-- थोड़े दिन में वन-उपवन के, वृक्ष सभी बौरायेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- सेमल के तो महावृक्ष ने, नया “रूप” अब दिखलाया। पत्ते सारे सिमट गये हैं, पतझड़ में तन गदराया। सेमलडोढे खिल जायेंगे, सबका मन हरसायेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- टेसू के पेड़ों पर भी अब, लाल अँगारे दहकेंगे। वन की छटा अनोखी होगी, कुसुम डाल पर चहकेंगे। अब चम्पा-जूही गेन्दा भी, घर-आँगन महकायेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- पीताम्बर परिधान पहनकर पीली सरसों फूलेंगी। गेंहूँ के कोमल पौधों पर, हरी बालियाँ झूलेंगी।। खुशियों गठरी को लेकर, दिवस सुहाने आयेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- जन-मानस को जन-जीवन में, वासन्ती संकेत मिल रहा। बिस्तर बाँध रही है सरदी, नभ में रवि का रूप खिल रहा। गीत खुशी के कागा-कोकिल, कानन में अब गायेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- प्रेमदिवस दस्तक आने वाला है, मस्त नज़ारे होंगे अब। यौवन का उन्माद बढ़ेगा, प्रणय-दिवस आयेंगे जब। वादे और इरादे नेहिल, रस की धार बहायेंगे। अपनी बगिया के बिरुओं में फूल बसन्ती आयेंगे।। -- |
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मंगलवार, 17 जनवरी 2023
गीत "दिवस सुहाने आयेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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