स्व. अलबेला खत्री जी को श्रद्धाजलि
सूखे हुए छुहारे, किसको लुभायेंगे अब?
अपने नये तराने, किसको सुनायेंगे अब?
हास्य की झलक से,
सूनी हुई धरा है।
मुस्कान के क्षितिज का,
सूरज यहाँ मरा है।
मनुहार-प्यार से हम, किसको बुलायेंगे अब?
अपने नये तराने, किसको सुनायेंगे अब?
तुम स्वर्ग की धरा पर,
आबाद नीड़ करना।
भगवान की शरण में,
होगा कभी न मरना।
हम भी इसी डगर पर, जल्दी ही आयेंगे अब।
अपने नये तराने, किसको सुनायेंगे अब?
व्यंग्य के धनी को,
श्रद्धा सुमन समर्पित।
आँसू की मंजुमाला,
मैं कर रहा हूँ अर्पित।
गुजरे हुए मुसाफिर, वापिस न पायेंगे अब।
अपने नये तराने, किसको सुनायेंगे अब?
लगभग 4 साल पहले प्रियवर अलबेला खत्री जी को समर्पित करते हुए
यह रचना लिखी थी।
अंगूर
के सभी गुण,
किशमिश
में आ गये हैं!
सूखे
हुए छुहारे,
उनको
लुभा गये हैं!!
बूढ़े
हुए तो क्या है,
मन में
भरा है यौवन,
गीतों
के जाम में ही,
ढाला
हुआ है जीवन,
इस उम्र
में भी हम तो,
दुनिया
को भा गये हैं!
सूखे
हुए छुहारे,
उनको
लुभा गये हैं!!
हम तो
नवल-नवेले,
थाली के
हम हैं बेले,
काँसे
की हम खनक में,
नाचे
हैं और खेले,
उनकी
नजर में हम तो,
ब्लॉगिंग
में छा गये हैं!
सूखे
हुए छुहारे,
उनको
लुभा गये हैं!!
ठेले
हैं शब्द हमने,
कुछ
जोड़-तोड़ करके,
व्यञ्जन
परोसते हैं,
हम
तोड़-मोड़ करके,
उनके ही
शीर्षक से,
यह राग
पा गये हैं!
सूखे
हुए छुहारे,
उनको
लुभा गये हैं!!
इस रचना पर अलबेला जी ने यह कमेंट किया था।
वाह प्रभु वाह !
मैंने चैतन्य महा प्रभु को नहीं देखा लेकिन आप जैसे महाप्रभु की चैतन्यता ने निहाल कर दिया..आपका शिष्यत्व स्वीकार करलूं और वहीँ उत्तराखंड में ही कहीं रहने लगूं.....ऐसे विचार मानस में धींगा-मुश्ती करने लगे हैं ..कहिये क्या करूं ? |
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बुधवार, 9 अप्रैल 2014
"सूखे हुए छुहारे, किसको लुभायेंगे अब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत ही सार्थक अभिव्यक्ति, स्व. अलबेला खत्री जी को श्रद्धाजलि।
जवाब देंहटाएंएक ज़िंदादिल लिखाड़ी विनम्र अलवेला ,
जवाब देंहटाएंसबका प्यारा भावप्रवण इंसान ,
ब्लॉगिंग को जल्दी छोड़ गया ,
सबसे मुख मोड़ गया ,
हौसला यूँ तोड़ गया
हमको यूं छोड़ गया।
श्रद्धा सुमन अर्पित हैं इस ज़िंदादिल विनम्र शख्शियत को
अलबेला खत्री जी को श्रद्धाजलि।
जवाब देंहटाएंअलबेला खत्री जी को श्रद्धांजलि ।
जवाब देंहटाएंये तो एकदम अविश्वसनीय है...
जवाब देंहटाएंएकदम अविश्वसनीय खबर लगी ये...उनकी कविताएँ जब तब पढ़ने को मिलती रहती थीं...उनको हमारी विनम्र श्रद्धांजलि!!
जवाब देंहटाएंआभार आपकी सद्य टिप्पणियों का चर्चा मंच में हमें निरंतर बनाये रहने का। भावपूर्ण काव्यात्मक पुष्पांजलि शब्दांजलि दी है आपने अलवेला को।
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