्रा
कार हमारी हमको भाती
कारवाँ
कारा उम्र तमाम
कारा में सच्चाई बन्द है
कार्टूननिस्ट-मयंक खटीमा
कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा-गंगा स्नान
काल का वार
काल की रफ्तार को छलता रहा हूँ
काला अक्षर भैंस बराबर
कालातीत बसन्त
काले अक्षर
काले अक्षर भैंस बराबर
काले बादल
काव्य (छन्दों) को जानिए
काव्य का मर्म
काव्यचोर
काव्यानुवाद
काव्यानुवाद-पिता की आकांक्षाएँ..
काश्..कोई मसीहा आये
कितना आज सुकून
कितनी अच्छी लगती हैं
कितनी मैली हो गयी गंगा जी की धार
कितनी सुन्दर मेरी काया
कितने बदल गये हैं बन्दे
कितने सपने देखे मन में
कितनों की कमजोर
किन्तु शेष आस हैं
किया बहुत उपकार
किये श्राद्ध निष्पन्न
किसको गीत सुनाती हो?
किसको लुभायेंगे अब
किसमें कितना खोट भरा
किसलय कहलाते हैं
किसान
किसान-जवान
किसे अच्छी नहीं लगती
किसे सुनायें गीत
किस्मत में लिक्खे सितम हैं
कीटनिकम्मे
कीर्तिमान सब ध्वस्त
कुंठित हुआ समाज
कुगीत
कुछ अभिनव उपहार
कुछ उड़ी हुई पोस्ट
कुछ उद्गार
कुछ और ही है पेट में
कुछ काँटे-कुछ फूल
कुछ क्षणिकाएँ
कुछ चित्र ‘‘हाइकू’’ में
कुछ तो करो यकीन
कुछ तो बात जरूरी होगी
कुछ दोहे
कुछ भी नहीं असली है
कुछ भी नहीं सफेद
कुछ मजदूरी होगी
कुछ शब्दचित्र
कुटिल न चलना चाल
कुटिल नहीं होते कभी
कुटिल-काँटे लड़ाई ठानते हैं
कुटिलकाँटे
कुटी बनायी नीम पर
कुण्ठा
कुण्ठा भरे विचार
कुण्ठाओं ने डाला डेरा
कुण्डलिया
कुण्डलियाँ
कुण्डलियाँ-चीयर्स बालाएँ
कुदरत का उपहार अधूरा होता है
कुदरत का कानून
कुदरत का प्रारूप
कुदरत का हर काज सुहाना लगता है
कुदरत की करतूत
कुदरत की खिलवाड़
कुदरत के क्या कहने हैं
कुदरत ने फल उपजाये हैं
कुदरत ने सिंगार सजाया
कुदरत से खिलवाड़
कुन्दन जैसा रूप
कुन्दन सा है रूप
कुमाऊं के ब्लॉग
कुमाऊं के ब्लॉग : (नवीन जोशीःनवीन समाचार से साभार)
कुमुद
कुमुद का फोटोे फीचर
कुम्भ
कुम्भ की महिमा अपरम्पार
कुर्ता होली खेलता
कुर्बानी
कुहका
कुहरा
कुहरा करता है मनमानी
कुहरा चारों ओर
कुहरा छँटने ही वाला है
कुहरा छाया है
कुहरा पसरा आज चमन में
कुहरा पसरा है आँगन में
कुहरे का है क्लेश
कुहरे की फुहार
कुहरे की मार
कुहरे की सौगात
कुहरे ने रंग जमाया है
कुहासे का आवरण
कुहासे की चादर
कु्ण्डलिया
कूटनीति की बात
कूड़ा-कचरा
कूर्मा़ञ्चली कविता
कूलर
कूलर गर्मी हर लेता है
कृपा करो अब मात
कृषक
कृषक-मजदूर मुस्काए
कृष्ण बन गये कंस
कृष्ण सँवारो काज
कृष्ण-कन्हैया के माखन नवनीत बदल जाते हैं
कृष्णचन्द्र अधिराज
कृष्णचन्द्र गोपाल
के बिना
केवल कुनबावाद
केवल दुर्नीति चलती है
केवल यहाँ धनार्थ
केवल यादें बची
केवल हिन्दू वर्ष क्यों
केशव भार्गव "निर्दोष" की 8वीं पुण्यतिथि
केशव भार्गव "निर्दोष" की 8वीं पुण्यतिथि के अवसर पर
केसर के फूल
केसरिया का रंग
कैद कैमरे में करो
कैसी है ये आवाजाही
कैसे अपना भजन करूँ मैं
कैसे आज बचाऊँ
कैसे आये स्वप्न सलोना?
कैसे उजियार करेगा
कैसे उतरें पार?
कैसे उपवन को चहकाऊँ मैं
कैसे उलझन को सुलझाऊँ
कैसे गुमसुम हो जाऊँ मैं
कैसे जान बचाऊँ मैं
कैसे तलें पकौड़ी अब
कैसे देश-समाज का होगा बेड़ा पार
कैसे नवअंकुर उपजाऊँ?
कैसे नियमित यजन करूँ मैं
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं
कैसे नूतन सृजन करूँ मैं?
कैसे पायें पार
कैसे पौध उगाऊँ मैं
कैसे प्यार करेगा?
कैसे फूल खिलें उपवन में
कैसे बचे यहाँ गौरय्या
कैसे मन को सुमन करूँ मैं
कैसे मन को सुमन करूँ मैं?
कैसे मिलें रसाल
कैसे मुलाकात होती
कैसे लू से बदन बचाएँ?
कैसे शब्द बचेंगे अपने
कैसे सरल स्वभाव करूँ
कैसे साथ चलोगे मेरे?
कैसे सेवा-भाव भरूँ
कैसे होंगे पार
कैसै आये बहार भला
कॉफी
कॉफी की चुस्की
कॉफी की चुस्की ले लेना
कॉफी की तासीर निराली
कोई अन्य विकल्प
कोई बात बने
कोई भूला हुए मंजर
कोई वाद-विवाद
कोई वादा-क़रार मत करना
कोई साथ न दे पाता है
कोई सोपान नहीं
कोटि-कोटि वन्दन तुम्हें
कोमल बदन छिपाया है
कोयल आयी मेरे घर में
कोयल आयी है घर में
कोयल का सुर
कोयल गाये गान
कोयल चहकी
कोयल रोती है कानन में
कोयलिया खामोश हो गई
कोरोना
कोरोना का दैत्य
कोरोना की बाढ़
कोरोना की मार
कोरोना के रोग से
कोरोना के साथ
कोरोना को हराना है
कोरोना वायरस
कोरोना से डर रहा सारा ही संसार
कोरोना से सारे हारे
कोशिश
कौआ
कौआ काँव-काँव चिल्लाया
कौआ होता अच्छा मेहतर
कौड़ी में नीलाम मुहब्बत
कौन सुखी परिवार
कौन सुने फरियाद
कौन सुनेगा सरगम के सुर
क्या है प्यार
क्या है प्यार-रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन
क्या हो गया है
क्या होता है प्यार
क्यों इतना चिल्लाती हो
क्यों देश ऐसा
क्यों राम और रहमान मरा?
क्यों होता है हुस्न छली
क्यों?
क्रिकेट विश्वकप झलकियाँ
क्रिसमस का त्यौहार
क्रिसमस का शुभकामनाएँ
क्रिसमस की बधाई
क्रिसमस-डे
क्रिस्टिना रोसेट्टी की कविता
क्रोध
क्षणभंगुर हैं प्राण
क्षणिका
क्षणिका को भी जानिए
क्षणिका क्या होती है?
