विश्व कविता दिवस
तुम्हीं वन्दना, तुम्ही साधना। कविता को अब तुम्हीं बाँधना।। प्रेम सुधा सरसाने वाली, मन को अति हर्षाने वाली, सपनों में आ जाने वाली, मेघा बन छा जाने वाली, जीवन को महकाने वाली, वाणी को चहकाने वाली, तुम्हीं वन्दना, तुम्ही साधना। कविता को अब तुम्हीं बाँधना।। सत्य बोलने का बल देना, अपनी भक्ति अविरल देना, दुष्ट-दलालों को दल देना, शब्दों का मुझको हल देना, मेहनत का मुझको फल देना, अमृत सा मुझको जल देना, तुम्हीं वन्दना, तुम्ही साधना। कविता को अब तुम्हीं बाँधना। |
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सोमवार, 21 मार्च 2022
विश्व कविता दिवस "कविता को अब तुम्हीं बाँधना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-3-22) को "कविता को अब तुम्हीं बाँधना" (चर्चा अंक 4376 )पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
सुंदर सृजन...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
जवाब देंहटाएंसुंदर स्तुति माँ शारदा की।
जवाब देंहटाएंतुम्ही वंदना तुम्ही साधना
जवाब देंहटाएंकविता को अब तुम्ही बांधना
इतने सुंदर शब्दों में स्तुति की आपने शास्त्री जी । एक कवि को इससे अधिक क्या चाहिए । अभिनंदन ।
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रार्थना ।
कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर