बहार आने से खिल उठा है, हमारे उपवन का कोना-कोना। महक उठी क्यारियाँ चमन में, चहक रहा है चमकता सोना।। चमक रहा है गगन पटल पर, सात-रंगी धनुष निराला, बरस रहे हैं बदरवा रिम-झिम, निगल रहे हैं दिवस उजाला, नजर जमाने की लग न जाए, लगाया नभ पर बड़ा डिठोना। महक उठी क्यारियाँ चमन की, चहक रहा है चमकता सोना।। ठुमक रहे हैं मयूर वन में, दमक रही दामिनी गरज कर, चिहुँक रहे हैं खग मस्ती में, थिरक-थिरककर-लरज-लरजकर। झूम रहे हैं तरुवर खुश हो, फूलों का बिछ गया बिछौना। महक उठी क्यारियाँ चमन की, चहक रहा है चमकता सोना।। |
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रविवार, 6 नवंबर 2011
"महक उठी क्यारियाँ चमन में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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bahut khub....sab aise hi chamkata rahe
जवाब देंहटाएंसुन्दर उपवन सी रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीतमय रचना ....मन को खिलाती हुई ....
जवाब देंहटाएंसौन्दर्यमयी प्रकृति का सुन्दर चित्रण।
जवाब देंहटाएंप्रकृति का सुन्दर निरूपण
जवाब देंहटाएंमहकता सा गीत...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई सर.
kya khooshboo hai.......
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंप्रकृति की सुंदरता का सहज चित्रण .. बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंवाह ... जीवंत प्रकृति
जवाब देंहटाएंbahut sundar pyare shabd-bhaav...
जवाब देंहटाएंनजर जमाने की लग न जाए,
लगाया नभ पर बड़ा डिठोना।
shubhkamnaayen.
मन भावन सुंदर पोस्ट...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंठुमक रहे हैं मयूर वन में,
जवाब देंहटाएंदमक रही दामिनी गरज कर,
चिहुँक रहे हैं खग मस्ती में,
थिरक-थिरककर-लरज-लरजकर।
सुंदर प्रकृति चित्रण।
प्राकृतिक सुन्दरता का सुन्दर चित्रण्।
जवाब देंहटाएंप्रकृति की सुंदरता का अहसास कराती रचना।
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 07-11-2011 को सोमवासरीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंलयबद्ध काव्यात्मक सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंbahut hee badhiyaa hai jee
जवाब देंहटाएंbahut pyaari kavita.laybaddh sundar shabdon ka sanyogan.
जवाब देंहटाएंयूँ ही महकता रहे क्यारी..
जवाब देंहटाएंpurn prakriti ko apni kavita me samahit kar liya hai apne..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachana..
बहुत सुन्दर रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
प्रकृति का बहुत सुन्दर चित्रण...
जवाब देंहटाएंसुंदर उपवन की खूबसूरत रचना ....
जवाब देंहटाएंचहका रहा है चहकता सोना|
जवाब देंहटाएंबहुत हि सुन्दर रचना!
bahut hi sundar....
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदिनांक 13/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
ऎसा क्यूँ हो जाता है......हलचल का रविवारीय विशेषांक.....रचनाकार...समीर लाल 'समीर' जी
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)