क्षणिकाएँ
खंजर उठा लिया
खटमल-मच्छर का भेद
खटीमा
खटीमा (उत्तराखण्ड) का पावर हाउस बह गया
खटीमा का परिचय
खटीमा में अतिवृष्टि
खटीमा में आयोजितपुस्तक विमोचन के कार्यक्रम की रपट
खटीमा में आलइण्डिया मुशायरा एवं कविसम्मेलन सम्पन्न
खट्टे-मीठे और रसीले
खतरे में आज सारे तटबन्ध हो गये हैं
खतरे में तटबन्ध हो गये हैं
खद्योत
खद्योतों का निर्वाचन
खबर छपी अखबारों मे
ख़बरें अब साहित्य की
ख़बरों की भरमार
खर-पतवार उगी उपवन में
खरगोश
खरपतवार अनन्त
खरबूजा
खरबूजा-तरबूज
खरबूजे
खरबूजे का मौसम आया
ख़ाक सड़कों की अभी तो छान लो
खाता-बही है
खादी
खादी का परिधान
खादी-खाकी
खादी-खाकी की केंचुलियाँ
खान-पान में शुद्धता
खान-पान में शुद्धता सिखलाते नवरात्र
खान-पान-परिधान विदेशी फिर भी हिन्दी वाले हैं
खानदानों में
खाने में सबको मिले रोटी-चावल-दाल
ख़ार आखिर ख़ार है
खार पर निखार है
ख़ार से दामन बचाना चाहिए
खारा पानी
खारा-खारा पानी
खारिज तीन तलाक
खाली पन्नों को भरता हूँ
खाली हुआ खजाना
खास आज भी खास
खास को होने लगी चिन्ता
खास हो रहे मस्त
खिचड़ी का आहार
खिल उठा है इन्हीं से हमारा चमन
खिल उठे फिर से बगीचे में सुमन
खिल जायेंगे नव सुमन
खिल रहे फूल अब विषैले हैं
खिलता फागुन आया
खिलता सुमन गुलाब
खिलता हुआ बसन्त
खिलती बगिया है प्रतिपल
खिलते प्रसून काव्य संग्रह
खिलते हुए कमल पसरे हैं
खिलने लगते फूल
खिलने लगा सूखा चमन
खिला कमल का फूल
खिला कमल है आज
खिली रूप की धूप
खिली रूप की धूप-दोहा संग्रह
खिली सुहानी धूप
खिली हुई है डाली-डाली
खिले कमल का फूल
खिसक रहा आधार
खीरा
खीरा- खरबूजे
खीरे को भी करना याद
खुद को आभासी दुनिया में झोका
खुद को करो पवित्र
ख़ुदगर्ज़ी का हुआ ज़माना
खुदा की मेहरबानी है
खुद्दारों की खुद्दारी
खुमानी
खुलकर आज मयंक
खुलकर खिला पलाश
खुलकर हँसा मयंक
खुली आँखों का सपना
खुली ढोल की पोल
खुली बहस-
खुलूस से
खुश हो करके बाँटिए
खुश हो करके लोहड़ी
खुश हो रहा बसन्त
खुश हो रहे किसान
खुशनुमा उपवन
खुशहाली लेकर आया है चौमास
खुशियों का परिवेश
खुशियों की डोरी से नभ में अपनी पतंग उड़ाओ
खुशियों की सौगात लिए होली आई है
खुशियों की हों तरल-तरंगें
खुशियों से महके चौबारा
खूब थिरकती है रंगोली
खूबसूरत लग रहे नन्हें दिये
खेत
खेत उगलते गन्ध
खेत घटते जा रहे हैं
खेती का कानून
खेतीहर-मजदूर
खेतों ने परिधान बसन्ती पहना है
खेतों में झुकी हैं डालियाँ
खेतों में शहतूत लगाओ
खेतों में सोना बिखरा है
खेतों में हरियाली छाई
खेल-खिलौने याद बहुत आते
खेलते होली मोहनलाल
खेलो रंग
खो गई इन्सानियत
खो गया कहाँ संगीत-गीत
खो चुके सब कुछ
खोज रहे हम सुख को धन में
खोज रहे हैं शीतल छाया
खोल दो मन की खिड़की
खोलो तो मुख का वातायन
ख्वाब आँखों रोज पलते हैं
ख़्वाब का ये रूप भी नायाब है
ख़्वाब में वो सदा याद आते रहे
ख़्वाब में वो हमें याद आते रहे
गंगा
गंगा का अस्तित्व बचाओ
गंगा जी की धार
गंगा पुरखों की है थाती
गंगा बचाओ
गंगा बहुत मनोहर है
गंगा मइया
गंगा मस्त चाल से बहती है।
गंगा में स्नान करो
गंगा स्नान
गंगास्नान
गंगास्नान मेला
गंजे
गगन में छा गये बादल
गगन में मेघ हैं छाये
गजल
गज़ल
ग़जल
ग़ज़ल
ग़जल "शरीफों के घरानों की"
ग़ज़ल "ख़ानदानों ने दाँव खेलें हैं"
ग़ज़ल "उल्लओं की पंचायतें लगीं थी"
ग़ज़ल "बातें ही बातें"
ग़ज़ल की परिभाषा
ग़ज़ल के उद्गगार
ग़ज़ल में फिर से रवानी आ गयी है
ग़जल या गीत
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़ल हो गयी क्या
गजल हो गयी पास
ग़ज़ल-गुरूसहाय भटनागर बदनाम
ग़ज़ल?
ग़ज़ल. ईमान आज तो
ग़ज़ल. खून पीना जानते हैं
ग़ज़ल. जीवन में खुशियाँ लाते हैं
ग़ज़ल. टूटी पतवार लिए बैठा हूँ
ग़ज़ल. दो जून की रोटी
ग़ज़ल. पत्थरों को गीत गाना आ गया है
ग़ज़ल. पाषाणों को गढ़ने में
ग़ज़ल. यूँ अपनी इबादत का दिखावा न कीजिए
ग़ज़लग़ो ग़ज़ल लिखने के
ग़ज़लगो स्वयम् को बताने लगे
ग़ज़लनुमा कुछ अशआर
गज़लिका
ग़ज़लिया-ए-रूप से एक नज़्म
ग़ज़लियात-ए-रूप
ग़ज़लियात-ए-रूप से एक ग़ज़ल
ग़ज़लियात-ए-रूप से मेरी एक ग़ज़ल
ग़ज़लियात-ए-रूप’
ग़ज़लियात-ए-रूप” की भूमिका
गठबन्धन की नाव
गढ़ता रोज कुम्हार
गणतंत्र महान
गणतन्त्र
गणतन्त्र दिवस
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ
गणतन्त्र दिवस पर राग यही दुहराया है
गणतन्त्र पर्व पर
गणतन्त्र महान
गणतन्त्रदिवस
गणनायक भगवान
गणनायक भगवान की महिमा
गणपति आओ बारम्बार
गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी पर विशेष
गणेश चतुर्दशी
गणेश वन्दना
गणेशवन्दना
गणेशोत्सव पर विशेष
गणों का छन्दों में प्रयोग
गणों की जानकारी
गत
गति-यति का क्या काम
गदहे
गद्दार
गद्दारी-मक्कारी
गद्दारों को जूता
गद्य लिखो
गद्य-गीत
गद्य-पद्य
गद्यगीत
गधा हो गया है बे-चारा
गधे इस देश के
गधे को बाप भी अपना समय पर वो बताते हैं।
गधे बन गये अरबी घोड़े
गधे हो गये आज
गन्दे हैं हम लोग
गमों के बोझ का साया बहुत घनेरा है
गया अँधेरा-हुआ सवेरा
गया दिवाकर हार
गया पुरातन भूल
गयी चाँदनी रात
गयी बुराई हार?
गयी मनुजता हार
गये आचरण भूल
गरम-गरम ही चाय
गरमी का अब मौसम आया
गरमी की धूप
गरमी में घनश्याम
गरमी में जीना हुआ मुहाल
गरमी में ठण्डक पहुँचाता मौसम नैनीताल का
गरमी में तरबूज सुहाना
गरमी है विकराल
गरिमा जीवन सार
गरिमा दीपक पन्त
गरिमा ही शृंगार
गर्दन पर हथियार
गर्मी
गर्मी आई खाओ बेल
गर्मी के फल
गर्मी को अब दूर भगाओ
गर्मी को कर देती फेल
गर्मी में खीरा वरदान
गर्मी में स्वेदकण
गर्मी से तन-मन अकुलाता
गली-गली में बिकते बेर
गले न मिलना ईद
गले पड़े हैं लोग
गा रही दीपावली
गाँधी का निर्वाण
गांधी जी कहते हे राम!
गाँधी जी का चित्र
गांधी जी का जन्म दिवस
गाँधी जी का देश
गांधी हम शरमिन्दा हैं
गांधीजयन्ती
गाँव याद बहुत आते हैं
गाँवों का निश्छल जीवन
गाओ फिर से नया तराना
गाओ मंगल-गीत
गाता है ऋतुराज तराने
गाना तो मजबूरी है
गान्धी-लालबहुदुर जयन्ती
गाय
गाय-भैंस को पालना
गायब अब हल-बैल
गिजाई
गिनते नहीं हो खामियाँ अपने कसूर पे
गिरगिट जैसे रंग
गिरवीं बुद्धि-विवेक
गिरवीं रखा जमाल
गिरी जनक पर गाज
गिरे शिवधाम के पत्थर
गिलहरी
गिलहरी दाना-दुनका खाती हो
गीत
गीत "गाओ फिर से नया तराना"
गीत "मेरे ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन"
गीत और प्रीत का राग है ज़िन्द़गी
गीत का व्याकरण
गीत की परिभाषा के साथ मेरा एक गीत
गीत को भी जानिए
गीत गाते हैं जब
गीत गाना जानता है
गीत गाने का ज़माना आ गया है
गीत ढोंग-आडम्बर
गीत न जबरन गाऊँगा
गीत बन जाऊँगा
गीत मेरा
गीत सुनाती माटी
गीत सुनाती माटी अपने
गीत सुनाते हैं मधुबन में
गीत सुर में गुनगुनाओ तो सही
गीत-ग़ज़लों का तराना
गीत-छन्द लिखने का फैशन हुआ पुराना
गीत?
