ये आँखे कुछ बोल रही हैं?
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गैरों को अपना कर लेती-
जवाब देंहटाएंजब भी चश्म मिला करती हैं।।
सच है आँखों बिना बोले बहुत कुछ कर देती हैं
सुन्दर चित्र सुन्दर मुक्तक।बहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
गैरों को अपना कर लेती, बहुत ही सुन्दर पंक्तियां इन शब्दों ने दिल को छू लिया, बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंbahut sunder chitra ke saath , bahut sunder rachna....
जवाब देंहटाएंबिना बोले आँखों से कहने वाली कविता और तस्वीर भी ...!
जवाब देंहटाएंछोटी सी प्यारी सी सुंदर रचना और साथ में ख़ूबसूरत तस्वीर ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंगैरों को अपना कर लेती-
जवाब देंहटाएंजब भी चश्म मिला करती हैं। ।वाह वाह सुन्दर बहुत सुन्दर !
waah shastri ji.........itni sundar aankhon ke sath itna sundar muktak........dil ko chhoo gaya.
जवाब देंहटाएंsach ye aankhein to bahut kuch bol rahi hain bas unhein padhne wali nigaah chahiye.
आँखो ने आँखों से कुछ कहा
जवाब देंहटाएंआँखों ही आँखों में मना कर दिया
आँखो ने मुनहार की
आँखों ने स्वीकार कर लिया
क्या आँखे है.
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जवाब देंहटाएंजय ब्लोगिग-विजय ब्लोगिग
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शास्त्रीजी!
मनमोहक चित्र!
गैरों को अपना कर लेती- सत्यवचन !!!
ऑखे ही सब कुछ कर लेने मे सक्षम है।
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मगलभावनाओ सहीत
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
ये आँखें वाकई कुछ कह रही हैं sir! सुंदर चित्र और मुक्तक
जवाब देंहटाएंओह, आखें छलछला कर छलती हैं!
जवाब देंहटाएंये आँखें कुछ बोल रही हैं!
जवाब देंहटाएंलगता है - कुछ तोल रही हैं!
छुपे हुए जो मन के भीतर,
भेद अनूठे खोल रही है!
वाह , बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंsab kah diya .............
जवाब देंहटाएं----abhinandan !
गैरों को अपना कर लेती-
जवाब देंहटाएंजब भी चश्म मिला करती हैं।।
वाह!! शास्त्री जी सुन्दर पंक्तियाँ ...
साधू!!
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएं