Beauty byJohn Masefieldअनुवादक- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' |
सौंदर्य जॉन मेसफील्ड प्रातःकालीन वेला में और सायंकाल सूर्यास्त के समय पहाड़ियों की उत्तुंग चोटी पर समीर अपना मस्त राग गा रहा है ऐसा प्रतीत होता है मानो स्पेन अपनी पुरानी सुरीली धुनों को छेड़ रहा हो! बसन्त ऋतु में जब मेहनती महिलाएँ नरम-नरम घास के गट्ठरों को अपनी पीठ पर लादकर चलतीं हैं तो ऐसा लगता है मानों अप्रैल में बारिश की बून्दें गुनगुना रहीं हो ! जहाजों में धवल पाल के नीचे लदे हुए फूल जब गुनगुनाते हैं तो ऐसा लगता है मानों सागर पुराने नगमें सुना रहा हो! मैं ईश्वर से पूछता हूँ सौन्दर्य क्या है? तो मौन में से उत्तर आता है- प्रेयसी के बाल, उसकी आँखें, उसके ओंठ, और उनसे निकली मधुर ध्वनि यही तो सबसे बड़ा सौन्दर्य है |
(1878 - 1967)
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मित्र वर ! मित्र अशोक शर्मा के निधन के कारण मन कुछ शोकाकुल है ! !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर
Bahut sunder rachna .....!!
जवाब देंहटाएंBahut sunder rachna .....!!
जवाब देंहटाएंउम्दा !
जवाब देंहटाएंवाह ! अद्भुत रचना ! अति सुन्दर !
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