-- चली उत्तराखण्ड में, निर्वाचनी बयार। धामी के नेतृत्व में, युवा हुए तैयार।। -- अलग-थलग सब पड़ गये, झाड़ू हाथी हाथ। देखो फिर से चल पड़े, लोग कमल के साथ।। -- पाँच बरस देखा जिसे, परखा चित्त-चरित्र। जन-गण-मन की बन गई, पुनः भाजपा मित्र।। -- रावत जी के हाथ से, डोर रही है छूट। व्यथा आज किससे कहें, कुनबे में है फूट।। -- रावत-रावत फिर मिले, हुआ न मतलब सिद्ध। मतदाता की दृष्टि में, दोनों ही थे गिद्ध।। -- माता बेटी-पुत्र के, कब्जे में अधिकार। इस तिकड़ी ने कर दिया, दल का बण्टाधार।। -- काँगरेस में हो गया, अब नेतृत्व अभाव। लोकतन्त्र के सिन्धु में, डूब गई है नाव।। -- |
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जवाब देंहटाएंवाह! त्वरित दोहे !
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन।
बहुत ही बढ़िया कहा।
जवाब देंहटाएंपंजाब छोड़ कर बीजेपी की हर जगह बल्ले-बल्ले हो गयी और कांग्रेस की तो हर जगह थू-थू हो गयी लेकिन उत्तराखंड में कमांडर धामी को तो ख़ुद ही धूल चटनी पड़ गयी.
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