खुशियों
की सौगात लिए होली आई है।
रंगों
की बरसात लिए, होली आई
है।।
रंग-बिरंगी
पिचकारी ले,
बच्चे
होली खेल रहे हैं।
मम्मी-पापा
दोनों मिल कर,
मठरी-गुझिया
बेल रहे हैं।
पकवानों
को साथ लिए, होली आई
है।
रंगों
की बरसात लिए, होली आई
है।।
जाड़ा
भागा, गरमी आई,
होली यह
सन्देशा लाई।
कोयल
बोल रही बागों में,
कौए ने
पाँखे खुजलाई।
ठण्डी
कुल्फी हाथ लिए, होली आई
है।
रंगों
की बरसात लिए, होली आई
है।।
सरसों
फूली, टेसू
फूले,
आम-नीम
बौराये हैं।
मक्खी, मच्छर
भी होली का,
राग
सुनाने आये हैं।
साथ
चाँदनी रात लिए, होली आई
है।
रंगों
की बरसात लिए, होली आई
है।।
|
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गुरुवार, 13 मार्च 2014
"रंगों की बरसात लिए होली आई है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (14.03.2014) को "रंगों की बरसात लिए होली आई है (चर्चा अंक-1551)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंholi parv kee hardik shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंरंगो की बरसात लिये होली आई ....... वाह बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर :)
जवाब देंहटाएंसुहानी होली आई .
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनायें !
प्रसन्नता की लहर भरी होली।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर होली गीत।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
सुन्दर रागात्मक कविता :
जवाब देंहटाएंसरसों फूली, टेसू फूले,
आम-नीम बौराये हैं।
मक्खी, मच्छर भी होली का,
राग सुनाने आये हैं।
साथ चाँदनी रात लिए, होली आई है।
रंगों की बरसात लिए, होली आई है।।
मुबारक हो मुबारक दिन जुग जुग जियो पोती संग
जवाब देंहटाएं