"प्यार के दस दोहे"
ढाई आखर में छिपा, दुनियाभर का मर्म।
प्यार हमारा कर्म है, प्यार हमारा धर्म।१।
जो नैसर्गिकरूप से, उमड़े वो है प्यार।
प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।२।
जब तक जीवित प्यार है, तब तक है संसार।
प्यार बिना होता नहीं, जग में कोई उदार।३।
जीव-जन्तु भी जानते, क्या होता है प्यार।
आ जाते हैं पास में, सुनकर मधुर पुकार।४।
उपवन सींचो प्यार से, मुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिए, नेह-नीर अनुकूल।५।
विरह तभी है जागता, जब होता है स्नेह।
विरह-मिलन के मूल में, विद्यमान है नेह।६।
दुनियाभर में प्यार की, बड़ी अनोखी रीत।
गैरों को अपना करे, ऐसी होती प्रीत।७।
बन जाते हैं प्यार से, सारे बिगड़े काम।
प्यार और अनुराग तो, होता ललित-ललाम।८।
छिपा हुआ है प्यार में, जीवन का विज्ञान।
प्यार और मनुहार से, गुरू बाँटता ज्ञान।९।
छोटे से इस शब्द की, महिमा अपरम्पार।
रोम-रोम में जो रमा, वो होता है प्यार।१०।
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गुरुवार, 26 जून 2014
"बन जाते हैं प्यार से, सारे बिगड़े काम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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क्या बात है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंकल 27/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
बहुत ही सटीक दोहे ..आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (27.06.2014) को "प्यार के रूप " (चर्चा अंक-1656)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही कहा है..
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना व लेखन , आदरणीय धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में एक नए पोस्ट्स न्यूज़ ब्लॉग की शुरुवात हुई है , जिसमें पहली पोस्ट मैंने आपके ब्लॉग से चुनी है , कल २७ . ६ . २०१४ को आपकी इस रचना का लिंक I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर होगा , धन्यवाद !
सुन्दर भाव के साथ उत्कृष्ट काव्य सौदर्य लिए सुन्दर दोहे !
जवाब देंहटाएंउम्मीदों की डोली !
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंछिपा हुआ है प्यार में, जीवन का विज्ञान।
जवाब देंहटाएंप्यार और मनुहार से, गुरू बाँटता ज्ञान..... सही कहा है आपने ...
बहुत सटीक दोहे !
विरह तभी है जागता, जब होता है स्नेह।
जवाब देंहटाएंविरह-मिलन के मूल में, विद्यमान है नेह।
हर दोहा प्रेम में डूबा हुआ बहुत ही सुन्दर
सादर !
बहुत सुंदर लिखा है प्यार पर...साधुवाद
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
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