रूप बसन्ती प्यारा-प्यारा, अच्छा
लगता है। जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता
है।। उपवन में चहकीं कलियाँ, जब महक लुटातीं हैं, मधुबन में महकी गलियाँ, तब बहुत लुभाती हैं, कल-कल, छल-छल करता धारा, अच्छा लगता है। जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता
है।। पंछी कलरव गान सुनाते, जब अपनों से बतियाते, अपनी भाषा-बोली में, अपने सुख-दुख
को कह जाते, खिलता टेसू बन अंगारा, अच्छा लगता
है। जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता
है।। उगता सूरज आसमान में, जीवन का
संवाहक है, रजनी को आलोकित करता, चन्दा काम
विनायक है, झिलमिल तारों का गहवारा, अच्छा लगता
है। गुनगुन करते भँवरे आते, कलियों-कुसुमों
पर मँडराते, अपनी ही धुन में कुछ गाते, मन में
सोई पीर जगाते, गुलशन का खिलता गलियारा, अच्छा लगता
है। जीवन में छाया उजियारा, अच्छा लगता है।। |
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बुधवार, 18 जनवरी 2023
गीत "गुलशन का खिलता गलियारा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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