गीत. नाविक फँसा समन्दर में
गीत. पुनः हरा नही हो सकता
गीत. मतवाला गिरगिट रूप बदलता जाता है
गीत. मुट्ठी में सिमटी है दुनिया
गीत. मेरे तीन पुराने गीत
गीत. वीरों के बलिदान से
गीतकार नीरज तुम्हें
गीतिक
गीतिका
गीतिका छन्द
गीतिका. आजादी की वर्षगाँठ
गीदड़ और विडाल
गीला हुआ रुमाल
गीूत
गुंचा खिला नहीं
गुझिया-बरफी
गुटबन्दी के मन्त्र
गुनगुनाओ तो सही
गुब्बारे
गुम हो गया उजाला क्यों
गुरु नानक का जन्मदिन
गुरु नानक जयन्ती
गुरु नानक जी का जन्मदिन
गुरु पारस पाषाण है
गुरु पूर्णिमा
गुरु वन्दना
गुरुओं का ज्ञान
गुरुओं का दिन
गुरुओं का सोपान
गुरुकुल में हम साथ पढ़े
गुरुदेव का वन्दन
गुरुवर का सम्मान
गुरू ज्योति का पुंज
गुरू पूर्णिमा
गुरू पूर्णिमा-गंगा स्नान
गुरू वन्दना
गुरू सहाय भटनागर
गुरू सहाय भटनागर नहीं रहे
गुरू-शिष्य
गुरूकुल
गुरूदक्षिणा
गुरूदेव का ध्यान
गुरूद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब
गुरूनानक का दरबार
गुरूपूर्णिमा
गुरूवन्दना
गुरूसहाय भटनागर बदनाम
गुरूसहाय भटनागार
गुर्गे देते बाँग
गुलमोहर
गुलमोहर का रूप
गुलमोहर का रूप सबको भा रहा
गुलमोहर खिलने लगा
गुलमोहर लुभाता है
गुलशन का खिलता गलियारा
गुलशन बदल रहा है
गुलाब दिवस
गुलामी बेहतर थी
गुलाल-अबीर
गूँगी गुड़िया आज
गूँगे और बहरे हैं
गूँज रहा उद्घोष
गूँज रहे सन्देश
गूगल-फेसबुक
गेहूँ
गेहूँ करते नृत्य
गैरों से सहारों की
गैस सिलेण्डर
गैस सिलेण्डर है वरदान
गोबर की ही खाद
गोबर लिपे हुए घर-आँगन नहीं रहे
गोमुख से सागर तक जाती
गोरा-चिट्टा कितना अच्छा
गोरी का शृंगार
गोल-गोल है दुनिया सारी
गोवर्धन
गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा करो
गोवर्धनपूजा और भइयादूज की शुभकामना
गोवर्धनपूजा और भइयादूज की शुभकामनाएँ
गोविन्दसिंह कुंजवाल
गौमाता भूखी मरे
गौमाता से प्रीत
गौरय्या
गौरय्या का गाँव
गौरय्या का नीड़ चील-कौओं ने हथियाया है
गौरय्या के गाँव में
गौरव और गुमान की
गौरव का आभास
गौरी और गणेश
गौरैया का गाँव में
गौरैया का गाँव में पड़ने लगा अकाल
गौरैया दिवस
गौरैया ने घर बनाया
ग्यारह दोहे
ग्राम्यजीवन
ग्रीष्म
ग्वाले हैं भयभीत
घट गया इक साल मेरी उम्र का
घटते जंगल-खेत
घटते जाते वृक्ष
घटते वन-बढ़ता प्रदूषण
घना तुषारापात
घनाक्षरी
घनाक्षरी गीत
घर का वैद्य तुलसी का पौधा
घर की रौनक
घर बनाना चाहिए
घर भर का अभिमान बेटियाँ
घर भर की तुम राजदुलारी
घर में कभी न लायें हम
घर में पढ़ो नमाज
घर में पानी
घर में बहुत अभाव
घर सब बनाना जानते हैं
घातक मलय समीर
घास
घिर-घिर बादल आये
घिर-घिर बादल आये रे
घुटता गला सुवास का
घूम रहा है चक्र
घोंसला हुआ सुनसान आज तो
घोटालों पर घोटाले
घोड़ों से भी कीमती
घोर संक्रमित काल में मुँह पर ढको नकाब
घोषित हिन्दू देश
चंचल “रूप” सँवारा
चंचल अठसई (दोहा संग्रह)
चंचल चितवन नैन
चंचल सुमन
चकरपुर
चक्र है आवागमन का
चक्र है आवागमन का।
चढ़ा केजरी रंग
चढ़ा हुआ बुखार है
चतुर्दशी का पर्व
चदरिया अब तो पुरानी हो गयी
चना-परमल
चन्दा कितना चमक रहा है
चन्दा देता है विश्राम
चन्दा मामा-सबका मामा
चन्दा से मुझको मोह नहीं
चन्दा-सूरज
चन्द्र मिशन
चन्द्रमा सा रूप मेरा
चमकती न बिजली न बरसात होती
चमकेंगें कब सुख के तारे!
चमकेगा फिर से गगन-भाल
चमचों की महिमा
चमत्कार
चमन का सिंगार करना चाहिए
चमन की तलाश में
चमन हुआ गुलजार
चम्पावत जिले की सुरम्य वादियाँ
चम्पू काव्य
चरित्र
चरित्र पर बाइस दोहे
चरैवेति का मन्त्र
चरैवेति की सीख
चरैवेति-मेरा एक गीत
चलके आती नही
चलता खूब प्रपञ्च
चलता जाता चक्र निरन्तर
चलते बने फकीर
चलना कछुआ चाल
चलना कभी न वक्र
चलना सीधी चाल।
चलने का है काम
चलने से कम दूरी होगी
चला किरण का वार
चला दिया है तीर
चला है दौर ये कैसा
चली झूठ की नाव
चली बजट की नाव
चली बसन्त बयार
चले आये भँवरे
चले थामने लहरों को
चलो दीपक जलाएँ हम
चलो भीगें फुहारों में
चलो होली खेलेंगे
चवन्नी
चहक रहा मधुमास
चहक रहे घर द्वार
चहक रहे हैं उपवन में
चहक रहे हैं रंग
चहक रहे हैं वन-उपवन में
चहकता-महकता चमन
चहका है मधुमास
चहके गंगा-घाट
चहके चारों धाम
चहके प्यारी सोन चिरैया
चाँद बने बैठे चेले हैं
चाँद-करवा का पूजन तुम्हारे लिए
चाँद-तारों की बात करते हैं
चाँद-सूरज
चाँदनी का हमें “रूप” छलता रहा
चाँदनी रात
चाँदनी रात बहुत दूर गई
चाँदी की संगत
चाचा नेहरू को शत्-शत् नमन
चाचा नेहरू तुम्हें नमन
चाटुकार सरदार हो गये
चापलूस बैंगन
चाय
चाय हमारे मन को भाई
चार कुण्डलियाँ
चार चरण-दो पंक्तियाँ
चार दोहे
चार फुटकर छन्द
चार मुक्तक
चारों ओर बसन्त हुआ
चारों ओर भरा है पानी
चालबाजी
चासनी में ज़हर मत घोला करो
चाहत कभी न पूरी होगी
चिंकू तो है शाकाहारी
चिंकू ने आनन्द मनाया
चिकनी-चुपड़ी बात
चिट्टाकारी दिवस बनाम ब्लॉगिंग-डे
चिट्ठी-पत्री का युग बीता
चिड़िया
चिड़ियारानी
चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज
चित्रकारिता दिवस
चित्रग़ज़ल
चित्रपट
चित्रावली
चित्रोक्ति
चिन्तन
चिन्तन-मन्थन
चिमटा आज हमीद
चिल्लाया है कौआ
चीत्कार पसरा है सुर में
चीनी लड़ियाँ-झालर अपने
चुगलखोर
चुनना केवल एक
चुनना नहीं आता
चुनाव
चुनाव लड़ना बस की बात नहीं
चुनावी कानून में बदलाव की जरूरत
चुम्बन का व्यापार
चुम्बन दिवस
चुम्बन दिवस की शुभकामनाएँ
चुम्बन-दिवस (KISS-DAY)
चुम्बनदिवस
चुरा रहे जो भाव
चूनरी तो तार-तार हो गई
चूस मकरन्द भँवरे किनारे हुए
चूहों की सरकार में बिल्ले चौकीदार
चेतावनी
चेहरा चमक उठा
चेहरे हुए झुर्रियों वाले
चेहल्लुम का जुलूस
चैतन्य की हिन्दी की टेक्सटबुक
(अंकुर हिन्दी पाठमाला)
चॉकलेट देकर नहीं
चॉकलेट देकर नहीं उगता दिल में प्यार
चॉकलेट से मत करो
चॉकलेट-डे
चोदहदोहे
चोर पुराण
चोरपुराण
चोरों के नहीं महल बनेंगे
चोरों से कैसे करें अपना यहाँ बचाव
चोरों से भरपूर है आभासी संसार
चौकस चौकीदार
चौदह जनवरी-चौदह दोहे
चौदह दिन के ही लिए हिन्दी से है प्यार
चौदह दोहे
चौदह फरवरी
चौदह मार्च-मेरी पौत्री का जन्मदिन
चौदह सितम्बर को समर्पित चौदह दोहे
चौदह सितम्बर-चौदह दोहे
चौपाइयों को भी जानिए
चौपाई
चौपाई के बारे में भी जानिए
चौपाई लिखना सीखिए
चौपाई लिखिए
चौबीस दोहे
चौमासा बारिश से होता
चौमासे का मौसम आया
चौमासे का रूप
चौमासे ने अलख जगाई
चौराहों पर खड़े लुटेरे
छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन
छंदहीनता
छटा अनोखी अपने नैनीताल की
छठ का है त्यौहार
छठ पूजा
छठ माँ का उद्घोष
छठ माँ का त्यौहार
छठ माँ हरो विकार
छठ-माँ का त्यौहार
छठपूजा
छठपूजा त्यौहार
छन्द और मुक्तक
छन्द क्या होता है?
