हाँ यही मौत का लक्षण है!! उठकर बैठो आँखें खोलो अपने मुख से कुछ तो बोलो हिलना-डुलना क्यों बन्द हुआ तन-मन क्यों ब्रह्मानन्द हुआ सब ढला आज सिंगार-साज चलती धारा क्यों रुकी आज क्या यही मौत का लक्षण है? मातम पसरा सारे घर में आँसू नयनों के कोटर में सब सजा रहे अन्तिम डोली देंगे काँधा सब हमजोली फिर चिता सजाई जाएगी कंचन काया जल जाएगी क्या यही मौत का लक्षण है? जब याद तुम्हारी आयेगी तब यादें ही रह जाएँगी जीवन की रीत निराली है पर मौत बहुत बलशाली है जिन्दगी चार दिन का खेला फिर उजड़ जायेगा ये मेला क्या यही मौत का लक्षण है? हाँ यही मौत का लक्षण है!! |
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सोमवार, 21 नवंबर 2011
"हाँ यही मौत का लक्षण है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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रुकना मृत्युसम है।
जवाब देंहटाएंजीवन की रीत निराली है
जवाब देंहटाएंपर मौत बहुत बलशाली है
जिन्दगी चार दिन का खेला
फिर उजड़ जागा ये मेला
bahut sundar rachana hai...
चलना ही जिंदगी है
जवाब देंहटाएंरुकना ही मौत तेरी ...
जीवन और मृत्यु की सुंदर समीक्षा...
मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है
जीवन की रीत निराली है
जवाब देंहटाएंपर मौत बहुत बलशाली है
jai ho aapki.............
aapki kavita hriday me gahre utar jati hai
जो चले वह ज़िंदगी , बहुत अच्छी रचना , आभार
जवाब देंहटाएंअंतिम सत्य!
जवाब देंहटाएंक्या यही मौत का लक्षण है?
जवाब देंहटाएंहाँ यही मौत का लक्षण है!!
काफी हद तक...
चलने का नाम जिंदगी.....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
कटु और सार्थक सच.....
जवाब देंहटाएंsatya aur atulya abhivyakti
जवाब देंहटाएंसांसों के साथ ही चलने बहने का नाम जीवन है ..जो रुक गये तो कुछ नहीं !
जवाब देंहटाएंगहरे भाव के साथ लिखी हुई सुन्दर एवं सार्थक रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंyahi antim satya hai bhaavuk man se likhi gai kavita.
जवाब देंहटाएंगहन भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकल 23/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, चलेंगे नहीं तो पहुचेंगे कैसे ....?
धन्यवाद!
शाश्वत की सुन्दर काव्यात्मक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक गीत सर...
सादर बधाई...
शाश्वत सत्य है ..
जवाब देंहटाएंसारी ही अपने आप में पूर्ण और सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए बधाई...!!
प्रत्येक पंक्तियाँ अपने आप में परिपूर्ण, सार्थक भाव लिए हुये !
जवाब देंहटाएंयही अन्तिम सत्य है।
जवाब देंहटाएंदेंगे काँधा सब हमजोली
जवाब देंहटाएंफिर चिता सजाई जाएगी
कंचन काया जल जाएगी
क्या यही मौत का लक्षण है?
aaa.....haaa....
मयंकजी, सच्चाई भी तो यही है।
जवाब देंहटाएंजीवन के यथार्थ उकेरती पंक्तियाँ ये वो मौत की हंसीं वादियाँ होती हैं जहाँ न तरन्नुम न तबस्सुम होता है होता है तो सिर्फ सुकून..........
जवाब देंहटाएंअंतिम सत्य!
जवाब देंहटाएंअपने में पूर्ण और जीवन की सच्चाई बयान करती रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
अंतिम एवं एकमात्र सत्य
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसादर
jindagi ka safar kabhi khtam nahi hoga...mout hi antim sach hai...aabhar
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