नारी का सम्मान करो, जय माता की कहने वालो। भूतकाल को याद करो, नवयुग में रहने वालो।। झाड़ और झंखाड़ हटाकर, राह बनाना सीखो, ऊबड़-खाबड़ धरती में भी, फसल उगाना सीखो, गंगा में स्नान करो, कीचड़ में रहने वालो। भूतकाल को याद करो, नवयुग में रहने वालो।। बेटों के जैसा ही, बेटी से भी प्यार करो ना, नारी से नर पैदा होते, ये भी ध्यान धरो ना, मत जीवन बरबाद करो, दुनिया में रहने वालो। भूतकाल को याद करो, नवयुग में रहने वालो।। दया-धर्म और क्षमा-सरलता, ही सच्चे गहने हैं, दुर्गा-सरस्वती-लक्ष्मी ही, अपनी माता-बहनें हैं। घर अपना आबाद करो, पूजन-वन्दन करने वालो। भूतकाल को याद करो, नवयुग में रहने वालो।। |
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गुरुवार, 24 मार्च 2022
गीत "जय माता की कहने वालो नारी का सम्मान करो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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नारी का सम्मान करो,
जवाब देंहटाएंजय माता की कहने वालो।
भूतकाल को याद करो,
नवयुग में रहने वालो।। मान्यवर !सार्थक उद्देश्य को लेकर चला है सदैव ही आपका लेखन ,टिपण्णी का मोहताज़ नहीं वो
kabirakhadabazarmein.blogspot.com
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५-०३ -२०२२ ) को
'गरूर में कुछ ज्यादा ही मगरूर हूँ'(चर्चा-अंक-४३८०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
प्रेरणाप्रद रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावना !
जवाब देंहटाएंखेल-तमाशे, कविताओं में, नारी का सम्मान करो,
पर बेटा जो दे ना पाए, उसका तुम अपमान करो.
जो दहेज़ लाने में असफल, उसका घर में दाह करो,
हर मीरा से राणा बन कर, कहो कि तुम विषपान करो.
भावपूर्ण और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर भाव पूर्ण सृजन।
जवाब देंहटाएं