छन्द हो गये क्ल्ष्टि
छन्दशास्त्र
छन्दों का विज्ञान
छन्दों का शृंगार
छन्दों के विषय में जानकारी
छब्बीस जनवरी खुशियाँ लेकर आता है
छल-छल करती गंगा
छल-छल करती धारा
छल-फरेब के गीत
छल-बल की पतवार
छाई हुई उमंग
छाई है बसन्त की लाली
छाता
छाते
छाप रहे अखबार
छाया का उपहार
छाया चारों ओर उजाला
छाया देने वाले छाते
छाया बहुत अन्धेरा है
छाया भारी शोक
छाया है उल्लास
छाये हुए हैं ख़यालात में
छिन जाते हैं ताज
छिपा रहे पहचान
छीनी है हिन्दी की बिन्दी
छुक-छुक करती आती रेल
छुट्टी दे दो अब श्रीमान
छुहारे-किशमिश
छूट गया है साथ
छोटी पुत्रवधु का जन्मदिवस
छोटी-छोटी बात पर
छोटे पुत्र विनीत का
छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिन
छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिवस
छोटों को सम्बल दिया लिया बड़ों से ज्ञान
छोड़ विदेशी ढंग
छोड़ा पूजा-जाप
छोड़ा मधुर तराना
जंग ज़िन्दगी की जारी है
जंगल का कानून
जंगल की चूनर धानी है
जंगल के शृंगाल सुनो
जंगल में पलाश मुस्काया
जंगलों के जानवर
जंगी यान रफेल
जकड़ा हुआ है आदमी
जग उसको पहचान न पाता
जग का आचार्य बनाना है
जग के झंझावातों में
जग के देव महेश
जग के नियम-विधान
जग को लुभा गये हैं
जग में अन्तरजाल
जग में ऊँचा नाम
जग में केवल योग
जग में माँ का नाम
जग में सबसे न्यारा मामा
जग है एक मुसाफिरखाना
जगत है जीवन-मरण का
जगदम्बा माँ आपकी
जगमग सजी दिवाली
जगह-जगह मतदान
जड़े न बदलें पेड़
जन-गण का विश्वास
जन-गण का सन्देश
जन-गण रहे पछाड़
जन-जन के राम।
जन-जागरण
जन-जीवन बेहाल
जन-मानस बदहाल
जन.2017 में मेरा गीत
जनता का जनतन्त्र
जनता का तन्त्र कहाँ है
जनता का धीरज डोल रहा
जनता के अरमान
जनता जपती मन्त्र
जनता है कंगाल
जनता है मजबूर
जनमानस के अन्तस में आशाएँ मुस्काती हैं
जनमानस लाचार
जनवरी-2017
जनसेवक खाते हैं काजू
जनसेवक लाचार
जनहित के कानून को
जन्म दिन
जन्म दिन मेरी श्रीमती
जन्म दिवस
जन्मदिन
जन्मदिन की दे रहे हैं सब बधायी
जन्मदिन पर रूप मुझको भा गया है
जन्मदिन फिर आज आया
जन्मदिन योगिराज श्रीकृष्णचन्द्र महाराज
जन्मदिन है आज मेरा
जन्मदिन-प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी का जन्म दिन
जन्मदिन-मा. पुष्कर सिंह धामी
जन्मदिन. मेरे ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन
जन्मदिवस
जन्मदिवस का गीत
जन्मदिवस की बेला पर
जन्मदिवस चाचा नेहरू का
जन्मदिवस चाचा नेहरू का भूल न जाना
जन्मदिवस पर विशेष
जन्मदिवस विशेष
जन्मदिवस विशेष)
जन्मदिवस है आज
जन्मभूमि में राम
जन्माष्टमी
जन्मे थे धनवन्तरी
जब किस्मत नायाब हो
जब खारे आँसू आते हैं
जब पहुँचे मझधार में टूट गयी पतवार
जब मन में हो चाह
जब-जब मक्कारी फलती है
जमा न ज्यादा दाम करें
जमाना बहुत बदल गया
जमीं की सब दरारों को
जय बोलो नन्दलाल की
जय माता की कहने वालो
जय विजय
जय विजय 2019 में मेरी बालकविता
जय विजय अगस्त-2019
जय विजय के फरवरी
जय विजय जुलाई-2018
जय विजय जून
जय विजय पत्रिका में मेरा गीत
जय विजय पत्रिका में मेरी बालकविता
जय विजय मई
जय विजय मासिक पत्रिका के नवम्बर-2016 अंक में मेरी ग़ज़ल
जय विजय में मेरी बाल कविता
जय विजय-अप्रैलः2020
जय विजय-नवम्बर
जय शिक्षा दाता
जय श्री गणेश
जय सिंह आशावत
जय हिन्दी-जय नागरी
जय हो देव महेश
जय हो देव सुरेश
जय-जय गणपतिदेव
जय-जय जगन्नाथ भगवान
जय-जय जय वरदानी माता
जय-जय-जय गणपति महाराजा
जय-जवान और जय-किसान
जय-विजय
जय-विजय अगस्त
जय-विजय पत्रिका
जय-विजय पत्रिका में मेरा गीत
जय-विजय पत्रिका अक्टूबर-2016 में मेरी ग़ज़ल प्रकाशित
जयविजय
जयविजय नवम्बर 2018
जयविजय मई-15
जयविजय में मेरी ग़ज़ल
जयविजय-जून
जरी-सूत या जूट के धागे हैं अनमोल
जरूरी है
जल का स्रोत अपार कहाँ है
जल जीवन आधार
जल जीवन की आस
जल दिवस
जल ने भरी दरार
जल बिना बदरंग कितने
जल बिना बेरंग कितने
जल रहा च़िराग है
ज़लज़ले नाख़ुदा नहीं होते
जलद जल धाम ले आये
जलधारा
जलमग्न खटीमा
जहरीला पेड़:A Poison Tree
जहरीली बह रही गन्ध है
जाँच-परख कर मीत
जागरण
जागा दयानन्द का ज्ञान
जागेगा इंसान
जाड़े ने शीश उठाया
जाति-धर्म के मन्त्र
जातिवाद में बँट गये
जादू-टोने
जान बिस्मिल हुई
जानिए मेरे खटीमा को भी
जाने कितने भेद
जाने की तैयारी
जाने वाला साल
जाम
जाम ढलने लगे
ज़ारत
जालजगत
जालजगत की शाला है
जालजगत पर मापनी
जालिम जमाने में
ज़ालिमों से पुकार मत करना
जिजीविषा
जितना चाहूँ भूलना उतनी आती याद
जितने ज्यादा आघात मिले
जिनके पास जमीर
ज़िन्दगी
ज़िन्दग़ी अब नरक बन गयी है
ज़िन्दगी इक खूबसूरत ख़्वाब है
जिन्दगी का सफर निराला है
ज़िन्दग़ी का सहारा
ज़िन्दगी की जेल में मैं पल रहा हूँ
ज़िन्दग़ी की सलीबों पे चढ़ता रहा
ज़िन्दग़ी के तीन मुक्तक
ज़िन्दग़ी के लिए
जिन्दगी जिन्दगी पे भारी है
ज़िन्दग़ी भर उन्हें आज़माते रहे
जिन्दगी भर सलामत रहो साजना
ज़िन्दगी भर सलामत रहो साजना
ज़िन्दग़ी में न ज़लज़ले होते
जिन्दगी में प्यार-Life in a Love
जिन्दगी में बसन्त छाया है
ज़िन्दग़ी सस्ती हुई
