ज़िन्दगी के रास्तों पे कदम तो बढ़ाइए। इस सफर को नापने को हमसफर बनाइए।। राह है कठिन मगर लक्ष्य है पुकारता, रौशनी से आफताब मंजिलें निखारता, हाथ थामकर डगर में साथ-साथ जाइए। ज्वार का बुखार आज सिंधु को सता रहा, प्रबल वेग के प्रवाह को हमें बता रहा, कोप से कभी किसी को इतना मत डराइए। काट लो हँसी-खुशी से, कुछ पलों का साथ है, चार दिन की चाँदनी है, फिर अँधेरी रात है, इन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए। पुंज है सुवास का, अब समय विकास का, वाटिका में खिल रहा, सुमन हमारी आस का, सुख का राग, आज साथ-साथ गुनगुनाइए। |
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काट लो हँसी-खुशी से, कुछ पलों का साथ है,
जवाब देंहटाएंचार दिन की चाँदनी है, फिर अँधेरी रात है,
इन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए।
पता नही क्यो इंसान इतनी सी बात नही समझ पाता……………और ज़िन्दगी झगडे फ़सादो मे गुजार देता है…………सुन्दर संदेश देती सार्थक रचना।
पुंज है सुवास का, अब समय विकास का,
जवाब देंहटाएंवाटिका में खिल रहा, सुमन हमारी आस का,
सुख का राग, आज साथ-साथ गुनगुनाइए
बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है,शास्त्री जी.
guru ji, hamsafar to aapka koi bhee bann jaayegaa....aap hain hee itne mahaan!
जवाब देंहटाएंकाट लो हँसी-खुशी से, कुछ पलों का साथ है,
जवाब देंहटाएंचार दिन की चाँदनी है, फिर अँधेरी रात है,
इन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए।
पता नही क्यो इंसान इतनी सी बात नही समझ पाता……………और ज़िन्दगी झगडे फ़सादो मे गुजार देता है…………सुन्दर संदेश देती सार्थक रचना।
बढ़ते जाना जीवन का गुण..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रेरक कविता
जवाब देंहटाएंयूँ ही कट जायेगा सफर साथ चलने से...
जवाब देंहटाएंके मंज़िल आएगी नज़र साथ चलने से .... :-)
जवाब देंहटाएंचार दिन की चाँदनी है, फिर अँधेरी रात है,
जवाब देंहटाएंइन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए।
सुन्दर!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई महोदय ||
dcgpthravikar.blogspot.com
सुख का राग, आज साथ-साथ गुनगुनाइए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत सर...
सादर बधाई...
सुन्दर बौध्गाम्य प्रस्तुति| बधाई
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
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मंजिल इतनी सुन्दर हो तो अकेले भी तैयार रहते हैं ।
जवाब देंहटाएंबड़ी सार्थक बात कही है अपने ।
आपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - एक गरम चाय की प्याली हो ... संग ब्लॉग बुलेटिन निराली हो ...
जवाब देंहटाएंwahh....
जवाब देंहटाएंbahut hi behtarin prastuti hai..
खूबसूरत ....
जवाब देंहटाएंप्रेरक.....
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुख के राग की ही तलाश रहती है। बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंकाट लो हँसी-खुशी से, कुछ पलों का साथ है,
जवाब देंहटाएंचार दिन की चाँदनी है, फिर अँधेरी रात है,
इन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए।
बहुत सुंदर सन्देश देती हुई सार्थक रचना /सुंदर शब्दों से लिखी हुई /बधाई आपको /
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-708:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
ज़िन्दगी के रास्तों पे कदम तो बढ़ाइए।
जवाब देंहटाएंइस सफर को नापने को हमसफर बनाइए
bahut sundar
इन लम्हों को रार में, व्यर्थ मत गँवाइए।...main koshish karungi....bahut acchi seekh deti rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
ज्वार का बुखार आज सिंधु को सता रहा,
जवाब देंहटाएंप्रबल वेग के प्रवाह को हमें बता रहा,
कोप से कभी किसी को इतना मत डराइए।
अपने ही कोप से कभी खुद भी डर जाइए....
बहुत खूब....