सबके मन को भाया बसन्त। आया बसन्त-आया बसन्त।। उतरी हरियाली उपवन में, आ गईं बहारें मधुवन में, गुलशन में कलियाँ चहक उठीं, पुष्पित बगिया भी महक उठी, अनुरक्त हुआ मन का आँगन। आया बसन्त, आया बसन्त।१। -- कोयल ने गाया मधुर गान, चिड़ियों ने छाया नववितान, यौवन ने ली है अँगड़ाई, सूखी शाखा भी गदराई, बौराये आम, नीम-जामुन। आया बसन्त, आया बसन्त।२। -- हिम हटा रहीं पर्वतमाला, तम घटा रही रवि की ज्वाला, गूँजे हर-हर, बम-बम के स्वर, दस्तक देता होली का ज्वर, सुखदायी बहने लगा पवन। आया बसन्त, आया बसन्त।३। -- खेतों में पीले फूल खिले, भँवरे रस पीते हुए मिले, मधुमक्खी शहद समेट रही, सुन्दर तितली भर पेट रही, निखरा-निखरा है नील गगन। आया बसन्त, आया बसन्त।४। -- |
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गुरुवार, 26 जनवरी 2023
गीत "आया बसन्त-आया बसन्त" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह वाह बहुत शानदार और सामयिक 👌👌
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आप सभी को बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस की बधाई।
जवाब देंहटाएंभगवती सरस्वती सभी का कल्याण करें।
बसंत के आगमन पर बहुत सुंदर रचना।