जिन्दगी है बस अधूरी ज़िन्दग़ी
जिन्दा उसूल हैं
ज़िन्दादिली
जिन्दादिली का प्रमाण दो
जियो ज़िन्दगी को
जिसमें पुत्रों के लिए होते हैं उपवास
जी उठेगी जिन्दगी
जी रहा अब भी हमारे गाँव में
जीत का आचरण
जीत रही है मौत
जीते-जी की माया
जीना पड़ेगा कोरोना के साथ
जीना-मरना सदा से
जीने का अंदाज
जीने का अन्दाज़
जीने का अन्दाज़ निराला
जीने का आधार हो गया
जीने का ढंग
जीव सभी अल्पज्ञ
जीवन
जीवन आशातीत हो गया
जीवन आसान बना देना
जीवन का गीत
जीवन का चक्र
जीवन का चल रहा सफर है
जीवन का ताना-बाना
जीवन का भावार्थ
जीवन का विज्ञान
जीवन का संकट गहराया
जीवन का है मर्म
जीवन किताबी हो गया
जीवन की अब शाम हो गई
जीवन की आपाधापी
जीवन की आपाधापी में
जीवन की ये नाव
जीवन की राह
जीवन की है भोर तुम्हारे हाथों में
जीवन के आधार
जीवन के संग्राम में
जीवन के हैं खेल
जीवन के हैं ढंग निराले
जीवन के हैं मर्म
जीवन को हँसी-खेल समझना न परिन्दों
जीवन जटिल जलेबी जैसा
जीवन जीना है दूभर
जीवन तो बहुत जरा सा है
जीवन दर्शन समझाया
जीवन देती धूप
जीवन पतँग समान
जीवन बगिया चहके-महके
जीवन में अभिसार
जीवन में सन्तुष्ट
जीवन में है मित्रता
जीवन ललित-ललाम
जीवन श्रम के लिए बना है
जीवन है बदहाल
जीवन है बेहाल
जीवन-पथ पर बढ़ना सीखो
जीवनचक्र
जीवनयात्रा
जीवित देवी-देवता दुनिया में माँ-बाप
जीवित रहती घास
जीवित हुआ पराग
जीवित हुआ बसन्त
जीूवनचक्र
जुलाईः18
जुल्म के आगे न झुकेंगे
जुल्म झोंपड़ी पर ढाया
जूझ रहा है देश
जूती-टोपी बनी सहेली
जूतों की बौछार
जून-2109
जेठ लग रहा है चौमासा
जैविकपिता
जैसे खर-पतवार
जो नंगापन ढके बदन का हमको वो परिधान चाहिए
जो लिखोगे वही गीत बन जायेगा
जो सबकी प्यास बुझाते हैं
जोकर
जोकर खूब हँसाये
जोकर-बौने
जोड़-तोड़ व्यापार
ज्ञान का तुम ही भण्डार हो
ज्ञान का प्रसाद लो
ज्ञान की अमावस
ज्ञान न कोई दान
ज्ञान हुआ विकलांग
ज्ञान-चक्षु दो खोल
ज्ञानी भी मूरख बनें
ज्यादा दाद मिला करती है
ज्यादा दोहाखोर
ज्यादातर तो कट गयी
ज्येष्ठ पुत्र का जन्मदिन
ज्येष्ठ पुत्र नितिन का जन्मदिन
ज्येष्ठ पूर्णिमा
झंझावात बहुत गहरे हैं
झंझावातों में
झटका और हलाल
झड़े सलोने पात
झण्डे रहे सँभाल
झनकइया मेला गंगास्नान
झनकइया-खटीमा
झरता हुआ प्रपात
झरने करते शोर
झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई की 160वीं पुण्यतिथि पर विशेष
झाँसी की रानी
झाड़ुएँ सवाँर लो
झालर-बन्दनवार
झिलमिल करते दीप
झील सरोवर ताल
झुक गयी है कमर
झुकेगी कमर धीरे-धीरे
झूठ की तकरीर बच गयी
झूठ जायेगा हार
झूठे शोध-प्रबन्ध
झूम रहा बनकर मतवाला
झूमर से लहराते हैं
झूमर से सोने के गहने
झूल रही हैं ममता-माया
झूला
झूले कैसे पड़ें बाग में?
झेल रहा है देश
झेलना जरूरी है
झोंके मस्त बयार के
टाबर टोली
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टिप्पणी पोस्ट
टुकड़ा-एमी लोवेल
टूटा कुनबेवाद से
टूटी-फूटी रोमन-हिन्दी
टैडी का उपहार
टॉम-फिरंगी
टॉम-फिरंगी प्यारे-प्यारे
टोपी
टोपी हिन्दुस्तान की
टोपी है बलिदान की
ठलवे-जलवे
ठहर गया जन-जीवन
ठिठुर रहा है गात
ठिठुर रही है सबकी काया
ठिठुरा बदन है
ठिठुरा सकल समाज
ठेंगा न सूरज को दिखाना चाहिए
ठेले पर बिकते हैं बेर
ठोकरें खाकर सँभलना सीखिए
डमरू का अब नाद सुनाओ
डमरू का तुम नाद सुनाओ
डरता हूँ
डरा और धमका रहा कोतवाल को चोर
डरा रहा देश को है करोना
डाली को कैसे बौराऊँ
डालो अपना वोट
डूबे गोताखोर
डॉ. गंगाधर राय
डॉ. महेन्द्र प्रताप पाण्डेय 'नन्द'
डॉ. राजविन्दर कौर
डॉ. राजविन्दर कौर द्वारा ग़ज़लियात-ए-रूप” की भूमिका
डॉ. सारिका मुकेश
डॉ. सुभाष वर्मा
डॉ. हरि 'फैजाबादी'
डॉ.धर्मवीर
डॉ.राज किशोर सक्सेना "राज""
डॉ.राष्ट्रबन्धु
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
डॉक्टर गोपेश मोहन जैसवाल
डोर तुम्हारे हाथो में
डोल रहा ईमान
डोलियाँ सजने लगीं
ढंग निराला होली के त्यौहार का
ढंग निराले होते जग में मिले जुले परिवार के
ढंग हमारे बदल गये
ढकी ढोल की पोल
ढल गयी है उमर
ढलती उमर में जवानी नहीं
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए
ढाईआखर
ढुल-मुल नहीं उसूल
ढोंग और षड़यन्त्र
ढोंग-आडम्बर
ढोंगी और कुसन्त
ढोंगी साधू
ढोलक और मृदंग
ढोलकी का सुर नगाड़ा हो गया
तंज करने से बिगड़ती बात हैं
तजना नहीं उमंग
तजो पश्चिमी रीत
तन-मन करो पवित्र
तन-मन मेरा पीत हो गया
तन्त्र अब खटक रहा है
तन्त्र ये खटक रहा है
तपते रेगिस्तानों में
तपने लगे मकान
तब गीत-ग़ज़ल बन जाते हैं
तब मैने माँ तुम्हें पुकारा
तब-तब मैं पागल होता हूँ
तबाही के कुछ ताजा चित्र
तमन्नाओं की लहरे हैं
तम्बाकू दो त्याग
तम्बाकू का रोग
तम्बाकू को त्याग दो
तम्बाकू दो छोड़
तम्बाकू निषेध दिवस
तम्बाकू निषेध दिवस पर सन्देश
तरबूज
तरस रहा माँ-बाप की
तवर्ग
ताकत देती धूप
ताजमहल का सच
ताजमहल की हकीकत
तान वीणा की माता सुना दीजिए
ताना-बाना
ताल-लय उदास हैं
तालाबों की पंक
तालाबों में नीर
तिगड़ी की खिचड़ी
तिज़ारत
तिज़ारत में सियासत है
तिजारत ही तिजारत है
तितली
तितली आई! तितली आई!!
