यौवन गया, बुढ़ापा आया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। आँखों के परदे पर सारे घूम रहे हैं चित्र सलोने, जीवित होकर झूम रहे हैं जीवन के सब खेल-खिलौने, सारे झंझावातों से मैंने जमकर संघर्ष किया, हार नहीं मानूँगा, मैंने ऐसा शिवसंकल्प लिया, खट्टा-मीठा अनुभव पाया, नहीं कभी मन को भटकाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। लहरों से में लड़ा हमेशा, हिम्मत को पतवार बनाया, सागर के भँवरों में मैंने, चप्पू को हथियार बनाया, जो छलनी में दूध दूहता, खाली हाथ लौट आता है, जो चिड़िया की आँख देखता, वो ही लक्ष्य बेध पाता है, निर्बल पर नहीं हाथ उठाया, बलवानों पर दाँव चलाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। चीर पर्वतों की छाती को, बहता कल-कल जल का धारा, जीते-जी तुम हार न मानों, जीवन मिलना कठिन दुबारा, आये हो तो कुछ कर जाओ, दुनिया में कुछ नाम कमाओ, समय बहुत ही मूल्यवान है, आलस में मत समय गँवाओ, जिसने माँ का मान बढ़ाया, वो ही है माता का जाया। जो ठाना वो कर दिखलाया।। |
संघर्ष से गुजरकर ही जीवन में निखार आता है
जवाब देंहटाएंजीवन को बाखूबी शब्दों में उतारा है ... शायद इसी को जीवन कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 4358 में दिया जाएगा | चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
जीते-जी तुम हार न मानों, जीवन मिलना कठिन दुबारा,
जवाब देंहटाएंआये हो तो कुछ कर जाओ, दुनिया में कुछ नाम कमाओ,
समय बहुत ही मूल्यवान है, आलस में मत समय गँवाओ,
बहुत सही.. सच है जीवन में यदि कुछ काम भी नहीं और नाम भी नहीं कमाया तो फिर ऐसा जीवन क्या
बहुत सुंदर प्रेरक गीत।
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