-- धरा-दिवस पर कीजिए, यही
प्रतिज्ञा आज। भू पर पेड़ लगाइए, जीवित
रहे समाज।१। -- हरितक्रान्ति से ही मिटे, धरती का
सन्ताप। पर्यावरण बचाइए, बचे
रहेंगे आप।२। -- पेड़ लगाकर कीजिए, अपने पर
उपकार। करो हमेशा यत्न से, धरती का
सिंगार।३। -- खाली रहे न कहीं भी, अब
खेतों की मेढ़। सड़क किनारे मित्रवर, लगा
दीजिए पेड़।४। -- प्राणवायु हमको सदा, देते पीपल-नीम। दुनियाभर में हैं यही, सबसे
बड़े हकीम।५। -- बातों से होता नहीं, धरा-दिवस
साकार। यत्न करोगे तो तभी, बेड़ा
होगा पार।६। -- धरती माता तुल्य है, देती
प्यार-अपार। संचित है सबके लिए, धरती
में भण्डार।७। -- |
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मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
दोहे-भूमिदिवस "धरती का सिंगार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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