तितली करती नृत्य
तितली है फूलों से मिलती
तिनका-तिनका दोहा संग्रह
तिनके चुन-चुन लाती हैं
तिरंगा बना देंगे हम चाँद-तारा
तिलक दूज का कर रहीं
तीखी-मिर्च कभी मत खाओ
तीज आ गई हरियाली
तीज आ गई है हरियाली
तीजो का आया त्यौहार चलो झूला झूलेंगे
तीजो का त्यौहार
तीन
तीन अध्याय
तीन तलाक
तीन दिनों से भार बारिश
तीन पत्थरों का चूल्हा
तीन मिसरी शायरी (तिरोहे)
तीन मुक्तक
तीन साल का लेखा जोखा
तीन-लाइना
तीर खुद पर किसलिए हम तानते हैं
तीस सितम्बर
तुकबन्दी
तुकबन्दी को ही अपनाओ
तुकबन्दी मादक-उन्मादी
तुकबन्दी से खिलता उपवन
तुकबन्दी से होता गायन
तुकबन्दी से होता वन्दन
तुम पंखुरिया फैलाओ तो
तुम साथ क्या निभाओगे?
तुम हो दुर्गा रूप
तुमने सबका काज सँवारा
तुमसे ही मेरा घर-घर है
तुमसे ही है दुनियादारी
तुम्हारे चरण-रज का कण चाहता हूँ
तुम्हारे हाथों में
तुम्ही मेरी आराधना
तुम्हीं ज्ञान का पुंज
तुम्हीं साधना-तुम ही साधन
तुलसी का पौधा गुणकारी
तुलसी का बिरुआ गुणकारी
तुलसी सूर-कबीर
तुलसी-पीपल-नीम
तुलसीदास
तुहिन-हिम नभ से अचानक धरा पर झड़ने लगा
तू माँ का वरदान ना पाये
तू से आप और सर
तूफानों से लड़ते जाओ
तूफानों से लड़ने में
तेइस दोहे
तेजपाल का तेज
तेरह दोहे
तेरह सितम्बर
तेल कान में डाला क्यों?
तेल-लकड़ी
तेवर नहीं अब वो रहे
तो कोई बात बने
तोंद झूठ की बढ़ी हुई है
तोता
तोल-तोलकर बोल
त्योहारों की रीत
त्यौहार
त्यौहार तीज का
त्यौहारों की गठरी
त्यौहारों की शृंखला
त्यौहारों पर किसी का खाली रहे न हाथ
थक जायेगी नयी रीत फिर
थम जाये घुसपैंठ
थमे हुए जल में सदा बन जाते शैवाल
थर-थर काँपे देह
थान मखमल बुन रहा अब भी हमारे गाँव में
थाली के बैंगन
थीम चुराई मेरी
थोड़ी है अवशेष
थोड़े दिन का प्यार
थोड़े दोहाकार है
दंगों का है जोर
दबा सुरीला कोकिल का सुर
दबी हुई कस्तूरी होगी
दम घुटता है आज चमन में
दम घुटता है आज वतन में
दमक उठा है रूप भी’
दया करो हे दुर्गा माता
दयानन्द पाण्डेय
दरक रहे हैं शैल
दरबान बदलते देखे हैं
दरवाजे की दस्तक
दर्द का मरहम
दर्द का मरहम लगा लिया
दर्द का सिलसिला दिया तुमने
दर्द की छाँव में मुस्कराते रहे
दर्द दिल में जगा दिया उसने
दर्पण असली 'रूप' दिखाता
दर्पण काला-काला क्यों
दर्पण में तसबीर
दलबदलू
दशकन्धर था दुष्ट
दशहरा
दशहरा पर दस दोहे
दशहरा-दस दोहे"
दस दोहे
दहे
दहेज
दाँव-फन्दे आ गये
दाग़ तो दाग़ है ज़िन्दग़ी के लिए
दाढ़ी में है चोर
दादी अम्मा
दादी जी! प्रसाद दे दो ना
दाम नहीं है पास
दामिनी काण्ड की बरसी
दामिनी को भावभीनी श्रद्धांजलि
दामोदर नरेन्द्र भाई मोदी
दाल-भात अच्छे लगें
दिखने लगा उजाड़
दिखलानी होगी अपनी खुद्दारी
दिखायी तो नहीं जाती
दिखावा हटाओ
दिन आ गये हैं प्यार के
दिन में छाया अँधियारा
दिन में सितारों को बुलाते हो
दिन है कितना खास
दिन है देवोत्थान का व्रत-पूजन का खास
दिन हैं अब नजदीक
दिनकर है भयभीत
दिनांक 27-04-2016
दिया तिरंगा गाड़
दिल
दिल की आग
दिल की आवाज
दिल की बात
दिल की बेकरारी
दिल की लगी क्या चीज़ है
दिल के करीब और दिल से दूर
दिल को बेईमान न कर
दिल तो है मतवाला गिरगिट
दिल मिला नहीं होता
दिल में इक दीप जलाकर देखो
दिल-ए-ज़ज़्बात
दिलों में उल्फतें कम हैं
दिल्लगी समझते हैं
दिल्ली
दिवस आज का खास
दिवस गये अनुराग के
दिवस बढ़े हैं शीत घटा है
दिवस बहुत है खास
दिवस सुहाने आयेंगे
दिवाली
दिवाली को मनाएँ हम
दिवाली मेला
दिवाली मेला-नानकमत्ता साहिब
दिव्य स्वरूप विराट
दिशाहीन को दिशा दिखाते
दिसम्बर
दीन-ईमान के चोंचले मत करो
दीन-ईमान पल-पल फिसलने लगे
दीप अब कैसे जलेगा...?
दीप खुशियों के जलाओ
दीप खुशियों के जलें
दीप जगमगाइए
दीप जलते रहे
दीप बनकर जल रहा हूँ
दीप मन्दिर में जलाओ
दीपक एक कतार
दीपक जलाएँ बार-बार
दीपक-बाती
दीपशिखा सी शान्त
दीपावली
दीपावली की शुभकामनाएँ
दीपावली के दोहे
दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की शुभकामनाएँ
दीपावली. अँधियारा हरते जाएँगे
दीपों की दीपावली
दीमक ने पाँव जमाया है
दीमकों से चमन को कैसे बचायें?
