कटुक वचन मत बोलना, इतनी है फरियाद। माँ के कोमल हृदय को, मत देना अवसाद।१। -- माता से बढ़कर नहीं, जग में कोई मीत। माँ करती संसार में, सच्ची ममता-प्रीत।२। -- कैसे नूतन सृजन हो, मानव है हैरान। अन्धकूप पैंठ कर, खोज रहा वो ज्ञान।३। -- तन-मन को गद-गद करे, अनुशंसा का भाव। तारीफों के शब्द से, जल्दी भरते घाव।४। -- स्वार्थ भरे इस जगत में, जीवित है परमार्थ। युगों-युगों के बाद ही, आता जग में पार्थ।५। -- मैल मिटाओ सुमन का, करके यत्न अनेक। छोड़ ईर्ष्या-द्वेष को, काम करो कुछ नेक।६। -- वेदों के सन्देश पर, नतमस्तक हैं लोग। अपनी पूजा में करो, मन्त्रों का उपयोग।७। -- प्रतिदिन पूजा-पाठ से, पावन हो परिवेश। वेदों में ही निहित हैं, जीवन के उपदेश।८। -- जग में आवागमन का, कभी न होता अन्त। बचे न अब तक काल से, योगी सन्त-महन्त।९। |
बहुत सुंदर, प्रेरक दोहे ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुभकामनाएँ ।
प्रेरणा दायक सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंशिक्षाप्रद और सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंसादर
प्रेरक सृजन...
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे
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