दीवाली पर देवता
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं
दुखद समाचार
दुनिया का भूगोल
दुनिया का सबसे कुशल वास्तुविद
दुनिया की नियति
दुनिया की है रीत
दुनिया को दें ज्ञान
दुनिया को हैरान न कर
दुनिया भर में सबसे न्यारा
दुनिया में इंसान
दुनिया में नाचीज
दुनिया में परिवार
दुनिया वक्र है
दुनिया से वह चला गया
दुनियादारी
दुनियादारी जाम हो गई
दुर्गा जी की वन्दना
दुर्गा जी के नवम् रूप हैं
दुर्गा माता
दुर्दशा
दुल्हिन बिना सुहाग के लगा रही सिंदूर
दुश्मन से लोहा लेना होगा
दुष्ट हो रहे पुष्ट
दुहरा रहे दास्तां
दूध-दही अपनाना है
दूर करो अज्ञान
दूर निकल जाते हैं बादल
दूरी की मजबूरी
दूषित हुआ वातावरण
दूषित है परिवेश
दे दो ज्ञान भवानी माता
दे रहा मधुमास दस्तक
देंगे नाम मिटाय
देंगे बदल लकीर
देंगे मिटा गुरूर
देख तमाशा होली का
देख बसन्ती रूप
देखना इस अंजुमन को
देखो कितना मुक्त है आभासी संसार
देता है आदित्य
देता है ऋतुराज निमन्त्रण
देता है सन्देश
देते हैं आनन्द
देते हैं आनन्द अनोखा रिश्ते-नाते प्यार के
देनी पड़ती घूस
देव उत्थान
देव दिवाली पर्व
देव दीपावली
देवउठनी
देवउठान
देवदत्त 'प्रसून'
देवदत्त 'प्रसून' जी हमारे बीच नहीं रहे।
देवदत्त सा शंख
देवपूजन के लिए सजने लगी हैं थालियाँ
देवभूमि अपना भारत
देवालय का सजग सन्तरी
देवालय में बूढ़ा बरगद जिन्दा है
देवों का उत्थान
देवों का गुणगान
देवोत्थान
देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी
देश कहाये विश्वगुरू तब
देश का दूषित हुआ वातावरण
देश की अंजुमन बेच देंगे
देश की कहानी
देश की हालत
देश को सुभाष चाहिए
देश भक्ति गीत
देश-प्रेम गीत
देश-भक्ति गीत
देश-समाज
देशप्रेम का दीप जलेगा
देशभक्त गुमनाम हो गये
देशभक्ति
देशभक्ति का जाप
देशभक्ति गीत
देशभक्तिगीत
देशभक्तों का नमन होना चाहिए
देहरा दून-सखनऊ के चित्र
देहरादून यात्रा
देहरादून यात्रा-दस दोहे
दो अक्टूबर
दो आँखें
दो आँखों की रीत
दो कुणडलियाँ
दो कुण्डलियाँ
दो गीत
दो जून
दो जून की रोटी
दो जून रोटी
दो पक्षों के बोल
दो बच्चे होते हैं अच्छे
दो मुक्तक
दो शब्द
दो हजार का नोट
दो हजार के नोट
दो हाथों का घोड़ा
दो-अक्टूबर
दोनों पलकें बोझिल हैं
दोनों पुस्तकों का विमोचन
दोपहरी में शाम हो गई
दोस्ती-दग़ाबाजी
दोह
दोहा
दोहा ग़ज़ल
दोहा गीत
दोहा छन्द
दोहा पच्चीसी
दोहा बत्तीसी
दोहा महिमा
दोहा सप्तक
दोहा-अष्टक
दोहा-गीत
दोहा-मुक्तक
दोहाग़ज़ल
दोहागीत
दोहागीत "गुरू पूर्णिमा"
दोहागीत. उपवन का परिवेश
दोहागुणगान
दोहाचित्र
दोहाचोर
दोहाछन्द
दोहाछन्द को भी जानिए
दोहावली
दोहाष्टक
दोहासंग्रह
दोहे
दोहे "हनुमान जयन्ती"
दोहे "पैंतीस दोहे"
दोहे "बाँटो कुछ आनन्द"
दोहे "मुखपोथी के सामने
दोहे "राजनीति में हंस"
दोहे और मुक्तक
दोहे का विन्यास
दोहे का संधान
दोहे पर दोहे
दोहे रखना सम अनुपात
दोहे-जलता हुआ अलाव
दोहे. उलटी गिनती पाक की
दोहे. कन्या-पूजन
दोहे. करवाचौथ सुहाग का
दोहे. धीरज से लो काम
दोहे. पर्व लोहिड़ी का हमें
दोहे. पावस का आगाज
दोहे. बहुत अनोखे ढंग
दोहे. बापू जी के देश में बढ़ने लगे दलाल
दोहे. भइयादूज
दोहे. भारत देश महान
दोहे. माता का अवतार
दोहे. योगिराज का जन्मदिन
दोहे" रचता जाय कुम्हार
दोहेे
दोहे्
दोहों का मर्म
दोहों पर दोहे
दोहों में कुछ ज्ञान
दोहों में फरियाद
दोेहे
दोौहे
धड़कन पढ़ते जाओ
धड़कन बिना शरीर
धधक रही है आग
धन का खुल्ला खेल
धन में से कुछ दान
धनतेरस
धनतेरस त्यौहार
धनतेरस-नरक चतुर्दशी की शुभकामनाएँ
धन्य अयोध्या धाम
धन्यवाद-ज्ञापन
धन्वन्तरि जयन्ती
धन्वन्तरि संसार को देते जीवनदान
धन्वन्तरी जयन्ती
धरती और पहाड़ पर है कुदरत की मार
धरती का त्यौहार
धरती का शृंगार
धरती का सन्ताप
धरती का सिंगार
धरती का सौन्दर्य
धरती गाती गान
धरती ने पहना नया घाघरा
धरती ने है प्यास बुझाई
धरती पर नजारों को बुलाते हो
धरती पर हरियाली छाई
धरती है बदहाल
धरा का प्रभावशाली चित्रण
धरा के रंग
धरा के रंग की भूमिका
धरा को रौशनी से जगमगायें
धरा दिवस
धरा हुई बेचैन
धरा-दिवस
धर्म रहा दम तोड़
धर्म हुआ मुहताज
धर्मान्तरण के कारण
धागे हैं अनमोल
धान
धान की बालियाँ
धान खेतों में लरजकर पक गया है
धान्य से भरपूर खेतों में झुकी हैं डालियाँ
धारण त्रिशूल कर दुर्गा बन
धारा यहाँ विधान की
धावकमन बाजी जीत गया
धीरज रखना आप
धीरे-धीरे
धीरे-धीरे कट गये
धीरे-धीरे घट रहा लोगों में अब प्यार
धुँधली सी परछाई में
धूप
धूप अब खिलने लगी है
धूप गुनगुनी पाने को
धूप बहुत विकराल
धूप में घर सब बनाना जानते हैं
धूप यौवन की ढलती जाती है
धूप हुई विकराल
धूप-छाँव का खेल
धूल चाटता रहा
धो दिया कलंक
ध्येय और संकल्प
न कोई धर्म-न ईमान
न जाने टूट जायें कब
न फिर मात होती
न शह कोई पड़ती
नंगा आदमी भूखा विकास
नंगा आदमी-भूखा विकास
नंगेपन के ढ़ंग
नई गंगा बहाना चाहता हूँ
नखरे भी उठाये जाते हैं
नगमगी 'रूप' ढल जायेगा
नगमे सुखद बहार के
नगर में नाग छलते हैं
नज़र में कुछ और
नजरबन्द हो गयी देश में अपनी प्यारी खादी है
नजारा देख मौसम का
नज़ारे बदल गये
नदी का काम है बहना
नदी के रेत पर
नदी-नाले उफन आये
नन्हे-मुन्ने
नन्हें दीप जलायें हम
नन्हेसुमन
नफरतों का सिला दिया तुमने
नभ पर घटा घिरी है काली
नभ पर बादल छाये हैं
नभ पर बादलों का है ठिकाना
नभ में अब घनश्याम
नभ में घना कुहासा छाया
नभ में बदली काली लेकर आया है चौमास
नभ में लाल-गुलाल उड़े हैं
नभ है मेघाछन्न
नमकीन पानी में बहुत से जीव ठहरे हैं
नमन
नमन आपको मात
नमन तुम्हें शत् बार
नमन शैतान करते हैं
नमन हजारों बार
नयनों की भाषा
नया आ गया साल
नया गीत आया है
नया जमाना आया है
नया राष्ट्र निर्माण करेंगे
नया साल
नया साल 2017
नया साल आया है
नया साल दे हर्ष
नया साल-2021
नया सृजन होता है
नयागाँव-सितारगंज
नयागीत
नयासाल
नयी रीत फिर
नयी-कविता
नये वर्ष का अभिनन्दन
नये वर्ष का अभिनन्दन!
नये वर्ष में आप हर्षित रहें
नये साल का अभिनन्दन
नये साल का सूरज
नये साल की दस्तक
नये साल के कदम पड़ने वाले हैं
नये साल के साथ में सुधरेंगे हालात
नर का निर्बल पक्ष
नरक चतुर्दशी
नरकचतुर्दशी
नरेन्द्र भाई मोदी को जन्म दिन की शुभकामनाएँ
नरेन्द्र मोदी
नर्क चतुर्दशी
नव दुर्गा
नव वर्ष
नव वर्ष चलकर आ रहा
नव विहान छेड़ता
नव सम्वतसर
नव सम्वत्सर आया है
नव-गीत
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे
नव-वर्ष मनायें अब कैसे
नव-सम्वत्सर का अभिनन्दन
नवअंकुर उपजाओगे कब
नवगीत
नवगीत मचल जाते हैं
नवजात
नवदुर्गा
नवदुर्गा के नवम् रूप हैं
नवदुर्गा जी की आरती
नवपल्लव परिधान
नवमी तो श्रीराम की
नवरात्र
नववर्ष
नववर्ष मुबारक हो सबको
नववर्ष से आशाएँ
नववर्ष-2012
नवसम्वत से चमन का
नवसम्वतसर
नवसम्वतसर 2077
नवसम्वतसर मन में चाह जगाता है
नवसम्वत्सर
नवसम्वत्सर आ गया
नवोदित
नही ज़लज़लों से डरता है
नहीं आता
नहीं कभी मन को भटकाया
नहीं किसी का जोर
नहीं घटे क्यों दाम?
नहीं चलेगा वंश
नहीं जाती
नहीं जेब में दाम
नहीं पहचान पाये रूप
नहीं रहा लालित्य
नहीं रही वो बात
नहीं राम का राज
नहीं शीत का अन्त
नहीं समय अनुकूल
नहीं सरल है काम
नहीं सुहाता ठण्डा पानी
नहीं हमें अनुदान चाहिए
नहीं हमें मंजूर
नागपंचमी
नागपंचमी-तीज
नागपञ्चमी
नागपञ्चमी आज भी श्रद्धा का आधार
नागपञ्चमी श्रद्धा का आधार
नागपञ्चमी-हरेला रक्षाबन्धन-तीज
नागफनी का रूप
नागफनी के फूल
नागों के नेवलों से सम्बन्ध हो गये हैं
नाज़ुक कलाई मोड़ ना
नानकमत्ता साहिब का दिवाली मेला
नानकमत्तासाहिब
नानी का घर
नानी का घर सुख का धाम
नाम के इंसान हैं
नाम गिलहरी
नाम बड़े हैं दर्शन थोड़े
नाम है आचमन जाम ढलने लगे
नारायणदत्त तिवारी
नारि
नारि न हुआ
नारिशक्ति
नारी
नारी का सम्मान करो
नारी की आवाज
नारी की कथा-व्यथा
नारी की महिमा
नारी की व्यथा...
नारी दिवस
नारी दुर्गा रूप
नारी रूप अगर देते
निखरा हुआ चन्द्रमा
निखरा-निखरा गात
निखरा-निखरा है नील गगन
निखरी-निखरी धूप
निज पुरुखों को याद
निठल्ला-चिन्तन
नित नया पर्व
नितिन
नितिन का जन्मदिन
नितिन शास्त्री
नित्य नयी तान है
नित्य-नियम से योग
निन्दा प्रस्ताव
निमन्त्रण
निम्बौरी अब आयीं है नीम पर
निम्बौरी आयीं है अब नीम पर
नियति
नियम और कानून
नियमन में है खोट
नियमों को अपनाओगे कब
निर्झर
निर्झर हमें सिखाते हैं
निर्धन हुए विपन्न
निर्मल गंगा धार कहाँ है
निर्मल जल बरसाते हैं
निर्मल नीर पिलाते हैं
निर्मल हुए पहाड़
निर्मल हो परिवेश
निर्वाचन
निर्वाचनी बयार
निर्वेद
निश्छल पावन प्यार
निष्ठा का त्यौहार
निष्ठुर उपवन देखे हैं
निष्पक्ष चुनाव के लिए
नींद टूट जाया करती है...
नीड़ को नन्हें दियों से जगमगायें
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें
नीड़ बनाया है
नीति के दोहे
नीति-रीति के पथ को गुरु ही बतलाता
नीतिदशक
नीम
नीम की छाँव
नीम की छाँव नहीं रही
नीर पावन बनाओ करो आचमन
नीरज जी से अन्तिम भेंट
नीले-नीले अम्बर में
नूतन का अभिनन्दन
नूतन का करता अभिनन्दन
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष का अभिनन्दन
नूतन वर्षःअच्छे दिन?
नूतन वर्षाभिनन्दन
नूतन सम्वत्सर आया
नूतन सम्वत्सर आया है
नूतनवर्ष
नूतनसम्वत्सर आया है
नून
नेक-नीयत हमेशा सलामत रहे
नेट के सम्बन्ध
नेट सबल आधार
नेता
नेता आया बिनबुलाया है
नेता का श्रृंगार
नेता के पास जवाब नही
नेता नही चलेंगे
नेता बाद में
नेता महान
नेता महान हैं
नेताओं की तफरी
नेताजी
नेत्र शिव का खुल गया
नेशनल दुनिया में मेरी बाल कविता
नेह
नेह का बिरुआ यहाँ कैसे पलेगा
नेह के दीपक
नैनीताल यात्रा
नैसर्गिक शृंगार
नैसर्गिक स्वाद मिठास का
नोक लेखनी की भाला बन जाया करती है
नोट पाँच सौ के हुए सभी पुराने बन्द
नौ दिन तक उपवास
नौ शेरी ग़ज़ल
नौकरशाही भ्रष्ट
नौका में है छेद कहीं
नौका लहरों में फँसी बेबस खेवनहार
नौशेरी ग़ज़ल
पं. गोविन्द बल्लभ पन्त
पं. नाराचण दत्त तिवारी
पं. लाल बहादुर शास्त्री
पं.नारायणदत्त तिवारी
पंक में खिला कमल
पंक से मैला हुआ है आवरण
पंखुड़ियों के रंग
पंच तत्व की देह
पंच पर्व नजदीक
पंच पर्वों की शुभकामनाएँ
पंछी
पंजी-दस्सी-चवन्नी
पकवानों का थाल लिए होली आई है
पक्के आम
पचास साल पहले इसे लिखा था
पच्चीस दोहे
पछुआ पश्चिम से है आई
पठनीय ही नहीं संग्रहणीय भी है
पड़ रहीं रिमझिम फुहारें
पड़ने लगा अकाल
पड़ने लगी फुहार
पड़ने वाले नये साल के हैं कदम
पड़ी कूप में भाँग
पढ़ गीता के श्लोक
पढ़ लेते हैं सारी भाषा
पढ़ना बच्चों का अधिकार
पढ़ना बहुत जरूरी है
पढ़ना-लिखना
पढ़ना-लिखना मजबूरी है
पढ़ने में भी ध्यान लगाओ
पढ़े-लिखे मुहताज़
पण्डित टीकाराम
पतंग
पतला सा शॉल
पत्थर
पत्थर दिल कब पिघलेंगे
पत्थरों को तोड़ ना
पत्थरों में से धारे निकल आयेंगे
पत्रकारिता दिवस
पत्रिका एवं पुस्तकों का विमोचन
पथ उनको क्या भटकायेगा
पथ का निर्माता हूँ
पथ नहीं सरल यहाँ
पथ नापते हैं चरण
पथ पर जाना भूल गया
पथ हमें प्रकाश का दिखला रही दीपावली
पथ होते अवरुद्ध
पथरीला पथ अपनाया है
पथिक को छाया मिले
पनप रहा व्यभिचार
पनप रहा है भोग
पनप रहे हैं शूल
पन्थ अनोखा बतलाया
पन्द्रह दोहे
पन्नियाँ बीन रहा है बचपन
परदेशियों ने डेरा डाला हुआ चमन में
परदेशी
परमपिता का दूत
परवाना फड़कता है
पराक्रम जीवन में अपनाओ
परिणय को अपने हुए
परिन्दे आ गये
परिन्दे किधर गये
परिभाषा
परिभाषाएँ
परिवर्तन
परिवेश
परिवेश में गजल
परिश्रमी धुनता काया
परीक्षा
परेशान हैं आम
पर्यावरण
पर्यावरण का नियन्ता
पर्यावरण दिवस
पर्यावरण बचाइए
पर्यावरण बचाइए धरती कहे पुकार
पर्यावरण बचाइए बचे रहेंगे आप
पर्व अहोई
पर्व अहोई खास
पर्व अहोई-अष्टमी
पर्व नया-नित आता है
पर्व लोहड़ी में करो
पर्व हरेला आज
पर्वत पर चढ़ना होता आसान नहीं
पर्वत पर हिम से जमे
पर्वत पर हिमपात
पर्वत बन कर डटे रहेंगे
पर्वत सभी को भा रहे हैं
पर्वत से बह निकले धारे
पर्वतीयमहिला
पर्वों का परिवेश
पर्वों का विन्यास
पल में तोला
पल में माशा
पल रहीं कैदियों की तरह
पलाश के फूल
पवन बसन्ती चलकर वन में आया
पवनपुत्र हनुमान
पश्चिम अनुकरण का अब तो कर दो त्याग
पश्चिम का प्रणय सप्ताह
पश्चिम की है सभ्यता
पश्चिम के किरदार
पश्चिम के दिन-वार
पश्चिमी गंगा बहाने
पसरी धवल उजास
पहनावा बदला
पहरे
पहली बारिश
पहली बारिश का आना
पहली बारिश जून की
पहली बारिश मानसून की
पहले छाया बौर निम्बौरी अब आयीं है
पहाड़
पहाड़ी की यही असली कहानी है
पहाड़ी मनीहार
पहाड़ी रूप
पहाड़ों की सतह में
पहाड़ों के ढलानों पर
पहाड़ों के मचानों पर
पहाड़ों में मचलता है
पा जाऊँ यदि प्यार तुम्हारा
पाँच क्षणिकाएँ
पाँच दिसम्बर
पाँच मार्च
पाँच मुक्तक
पाँच शब्द चित्र
पाँच शब्दचित्र
पाँचमुक्तक
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